तारीख 18 जुलाई 2023, जगह दिल्ली का अशोक होटल… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए गठबंधन (NDA) की बैठक चल रही थी। इस बैठक में उत्तर से दक्षिण तक के एक से बढ़कर एक हैवीवेट नेता बैठे थे। लेकिन लोगों की निगाह एक ऐसे नेता पर टिक गई जो पिछले 9 सालों से दिल्ली के पावर सर्कल से गायब है। उसके पिता कभी कांग्रेस की रीढ़ हुआ करते थे और वह खुद मनमोहन सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री था। उस नेता का नाम है जीके वासन (GK Vasan)।

जीके वासन के पिता जीके मूपनार (GK Moopanar) कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और उन्होंने ही तमिल मनीला कांग्रेस ( Tamil Maanila Congress) की नींव रखी थी। कभी तमिलनाडु की राजनीति के धुरी माने जाने वाले मूपनार का कद ऐसा था कि कांग्रेस दक्षिण में कोई फैसला लेने से पहले उनकी सलाह जरूर लिया करती थी। अब मूपनार के बेटे वासन, अपने पिता की राजनीतिक विरासत बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। चर्चा है कि वासन अपनी पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) का बीजेपी में विलय कर सकते हैं।

चिदंबरम के गुरु थे मूपनार

जीके मूपनार ने साल 1996 में कांग्रेस से खटास के बाद तमिल मनीला कांग्रेस की नींव रखी थी और ऐलान किया था कि उनकी पार्टी के. कामराज की विचारधारा को आगे बढ़ाएगी। कामराज भी कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। मूपनार की नई पार्टी के संस्थापकों में से एक पी. चिदंबरम भी थे। जिस वक्त नई पार्टी की नींव रखी गई, उसके ठीक पहले तक चिदंबरम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री हुआ करते थे और उदारीकरण में अहम भूमिका निभाई थी। पी. चिदंबरम, मूपनार को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

जीके मूपनार भले ही लंबे वक्त तक कांग्रेस में रहे और बाद में अपनी अलग पार्टी बना ली, लेकिन उनकी दूसरे दलों के नेताओं से बहुत अच्छे ताल्लुक थे। खासकर डीएमके के संस्थापक एम. करुणानिधि उनके बहुत करीबी थे। दोनों तंजावुर क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे। मूपनार का करुणानिधि के बेटे व तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री स्टालिन से भी वैसा ही रिश्ता रहा, जैसे उनके पिता के साथ था। बाद में साल 2001 में जब मूपनार का निधन रहा तो उनके बेटे जीके वासन और स्टालिन के बीच भी रिश्ता कायम रहा।

कांग्रेस में विलय और चिदंबरम की वापसी

मूपनार की पार्टी और डीएमके के बीच गठबंधन भी था, लेकिन साल 1998 में जब डीएमके का बीजेपी की तरफ झुकाव बढ़ा तो मूपनार ने अपने रास्ते अलग कर लिए थे। साल 2001 में जीके मूपनार के निधन के बाद उनके बेटे जीके वासन ने पार्टी की कमान संभाली और साल भर बाद ही 2002 में अपनी पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस का कांग्रेस में विलय कर दिया। साल 2004 आते-आते पी. चिदंबरम भी वापस कांग्रेस में लौट आए।

प्रणब मुखर्जी से करीबी और मंत्री की कुर्सी

कांग्रेस में विलय के बाद जीके वासन की पार्टी के दिग्गज नेता प्रणब मखर्जी से नजदीकी बढ़ी। एक तरीके से मुखर्जी, दिल्ली में वासन के गुरु और मेंटर बन गए। साल 2008 में जीके वासन, प्रणब मुखर्जी और अपने पिता के करीबियों की मदद से राज्यसभा में पहुंचे थे। तब करुणानिधि ने भी उन्हें समर्थन दिया था। बाद में उन्हीं के सहयोग से 2009 से 2014 तक यूपीए-2 की सरकार में शिपिंग मिनिस्टर भी रहे।

हालांकि साल 2014 में जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बन गए तो वासन की कांग्रेस से दूरी बढ़ने लगी। 2014 में वे लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़े, जबकि कथित तौर पर खुद राहुल गांधी चाहते थे कि वासन चुनान लड़ें। बाद में जीके वासन, कांग्रेस से अलग हो गए और दोबारा अपने पिता की पार्टी को लांच किया और नाम दिया तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार)। हालांकि वासन को कुछ खास सफलता नहीं मिली, बल्कि एक-एककर उनके करीबी साथ छोड़ने लगे। अब एक तरीके से वासन की पार्टी ‘वन मैन शो’ रह गई है।

BJP में करेंगे पार्टी का विलय?

साल 2019 आते-आते जीके वासन बीजेपी के सहयोगी बन गए। उस वक्त चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वासन को चुनिंदा साफ-सुथरे नेताओं में से एक कहा था। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वासन तंजावुर की अपनी इकलौती सीट भी बचा नहीं पाए और हार का सामना करना पड़ा। साल 2019 के बाद से जीके वासन की पार्टी का बीजेपी में विलय के कयास लग रहे हैं। अब NDA की बैठक में वासन की मौजूदगी से इस कयास को फिर हवा मिल गई है।