हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को जारी बीजेपी के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट ने पार्टी में काफी असंतोष पैदा कर दिया है। असंतोष की वजह से मंत्रियों सहित कई नेताओं ने या तो पार्टी छोड़ दी है या अपने पद छोड़ दिए हैं। बीजेपी नेतृत्व द्वारा पहली लिस्ट में जातिगत संतुलन बनाने की कोशिश का अपेक्षित असर नहीं हुआ है, क्योंकि विद्रोह का झंडा उठाने वाले नेता सभी जातियों से हैं। इस असंतोष की वजह से बीजेपी मुश्किल में दिख रही है।

पार्टी ने पहली लिस्ट में 13 जाट उम्मीदवारों को दिया टिकट

बीजेपी ने हरियाणा की 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में जाट समुदाय के उम्मीदवारों को भी शामिल किया, जो कि किसान आंदोलन में सबसे आगे रहा। पार्टी ने इस लिस्ट में 13 जाट उम्मीदवारों टिकट देकर इस समुदाय को एक बड़ा प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की कोशिश की है। इन 13 उम्मीदवारों में कमलेश ढांडा, महिपाल ढांडा, देवेंद्र बबली, जेपी दलाल, सुनील सांगवान, श्रुति चौधरी, दीपक हुड्डा, मंजू हुड्डा, ओपी धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, अनिल दहिना, संजय कबलाना और उम्मेद पातुवास शामिल हैं।

बीजेपी ने अपने इस कदम से प्रतिद्वंद्वियों को गलत साबित करने का प्रयास किया गया है, जिन्होंने दावा किया था कि हरियाणा चुनाव ‘जाट बनाम गैर-जाट’ बन जाएगा। हालांकि, जाट नेता और विपक्ष के नेता भूपेंदर सिंह हुड्डा को चुनावों में कांग्रेस के चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। हाल के दिनों में किसान आंदोलन और पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के कारण बीजेपी के कई नेताओं को संदेह है कि पार्टी को इस बार जाट समुदाय से समर्थन मिलेगा?

पहली लिस्ट में बीजेपी ने 16 ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है

पहली लिस्ट में बीजेपी ने 16 ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। 10 वर्षों में ओबीसी समुदाय बीजेपी के समर्थन आधार का एक अहम हिस्सा रहा है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर भारत में पार्टी को ओबीसी समुदाय का समर्थन कम होता दिख रहा है, जब पार्टी ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और कुछ हद तक बिहार में भी सीटें गवाईं। पार्टी में कई नेताओं ने इसके लिए विपक्ष के प्रभावी प्रचार को जिम्मेदार ठहराया जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी संविधान को बदलने और आरक्षण को समाप्त करने की कोशिश कर रही है।

बीजेपी के लिए यह समस्या अब और बढ़ सकती है क्योंकि पार्टी के राज्य ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष कर्णदेव कंबोज भी बागी हो गए हैं। बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में 13 दलित, नौ ब्राह्मण, आठ पंजाबी, पांच वैश्य, दो राजपूत और एक सिख चेहरे को भी अपना उम्मीदवार बनाया है। टिकट न मिलने पर कई नेताओं की बगावत के बाद बीजेपी को जातिगत समीकरणों को संतुलित करने की उसकी कोशिशों पर झटका लगा है। पार्टी को अब इस बात की चिंता है कि इन बागियों के अपने जाति समूहों में प्रभाव के आधार पर चुनाव पर क्या असर पड़ेगा।

इस लिस्ट ने बीजेपी के कई नेताओं को भी बेचैन कर दिया है। यहां तक कि बनिया और जैन समुदाय के नेता भी बेचैन हैं जिन्हें बीजेपी का मुख्य वोट बैंक माना जाता है। पार्टी सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल ने हिसार से चुनाव लड़ने की धमकी दी है।