जितेंद्र मिश्रा
हरियाणा में 67 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी करने के बाद बीजेपी में प्रदेश स्तर पर शुरू हुआ भारी उथल-पुथल का दौर थमने का नाम नहीं ले पा रहा है। बीजेपी के 40 से अधिक नेता पार्टी को एक झटके में ही अलविदा कह चुके हैं। कुछ ने विरोध जताकर चुनाव मैदान में ताल ठोकने का एलान कर दिया है तो कुछ बीजेपी की दूसरी सूची आने का इंतजार कर रहे हैं। बीजेपी के भीतर विरोध की यह लहर अभी तक हरियाणा प्रदेश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सक्रिय है। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि कि आने वाले एक-दो दिन में दक्षिणी हरियाणा में भी यह विरोधी लहर अपना असर दिखाएगी। फिलहाल इससे निपटने के लिए बीजेपी के पास मान-मनौव्वल के सिवा कोई युक्ति नजर नहीं आ रही है।
टिकट वितरण में भेदभाव से नाराज कई लोगों ने पार्टी छोड़ी
बीजेपी में टिकटों के वितरण को लेकर विरोध जताने वाले गुड़गांव में जीएल शर्मा और नवीन गोयल ने अपने पार्टी को अलविदा कह दिया। पार्टी ने रेवाड़ी सीट पर लक्ष्मण यादव को प्रत्याशी बनाया है। रेवाड़ी में टिकट मांग रहे अरविंद यादव, रणधीर कापड़ीवास और पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव अपने समर्थकों के साथ अलग-अलग बैठक कर रणनीति बना रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस रणनीति के तहत बीजेपी के ये नेता एकराय करके एक व्यक्ति को आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतारने की योजना बना रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के रणधीर सिंह कापड़ीवास ने निर्दलीय चुनाव लड़कर बीजेपी प्रत्याशी सुनील मूसेपुर की हार में भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद रणधीर सिंह कापड़ीवास बीजेपी में बने रहे। महेंद्रगढ़ जिले की अटेली विधानसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव को बीजेपी ने पसंदीदा सीट मुहैया कराई है। अटेली विधानसभा से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतोष यादव विधायक रही हैं। वह अटेली सीट से दावेदार थीं। संतोष यादव की नजर नारनौल विधानसभा की सीट पर पर हैं। पार्टी ने अगर संतोष को यहां से भी टिकट नहीं देती है तो वे बगावती रुख अख्तियार कर सकती हैं।
महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर बड़ा असमंजस बना हुआ है। इस सीट पर प्रदेश के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा विधायक और मंत्री बनते रहे हैं। उनकी टिकट कटने की भी चर्चाएं गर्म हैं। शर्मा ने शुक्रवार को समर्थकों की बैठक बुलाकर कह दिया कि उन्होंने 55 साल तक संघर्ष की राजनीति की है, कोई भी उनको मिटा नहीं सकता।
संदेश साफ है, यदि टिकट न मिला तो समर्थक उग्र हो सकते हैं। अब बीजेपी की दूसरी लिस्ट में आने वाले नामों के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी अपने ही नेताओं के रवैया से सकते में हैं।