राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी पर हिन्दू धर्म को नीरस बनाने का आरोप लगाते हुए संस्कृत और पौराणिक कथाओं की विद्वान वेंडी डोनिगर कहती हैं, भाजपा की प्रमुख शाखा के रूप में आरएसएस के उदय के साथ ही हिन्दू धर्म की साझा विरासत को खतरा होने लगा। पिछले कुछ दशकों से आरएसएस की रणनीति और विचारधारा को हिंदू धर्म की आवाज के रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है। लेकिन यह हिन्दू धर्म की आवाज नहीं है। यह राजनीति की आवाज है। पूरे भारत में हिंदू अभी भी हिंदू हैं। हिन्दू अभी भी वही कर रहे हैं जो वे हमेशा करते रहे हैं। वे अपनी कविताएँ पढ़ रहे हैं, अपने देवताओं को पूज रहे हैं, अपनी कहानियाँ सुना रहे हैं।
बाबरी विध्वंस के परिणाम को राजनीतिक से जोड़कर देखते हुए डोनिगर कहती हैं, बाबरी मस्जिद के विध्वंस से गंभीर संदेश गया। अभी उसके परिणाम हम से केंद्र आता देख रहे हैं। बता दें कि अमेरिकी लेखिका वेंडी डोनिगर संस्कृत और पौराणिक कथाओं की विद्वान हैं। इनकी किताब ‘द हिंदूज़: ऐन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री’ को लेकर साल 2014 में भारत में भारी विवाद हुआ था। उग्र विरोध के बाद प्रकाशक पेंगुइन इंडिया को किताब वापस लेना पड़ा था। अब डोनिगर की एक नई किताब आ रही है ‘An American Girl in India’
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान वेंडी डोनिगर ने भाजपा-आरएसएस के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के दावे को खारिज करते हुए कहा, संस्कृति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता नहीं है। संस्कृति जीवित है और अच्छी तरह से है। हिंदू धर्म में बहुत वैरायटी है। जिसे सांस्कृतिक पुनरुत्थानवाद कहा जाता है वह एक तरह से अतिसरलीकरण और विकृति है। डोनिगर का मानना है कि कुछ चीजों और कुछ किताबों तक हिन्दू धर्म को सीमित करना ही सांस्कृतिक पुनरुत्थान है। वो कहती हैं, बताया जाएगा कि ऐसी 10 चीजें हैं जिन पर सभी हिंदू विश्वास करते हैं और दो पुस्तकें हैं जिन्हें सभी हिंदू पढ़ते हैं और इसे ही सांस्कृतिक पुनरुत्थानवाद का नाम दे दिया जाएगा। भारत में शायद कुछ लोग हों जो उन 10 चीजों को न जानते हो और उन दो किताबों को नहीं पढ़ा हो। लेकिन वे 100,000 अन्य चीजों को जानते हैं और उन्होंने 10 अन्य किताबें पढ़ीं हैं। वास्तव में यही एक जीवंत संस्कृति है। लेकिन इस दौर में टेलीविजन और जनसंचार के दूसरे माध्यमों से दुनिया में सभी संस्कृतियां खतरे में हैं।
हिन्दू धर्म के विस्तार को समझाते हुए डोनिगर कहती हैं, एक विचार यह है कि पूजा करने के लिए कई देवता हैं। उसकी पूजा की जाएगी। दूसरे भी अपने देवता की पूजा करेंगे। लेकिन यह विचार खुद पूजा करने और दूसरों को पूजा करने देने तक सीमित नहीं है। बल्कि विचार यह है कि मैं किसी अन्य अवसर पर दूसरे भगवान की पूजा कर सकती हूं। यह एक ऐसी भावना है जो मुझे विशेष रूप से हिंदू लगती है, चाहे आपकी धार्मिक रुचि कुछ भी हो आप संकीर्ण अर्थों में एकेश्वरवादी नहीं होंगे।
अपने सहयोगी रामानुजन (कवि और भाषाविद्) के हवाले से डोनिगर कहती हैं, कोई भी भारतीय पहली बार महाभारत या रामायण के बारे में नहीं सुनता है। रामानुज ‘हिंदू’ के बजाय ‘इंडियन’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं और उनका ऐसा करना सही है क्योंकि वे ग्रंथ भी भारत में जैनियों, बौद्धों, यहूदियों, ईसाइयों के साथ-साथ मुसलमानों की दुनिया का भी हिस्सा हैं। यह विशेष रूप से लोगों की साझा विरासत है जिसे मैं हिंदू कहूंगी। सभी मान्यताओं के हिंदुओं के बीच एक कथा बंधन है, जिसमें वास्तव में मुस्लिम भी शामिल हैं।