उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट दशकों से सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ रही है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ इस निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार सांसद रहे हैं। वह गोरखनाथ मठ के प्रमुख भी हैं जिसका पूर्वी यूपी क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव है।

सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद और अभिनेता से नेता बने रवि किशन शुक्ला को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने काजल निषाद को टिकट दिया है। काजल एक भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री हैं, जो सपा और कांग्रेस के बीच सीट-बंटवारे के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।

गोरखपुर में लड़ाई मुख्यतः ‘योगी बाबा’ और इंडिया गठबंधन के बीच है। सीएम योगी इस क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। गोरखपुर के स्थानीय लोगों का एक बड़ा वर्ग योगी के नाम पर भाजपा का पुरजोर समर्थन कर रहा है और उम्मीद कर रहा है कि आने वाले सालों में क्षेत्र में और विकास होगा। वहीं, दूसरी ओर एक अन्य वर्ग INDIA की जीत के लिए सपा के उम्मीदवार के पीछे रैली कर रहा है। दोनों पक्ष जाति के आधार पर भी बंटे हुए प्रतीत होते हैं, सिवाय निषाद समुदाय (ओबीसी) को छोड़कर, जो यहां की आबादी का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है।

2018 के उपचुनाव में सपा उम्मीदवार ने लहराया था जीत का परचम

सांसद आदित्यनाथ के 2017 में सीएम पद की शपथ लेने के बाद सीट खाली करने पर 2018 के गोरखपुर उपचुनाव में निषाद मतदाताओं ने उलटफेर करने में अहम भूमिका निभाई थी। उस दौरान, तत्कालीन सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेंद्र शुक्ला को 21,801 वोटों से हराया था।

काजल निषाद बढ़ा रही हैं बीजेपी की चिंता

भाजपा इस बात से चिंतित है कि काजल निषाद को बड़े पैमाने पर अपने समुदाय का समर्थन मिल रहा है। काजल इससे पहले 2012 और 2022 में क्रमशः कांग्रेस और सपा के टिकट पर कैंपियरगंज से विधानसभा चुनाव हार गई थीं। वह 2023 में सपा उम्मीदवार के रूप में गोरखपुर मेयर का चुनाव भी हार गई थीं। बीजेपी कैंडिडेट रवि किशन के खिलाफ स्थानीय निवासियों के बीच नाराजगी भी है जिनका कहना है कि उन्हें गोरखपुर शहर में सीएम आदित्यनाथ के कुछ कार्यक्रमों में भाग लेने के अलावा पांच साल तक निर्वाचन क्षेत्र में नहीं देखा गया था।

योगी के नाम का सहारा ले रहे रवि किशन

अपने प्रचार अभियान में रवि किशन खुद अपनी सभी सार्वजनिक सभाओं में कहते रहे हैं कि वह “महाराज जी (आदित्यनाथ)” के अनुयायी हैं और यह वह नहीं बल्कि “योगी बाबा” हैं जो मैदान में हैं।

गोरखनाथ मंदिर अपने परिसर में एक प्रमुख अस्पताल के अलावा कम से कम 45 शैक्षणिक संस्थान चलाता है। इसके मुख्य पुजारी के रूप में आदित्यनाथ की स्थिति उनके प्रभाव को बढ़ाती है। योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक गुरु महंत अवैद्यनाथ 1989 से हिंदू महासभा के साथ-साथ भाजपा के टिकट पर तीन बार गोरखपुर से जीते। आदित्यनाथ ने 1998 से लगातार पांच बार सीट जीती है।

सीएम योगी का क्षेत्र में प्रभाव

मठ का ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार और बनिया जैसी उच्च जातियों सहित कई समुदायों के बीच अच्छा प्रभाव है। एक वर्ग का कहना है कि वे सीएम योगी को इसलिए समर्थन देते हैं ताकि वह गोरखपुर का और अधिक विकास कर सकें। हाल ही में गोरखपुर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की रैली में भी आदित्यनाथ फैक्टर साफ था।

क्या चाहती है गोरखपुर की जनता?

