हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य में एक चरण में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। तारीखों के ऐलान के साथ ही पार्टियों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच भाजपा की आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन की बैठक से दो दिन पहले पार्टी को बादशाहपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, इस क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के OSD जवाहर यादव, पार्टी के जिला अध्यक्ष कमल यादव और पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह ने अपनी दावेदारी पेश की है।
दरअसल, बादशाहपुर क्षेत्र में 4.5 लाख मतदाता हैं जो कि हरियाणा में सबसे अधिक है। तीन भाजपा नेताओं की अपेक्षा इस बात से बढ़ गई है कि हाल की लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यहां सबसे अधिक वोट (1.2 लाख वोट) हासिल किए थे। भाजपा ने चुनावों में पांच लोकसभा सीटें जीती थीं। बादशाहपुर विधानसभा सीट गुड़गांव लोकसभा सीट के नौ क्षेत्रों में से एक है, जिसे भाजपा ने हाल के चुनावों में जीता था। 2014 में इसे निर्दलीय राकेश दौलताबाद ने जीती थी। नरबीर ने 2014 से 2019 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
जवाहर यादव अपने विकास कार्यों के कारण लोगों के समर्थन का दावा करते हैं जबकि नरबीर जो पंचायत प्रमुखों के समर्थन का दावा करते हैं, उनका कहना है कि उनके कार्यकाल के दौरान विधानसभा में सबसे अधिक विकास हुआ। वहीं, कमल यादव अपने पास गुड़गांव सांसद राव इंदरजीत सिंह और भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) सदस्य सुधा यादव का समर्थन बताते हैं।
पूर्व सीएम खट्टर के OSD भी हैं मैदान में
जवाहर ने दावा किया कि उज्ज्वल संभावनाओं के बावजूद टिकट न मिलने से उनके काम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी के लिए 37 साल से काम कर रहा हूं और अब चुनाव लड़ने का सोचा है। मैं पार्टी के लिए काम करता रहूंगा चाहे जो भी नामित हो क्योंकि मैं इसकी विचारधारा में विश्वास करता हूं।”

खट्टर के पूर्व ओएसडी, जिन्होंने हरियाणा हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है, अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में अपने काम के बारे में बता रहे हैं। हालांकि, जिला भाजपा नेताओं का एक वर्ग जवाहर के नामांकन को लेकर आशंकित है और उनका कहना है कि वह गुड़गांव से नहीं हैं और अक्सर यहां नहीं आते हैं। एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, ”जब गुड़गांव से यादव दावेदार हैं तो यह संभावना नहीं है कि दिल्ली से किसी यादव को उम्मीदवार के रूप में चुना जाएगा।”
स्थानीय यादव वोट पर नजर
मैदान में स्थानीय यादव कमल भी हैं जिन्होंने बूथ-स्तरीय बैठकें करना शुरू कर दिया है। चक्रपुर के मूल निवासी कहते हैं, ”मैंने बादशाहपुर में 15 सालों तक काम किया है और जिला अध्यक्ष के रूप में मैं कैडर को अच्छी तरह से जानता हूं।”
बादशाहपुर निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 1.25 लाख यादव
भाजपा के अनुमान के मुताबिक, बादशाहपुर निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 1.25 लाख अहीर (यादव) हैं जबकि जाटों की संख्या लगभग 60,000 है। यहां लगभग 50,000 अनुसूचित जाति (एससी) सदस्य, 35,000 ब्राह्मण और 30,000 पंजाबी हैं। गुज्जर, राजपूत और मुस्लिम जैसे अन्य समुदाय भी यहां काफी संख्या में रहते हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनावों में लड़ी हुई सीटों पर पार्टियों का वोट शेयर

नरबीर सिंह के खिलाफ कई मसले
नरबीर सिंह जो भाजपा द्वारा चुने जाने को लेकर भी आश्वस्त हैं, उनका हाल ही में खट्टर सहित पार्टी नेताओं के साथ टकराव हुआ जिसके बाद उनकी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। उनके कांग्रेस के महेंद्रगढ़ विधायक राव धन सिंह के साथ संबंध के भी हैं, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं। नरबीर की बेटी की शादी धन सिंह के बेटे अक्षत से हुई है। यह भी उनके खिलाफ जा सकता है।
नरबीर सिंह ने हालांकि, अपने समर्थकों को हाल की बैठक में बताया, “पिछले चुनाव में मुझे विपक्ष के षड्यंत्र के कारण नहीं चुना गया लेकिन इस बार उनके प्रयासों का कोई परिणाम नहीं होगा।” नरबीर ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और खट्टर की भी प्रशंसा की, यह दावा करते हुए कि उनकी पूर्व टिप्पणियां पार्टी के खिलाफ गलत समझी गई थीं।
हालांकि, एक वरिष्ठ जिला नेता ने नरबीर के साथ भाजपा के बहुत अच्छे ताल्लुक न होने का संकेत दिया। उन्होंने नरबीर के शपथ पत्रों में पिछले असंगतियों का भी उल्लेख किया। एक अन्य भाजपा नेता जो बादशाहपुर टिकट चाह रहे हैं, वह मनीष यादव हैं जो 2019 में पार्टी के उम्मीदवार थे और बैठकें कर रहे हैं।

बीजेपी ने 90 सीटों के लिए तीन से पांच उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया है
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी ने अधिकांश 90 सीटों के लिए तीन से पांच उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हम संगठनात्मक प्रतिबद्धता के साथ-साथ व्यक्तिगत प्रयासों को भी ध्यान में रखते हैं। इसके अलावा, स्थानीय और गैर-स्थानीय कारक भी होते हैं। हमने नेताओं की लोकप्रियता की पुष्टि के लिए सर्वे किए हैं। हम बादशाहपुर में जीत के प्रति आश्वस्त हैं। बादशाहपुर चुनाव में एक और एंगल है। दौलताबाद की विधवा कुमुदिनी संभवतः निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में होंगी।
हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टियों का सीट शेयर
