25 जून 1975 को इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल (Emergency 1975) लगा दिया। राजधानी दिल्ली पुलिस छावनी में बदल गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस वाले नजर आने लगे। इमरजेंसी से पहले जो कनॉट प्लेस (Connaught Place) शाम होते ही गुलजार हो जाता था, वहां सन्नाटा पसर गया। उन दिनों CP का ओडियन और प्लाजा सिनेमा दिल्ली के कुलीन वर्ग के बीच खासा लोकप्रिय था, क्योंकि राजधानी में यही दो सिनेमा हॉल थे, जहां हॉलीवुड की फिल्में लगा करती थीं। इमरजेंसी में दोनों सिनेमा हॉल वीरान हो गए।
वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह अपनी किताब ‘दरबार’ में इमरजेंसी के बाद के हालात को विस्तार से बयां करती हैं। वह लिखते हैं कि इमरजेंसी (Emergency) से पहले कनॉट प्लेस शाम होते ही गुलजार हो जाया करता था, लेकिन आपातकाल के बाद हम लोग शाम के बाद बाहर निकलने से हिचकने लगे। हमें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने इमरजेंसी क्यों लगाई? दिल्ली एक तरीके से पुलिस स्टेट में बदल चुकी थी।
तवलीन सिंह लिखती हैं कि उन दिनों सोशल लाइफ ड्राइंग रूम तक सिमट गई थी। लुटियंस दिल्ली के ड्रॉइंग रूम में जो पार्टियां होतीं, उसमें ज्यादातर ऐसे लड़के-लड़कियां होते जो या तो दून स्कूल से पढ़े होते या वेल्हम गर्ल्स हाई स्कूल से। ज्यादातर राजा-रजवाड़ों के बच्चे, सरकारी अफसरों के बेटे-बेटियां और बॉम्बे के कुछ बिजनेसमैन के बच्चे इन पार्टियों में दिखाई पड़ते।
दिल्ली की वो मशहूर पार्टी
तवलीन अपनी किताब में ऐसी ही एक पार्टी का जिक्र करती हैं, जिसमें नवीन पटनायक, अचानक सोनिया और राजीव गांधी से टकरा गए थे। बकौल तवलीन, ये जून के आखिरी हफ्ते की एक शाम थी। मेरे दोस्त मापू उर्फ मार्तंड सिंह ने अपने घर डिनर पार्टी रखी थी। उन दिनों नवीन पटनायक, पृथ्वीराज रोड पर रहा करते थे और मेरे पड़ोसी थे। हम लोग अक्सर साथ आउटिंग पर जाया करते थे। चूंकि मार्तंड की पार्टी में हम दोनों इनवाइट थे, तो साथ निकले। नवीन ने रास्ते में मुझे बताया कि मार्तंड के भाई-भाभी अरुण और नीना, राजीव गांधी के जिगरी दोस्त हैं। राजीव से मुलाकात ठीक नहीं होगी, क्योंकि उनकी मां इंदिरा ने मेरे पिता बीजू पटनायक को जेल में डाल रखा है।
जब सोनिया गांधी ने नवीन पटनायक को पहचान लिया
तवलीन लिखती हैं नवीन पार्टी में ड्रिंक लेकर एक कोने में बैठ गए और मैं मार्तंड के घर को देखने लगी। थोड़ी देर में राजीव और सोनिया सामने के दरवाजे से अंदर आते दिखे। राजीव ने झक सफेद कुर्ता पायजामा पहन रखा था और सोनिया गांधी ने एक वाइट ड्रेस पहनी थी, जो उनके घुटनों तक आ रही थी। हम लोग कुछ समझ पाते तभी मार्तंड की भाभी नीना हमारे पास आईं और कहा कि ”सोनिया गांधी पूछ रही हैं कि कोने में जो शख्स खड़े हैं क्या वह नवीन पटनायक हैं’? यह सुनकर नवीन अचानक हड़बड़ा गए। मुझसे पूछने लगे कि अब क्या करना चाहिए? अगर मैं उनसे नहीं मिलता हूं तो हमें घमंडी समझेंगे? मैंने कहा जब राजीव और सोनिया ने हमें पहचान ही लिया है तो जाकर मुलाकात करनी चाहिए।
जब नवीन पटनायक ने पूछ लिया सवाल
तवलीन सिंह लिखती हैं कि मैं और नवीन पटनायक, सोनिया और राजीव से मिलने पहुंचे। नवीन ने मुस्कुराते हुए सोनिया गांधी का अभिवादन किया और उनकी ड्रेस की तारीफ करने लगे। इसी दौरान मुस्कुराते हुए पूछ लिया- ‘क्या आपने यह ड्रेस वैलेंटिनो से खरीदी है’? सोनिया गांधी ने बहुत रूखे अंदाज में जवाब दिया, ‘नहीं, मैंने खान मार्केट में अपने दर्जी से सिलवाई है’। तवलीन लिखती हैं कि चूंकि सोनिया गांधी का व्यवहार और जवाब ऐसा था, कि आगे बातचीत का कोई स्कोप ही नहीं बचा।
