प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को आरोप लगाया कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद और दो अन्य लोगों ने व्यक्तिगत लाभ के लिए एक ट्रस्ट के माध्यम से विकलांग लोगों के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी 71.50 लाख रुपये की “मनी लॉन्ड्रिंग” की है।

69 वर्षीय लुईस खुर्शीद कांग्रेस की पूर्व विधायक हैं। वह उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज से विधायक रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों ने सलमान खुर्शीद की पत्नी को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।

कांग्रेस के भीतर लुईस को मुख्य रूप से उनके पति को पार्टी के कामों या उनकी जनसंपर्क में सहायता करने के लिए ही जाना जाता है। इसके अलावा वह फर्रुखाबाद और उसके आसपास के इलाकों में सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहती हैं।

अपने क्षेत्र में लुईस एक मुखर नेता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। हाल में वह तब समय चर्चा में आई थीं जब कायमगंज में उनकी एक बैठक का वीडियो वायरल हुआ था। उस वीडियो में कथित रूप से उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं से यह कहते हुए सुना गया था कि उन वरिष्ठ नेताओं को आईना दिखाएं जो खुर्शीद या मुझे “नजरअंदाज” करने का ढोंग करते हैं।

ईडी ने क्या कार्रवाई की है?

ED ने फर्रुखाबाद स्थित खेती योग्य 15 जमीनों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इसके अलावा PMLA के प्रावधानों के तहत डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट (फर्रुखाबाद) के बैंक अकाउंट में जमा पैसों को जब्त कर लिया है। जब्त राशि 45.92 लाख रुपये बताई जा रही है।

ED का दावा है कि उसने अपनी जांच में पाया है कि ट्रस्ट ने अनुदान-सहायता के रूप में प्राप्त 71.50 लाख रुपये का उपयोग भारत सरकार द्वारा स्वीकृत शिविरों को आयोजित करने के लिए नहीं किया। बल्कि सरकारी फंड की मनी लॉन्ड्रिंग ट्रस्ट के हित और अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया।

ईडी ने इसमें ट्रस्ट के सचिव मोहम्मद अथर और परियोजना निदेशक लुईस खुर्शीद को आरोपी बनाया है। मामला 2009-10 का बताया जा रहा है। ईडी ने इसे ‘अपराध की आय’ कहा है।

सात फरवरी को जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट

उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा 2017 में दर्ज की गई 17 FIR पर यह मामला आधारित है। 2012 में एक टीवी चैनल द्वारा किए गए “स्टिंग” से कथित रूप से पता चला कि सलमान खुर्शीद के दादा और भारत के तीसरे राष्ट्रपति के नाम पर बने डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट ने कथित तौर पर विकलांगों के बीच कृत्रिम अंगों और व्हीलचेयर के वितरण के लिए सरकार द्वारा दिए गए अनुदान का दुरुपयोग किया था।

टीवी चैनल ने आरोप लगाया कि एनजीओ ने यह साबित करने के लिए सरकारी अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर किए कि धन का उपयोग बताए गए उद्देश्य के लिए ही किया गया है। इस साल सात फरवरी को बरेली की एमपी-एमएलए अदालत ने लुईस खुर्शीद और एक अन्य अभियुक्त के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

2022 में मिले थे 2029 वोट

लुईस ने 2002 में कायमगंज सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। हालांकि 2007 में सीट वापस जीतने में विफल रहने के बाद, उन्होंने 2012 और 2022 का चुनाव फर्रुखाबाद विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और दोनों बार हार गईं। उन्होंने 2017 में चुनाव नहीं लड़ा था।

2007 के चुनावों में लुईस को बसपा के कुलदीप सिंह गंगवार ने लगभग 6,500 मतों से हराया था। 2012 के चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव आयोग ने भाजपा की शिकायत पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। लुईस चुनाव हार गई थीं। वह पांचवें नंबर पर रही थीं। उन्हें 22923 वोट मिले थे। जब उन्होंने 2022 के चुनावों में फिर से फर्रुखाबाद से लड़ा, तो सिर्फ 2,029 वोट मिले।