अटल बिहारी वाजपेयी को कैंसर था। ये दावा किया है वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने। द इंडियन एक्सप्रेस की कंट्रीब्यूटिंग एडिटर नीरजा चौधरी की हाल में ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ (How Prime Ministers Decide) नाम से एक किताब आयी है। इस किताब में भारत के कई प्रधानमंत्रियों से जुड़े दिलचस्प किस्से हैं। इसी किताब को लेकर नीरजा चौधरी ने Vaad नाम के यूट्यूब चैनल पर बातचीत की है। इसी दौरान उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी को कैंसर था।
नीरजा चौधरी ने कहा, “बहुत कम लोगों को पता है कि वाजपेयी को कैंसर था। 80 के दशक के मध्य में उन्हें कैंसर हो गया था। वह किडनी की प्रॉब्लम बताकर इलाज के लिए जाते थे। राजीव गांधी की मौत के बाद वाजपेयी ने स्वीकार किया था कि “राजीव ने मेरी जिंदगी बचाई।” जब राजीव को पता चला था (कैंसर के बारे में) तो उन्होंने वाजपेयी को इलाज के लिए अमेरिका भेजा था। प्रधानमंत्री की तरफ से निर्देश था कि जब तक इलाज पूरा न हो जाए वापस नहीं आना है। इसके बाद हर प्रधानमंत्री वाजपेयी को इलाज के लिए भेजते रहे। …उनके सभी पार्टियों में अच्छे रिश्ते थे। किसी प्रधानमंत्री ने ये बात बाहर नहीं आने दी। इस जानकारी का राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन किसी ने नहीं किया।”
यशवंत सिन्हा वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री थे। करीब दो साल पहले जब नीरजा चौधरी ने यशवंत सिन्हा से पूछा था कि क्या आपको पता था कि वाजपेयी को कैंसर था? उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता था।’
सुब्रमण्यम स्वामी ने भी किया था दावा
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी साल 1998 में दावा किया था कि वाजपेयी को कैंसर है। 17 अगस्त, 1998 की इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, “स्वामी ने दावा किया था कि वाजपेयी का दिल्ली में सीताराम भरतिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च में प्रोस्टेट कैंसर का इलाज चल रहा है और वह जल्द ही न्यूयॉर्क के स्लोअन-केटरिंग इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर में इलाज के लिए जाएंगे।”
स्वामी ने कहा था, “मैं जल्द ही वाजपेयी की हालत का दस्तावेजी सबूत पेश करूंगा।” तब केंद्र की एनडीए सरकार और भाजपा दोनों ने ही स्वामी के आरोपों का खंडन किया था। स्वामी के आरोप काफी हद तक वाजपेयी की सीताराम भरतिया संस्थान की यात्रा पर आधारित थे।
इंडिया टुडे ने भी अपनी जानकारी के आधार पर बताया था कि वाजपेयी जून के मध्य में शनिवार की सुबह हड्डी के स्कैन के लिए सीताराम इंस्टीट्यूट गए थे। दरअसल, वाजपेयी के निजी चिकित्सक ने उन्हें सीताराम इंस्टीट्यूट में स्कैन की सलाह दी थी। वाजपेयी ने घातक बीमारी का पता लगाने के लिए हड्डी का स्कैन करवाया था, जिसमें उन्हें कुछ घंटे लगे थे। वैसे, वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया था वाजपेयी पिछले एक दशक से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में वार्षिक जांच कराते रहे हैं। प्रधानमंत्री के तौर पर अब यह अनिवार्य हो गया है।
नाबालिगों के फिल्म देखने पर बैन लगवाना चाहते थे वाजपेयी
अभिषेक चौधरी ने पूर्व प्रधानमंत्री की जीवनी ‘VAJPAYEE: The Ascent of the Hindu Right’ में लिखा है कि संघ (RSS) के लिए पत्रकारिता करते हुए वाजपेयी ने यूपी सरकार से 16 साल और उससे कम उम्र के बच्चों के फिल्में देखने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
युवा संपादक वाजपेयी ने संघ की पत्रिका में लिखा था, “सिनेमा भारत के युवाओं के नैतिक चरित्र में गिरावट का एक कारण है। चूंकि सरकार सिनेमा उद्योग को नियंत्रित करती है, इसलिए इसके लिए पूरी तरह से वही जिम्मेदार है। मात्र 60-70 लाख की वार्षिक आय के लिए कोई भी सभ्य राष्ट्र अपने भावी नागरिकों का पतन होते नहीं देखना चाहेगा।” (विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें)