गोरखपुर के सनहा गांव में लगभग 100 प्रतिशत पक्के घर हैं। यहां के अधिकांश पुरुष निवासी काम के लिए हैदराबाद (तेलंगाना), केरल, तमिलनाडु, मुंबई (महाराष्ट्र), गुजरात और दिल्ली जैसे अन्य राज्यों में चले गए हैं। 27 वर्षीय आकाश पासवान पांच साल से अधिक समय से अपने पिता और अन्य रिश्तेदारों के साथ हैदराबाद में बढ़ई का काम कर रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान आकाश कहते हैं, “हम कुछ समय बाद लौटना शुरू करेंगे क्योंकि गोरखपुर तेजी से विकास कर रहा है और इंडस्ट्रीज यहां आ रही हैं। हम सबको यहीं नौकरी मिलेगी।” वोटिंग के नाम पर आकाश और गुड्डु पासवान कहते हैं, “हमें योगी जी को वोट देना चाहिए जो यहां विकास लाना चाहते हैं। हम अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करके योगी बाबा को भाजपा में मजबूत करेंगे।” गुड्डु कहते हैं कि अगर वे काजल का समर्थन करते हैं तो यह उनके वोट की बर्बादी होगी क्योंकि वह किसी भी तरह से जीतने वाली नहीं हैं।

काजल के समर्थन में निषाद वोटर्स

वहीं, सोनू निषाद इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, ”हम काजल निषाद का समर्थन करेंगे। सभी अपनी जाति के उम्मीदवारों को वोट देते हैं तो हमें दूसरों को वोट क्यों देना चाहिए?” एक अन्य निषाद बहुल गांव बनछरिया में लोगों का कहना है कि रवि किशन जीत के हकदार नहीं हैं, लेकिन वह भाग्यशाली हैं कि उनके साथ योगी बाबा हैं जो उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे।” गांव के कुछ बुजुर्ग कहते हैं, ”काजल निशाद, रवि किशन से अलग नहीं हैं। वह हमारे वोटों पर सिर्फ इसलिए नजर रख रही है क्योंकि वह उसी समुदाय से है।”

गांव से कुछ किलोमीटर दूर कुछ लोगों का कहना है कि वो रवि किशन से नाराज हैं क्योंकि 2019 में जीतने के बाद से वह लापता हैं। हालांकि, उनका कहना है कि वे फिर से भाजपा का समर्थन करेंगे क्योंकि उन्हें योगी पर भरोसा है।

बंटे हुए हैं गोरखपुर के मतदाता

गांव के कई यादव लोगों का कहना है कि वे मुसलमानों और निषादों के साथ काजल को वोट देंगे। ये समुदाय सपा के उम्मीदवार के लिए मुख्य समर्थन आधार होंगे। उन्हें यह भी उम्मीद है कि इंडिया गठबंधन केंद्र में अपनी सरकार बनाने में सफल रहेगा। गोरखपुर में यादव और मुसलमान सपा का समर्थन कर रहा है।

गोरखनाथ मंदिर के पास एक दुकानदार अब्दुल मजीद शहर में विकास की गति से खुश हैं। वह इस बात पर भी खुशी जताते हैं कि मंदिर यूपी के बाहर से भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। उनका कहना है कि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन मिलेगा।

NISHAD पार्टी पर भाई-भतीजावाद के आरोप

संजय निषाद के नेतृत्व वाली NISHAD पार्टी गोरखपुर क्षेत्र में भाजपा की सहयोगी है, लेकिन पार्टी भाई-भतीजावाद के आरोपों के साथ ही सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही है। संजय निषाद जहां एमएलसी और राज्य मंत्री हैं, वहीं उनके बेटे श्रवण विधायक हैं। उनके एक और बेटे प्रवीण मौजूदा सांसद हैं, जो भाजपा के टिकट पर पड़ोसी संत कबीरनगर सीट से दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। इससे काजल को निषाद वोटों को अपनी ओर करने में मदद मिल सकती है।

गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र

गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभाएं आती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, निर्वाचन क्षेत्र के 21 लाख मतदाताओं में 5.50 लाख निषाद, 2.25 लाख यादव, 2 लाख मुस्लिम, 2 लाख दलित, 3 लाख ब्राह्मण और ठाकुर और एक लाख भूमिहार और बनिया शामिल हैं। 2018 के उपचुनाव को छोड़कर 1991 से गोरखपुर सीट लगातार भाजपा जीत रही है।

गोरखपुर लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम

पिछले आम चुनाव में यहां से भाजपा के रवि किशन ने सपा के रामभुअल निषाद को हराया था। रवि को 7.17 लाख और रामभुअल को 4.15 लाख वोट मिले थे।

Source- Indian Express