प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को हरियाणा के महेंद्रगढ़ के शंकर कॉलोनी में कांग्रेस विधायक राव दान सिंह के घर, उनके भाई के आवास और रेवाड़ी रोड पर उनके फार्महाउस की तलाशी ली। कांग्रेस के चार बार के विधायक राव दान सिंह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं।
राव दान सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे।
तलाशी के दौरान इन सभी स्थानों पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था और किसी को भी परिसर में प्रवेश करने या बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गयी थी। सूत्रों के अनुसार, ईडी की टीमें सुरक्षाकर्मियों के साथ गुरुवार सुबह करीब चार बजे सात गाड़ियों में महेंद्रगढ़ स्थित राव दान सिंह के दोनों परिसरों पर पहुंचीं थीं।
1400 करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड से जुड़ा है मामला
सूत्रों के मुताबिक, ईडी की टीम ने 1,392 करोड़ रुपये के बैंक लोन फ्रॉड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत एक मेटल फैब्रिकेटिंग कंपनी, एलाइड स्ट्रिप्स लिमिटेड (एएसएल) और उसके प्रमोटरों मोहिंदर अग्रवाल, गौरव अग्रवाल और कुछ अन्य के ठिकानों की भी तलाशी ली। हरियाणा के बहादुरगढ़, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम में लगभग 15 स्थानों पर यह तलाशी ली गयी।

सूत्रों ने बताया, “लगभग 15 लोगों की टीम सुबह लगभग 7 बजे बहादुरगढ़ में एलाइड स्ट्रिप्स लिमिटेड (एएसएल) पहुंचीं जब काफी संख्या में कर्मचारी वहां काम कर रहे थे। कंपनी परिसर को तुरंत अर्धसैनिक बलों के जवानों ने घेर लिया और किसी भी कर्मचारी को इसमें अंदर/बाहर आने की अनुमति नहीं दी गई।”
दान सिंह के बेटे राव अक्षत का नाम भी मामले में सामने आया
कंपनी पर बैंक लोन फ्रॉड में शामिल होने का आरोप है। जिस पर 2022 में सीबीआई द्वारा मामला दर्ज किया गया था। राव दान सिंह के बेटे राव अक्षत का नाम भी इस मामले में सामने आया था। जांच के दौरान ईडी ने पाया था कि राव दान सिंह के बेटे के स्वामित्व वाली कुछ कंपनियों ने एएसएल से ऋण लिया था जिसे बाद में माफ कर दिया गया था।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, राव दान सिंह के परिवार का नाम आदर्श सहकारी सोसायटी घोटाले में ईडी की जांच में सामने आया था। 2019 में ईडी की जयपुर शाखा ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। जांच में एक कंपनी का नाम सामने आया था जिसने हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और नारनौल इलाकों में जमीन खरीदी थी। मामले में राव दान सिंह के बेटे अक्षत राव समेत 100 से ज्यादा लोग ईडी के रडार पर हैं।
उनके परिवार का इस मामले से कोई संबंध नहीं- कांग्रेस विधायक
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार के दौरान राव दान सिंह ने कहा था कि उनके परिवार का इस मामले से कोई संबंध नहीं है और उनके बेटे के खिलाफ मामला भी बंद कर दिया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि उनके बेटे का नाम एक कंपनी के साथ लेनदेन के कारण ईडी की जांच में आया था और कथित घोटाले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

महेंद्रगढ़ से चार बार के विधायक हैं दान सिंह
विधायक दान सिंह ने हाल ही में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव लड़ा था। वह भाजपा के धर्मबीर सिंह से 41,000 से अधिक मतों के अंतर से हार गए थे।
कांग्रेस के एक प्रमुख अहीर नेता 68 वर्षीय राव दान सिंह, महेंद्रगढ़ से चार बार के विधायक हैं। दान सिंह तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने 2000 में भाजपा के बड़े नेता राम बिलास शर्मा को लगभग 39,000 वोटों से हराया था। शर्मा 1982 से चार बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके थे। दान सिंह ने 2005 और 2009 में भी महेंद्रगढ़ सीट से जीत हासिल की थी। 2014 में वह राम बिलास शर्मा से हार गए थे। हालांकि, 2019 के चुनाव में दान सिंह ने राम बिलास को हरा दिया था।
लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय चुनाव आयोग को सौंपे अपने हलफनामे में दान सिंह ने उल्लेख किया कि उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं चल रहा है। उन्होंने अपनी संपत्ति 18.04 करोड़ रुपये घोषित की है।

राव दान सिंह की शिक्षा और व्यवसाय
राव दान सिंह का जन्म महेंद्रगढ़ के पहलादगढ़ में हुआ था। उन्होंने 1976 में पंजाब विश्वविद्यालय से एमए किया, फिर 1980 में श्री लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज, जयपुर से एलएलबी किया। 1983 में राव दान सिंह ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त की।
दान सिंह और उनकी पत्नी संध्या महेंद्रगढ़ और गुड़गांव में ईंधन और ऑटोमोबाइल सर्विस स्टेशन का बिजनेस चलाते हैं। वह 2012 में हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अक्टूबर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में, सिंह को एक बार फिर कांग्रेस द्वारा उनके गढ़ से मैदान में उतारे जाने की संभावना है।
कांग्रेस ने छापेमारी को बताया राजनीति से प्रेरित
द ट्रिब्यून से बात करते हुए, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान ने कहा, “यह उनकी फितरत है। जहां भी चुनाव होते हैं, चाहे महाराष्ट्र, झारखंड और अब हरियाणा, छापेमारी होती है। ईडी सक्रिय हो गया है।” उन्होंने छापेमारी को राजनीति से प्रेरित और सत्तारूढ़ सरकार के इशारे पर की जा रही कार्रवाई करार देते हुए कहा, “हमें न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा है। उन्हें अपना काम करने दीजिए। लोगों को भी अब एहसास हो गया है कि वे क्या कर रहे हैं।”
वहीं, रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा की कार्यशैली को हर कोई जानता है। कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाने के लिए ईडी और अन्य जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।” सोनीपत में एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ईडी का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है और इस तरह की छापेमारी नई नहीं है क्योंकि एजेंसी का दुरुपयोग पूरे देश में व्यापक रूप से हुआ है।
ईडी रेड को राजनीतिक नजरिये से नहीं देखें- भाजपा सांसद
इस बीच, बहादुरगढ़ (झज्जर) में एक समारोह में राव दान सिंह के ठिकानों पर ईडी के छापे के बारे में पूछे जाने पर भिवानी-महेंद्रगढ़ से भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा, “यह ईडी का नियमित काम है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन हमें इसे राजनीतिक नजरिये से नहीं देखना चाहिए। दान सिंह मेरे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं लेकिन वे मेरे मित्र भी हैं। उन्हें बेहतर पता होगा कि मामला क्या है?”
हालांकि, करनाल में संवाददाताओं से बात करते हुए सीएम नायब सिंह सैनी ने ईडी को एक स्वतंत्र एजेंसी करार दिया, जो जांच करती है और जहां जरूरी होता है, कार्रवाई करती है।
गौरतलब है कि ईडी की कार्रवाई से दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह महेंद्रगढ़ में थे। वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सम्मेलन को संबोधित करने के लिए महेंद्रगढ़ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान पर कटाक्ष किया था।

कर्नाटक में ईडी के छापे
हरियाणा में कांग्रेस विधायक के परिसरों पर छापे को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दबाव बनाने के रूप में भी देखा जा रहा है। हाल ही में कर्नाटक में करोड़ों रुपये के आदिवासी निगम घोटाले के सिलसिले बुधवार को बेंगलुरु और बल्लारी में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व कांग्रेस मंत्री बी नागेंद्र और कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम के अध्यक्ष बसनगौड़ा दद्दल (KMVSTDC) के आवासों और कार्यालयों पर छापेमारी की थी।
कांग्रेस विधायक नारा भरत रेड्डी की संपत्तियों पर छापे
इससे पहले कर्नाटक कांग्रेस विधायक नारा भरत रेड्डी से जुड़ी संपत्तियों पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा फरवरी 2024 में छापे मारे गए थे। इस दौरान जांच एजेंसी ने कहा था कि कांग्रेस नेता ने 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले के महीनों में 42 करोड़ रुपये नकद जुटाए थे। माना जाता है कि इन फंडों का इस्तेमाल गैरकानूनी लेनदेन के लिए किया गया है।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर हुई यह छापेमारी, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत चल रही जांच का हिस्सा थी।