लोकसभा चुनाव-2024 से पहले देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने चंदा जुटाने के लिए 100 साल पुराने अभियान को याद किया है। कांग्रेस ने धन जुटाने के लिए सोमवार (18 दिसंबर, 2023) को ‘डोनेट फॉर देश’ नाम से ऑनलाइन क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को दिल्ली में ऑनलाइन क्राउडफंडिंग अभियान शुरुआत करते हुए कहा, “Donate for Desh अभियान, हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों को बनाए रखने, असमानताओं को पाटने और गिने-चुने पूंजीवाद लोगों का पक्ष लेने वाली, तानाशाही सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष बनने की प्रतिबद्धता है। यह पहल 1920-21 में महात्मा गांधी जी के ऐतिहासिक ‘तिलक स्वराज कोष’ से प्रेरित है। भारतीय संविधान के मूल्यों को सुरक्षित रखने एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 138 वर्ष पुराने गौरवशाली इतिहास को संजोए रखने का ये देशव्यापी आंदोलन है।”
भाजपा की संपत्ति कांग्रेस से आठ गुना ज्यादा
बता दें पार्टी पिछले कुछ महीनों में कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव जीती है और अब 2024 की तैयारी में जुट गई है। फंडिंग के मामले में कांग्रेस अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा के आगे कहीं नहीं टिक रही है। भाजपा की संपत्ति कांग्रेस से आठ गुना ज्यादा है। वहीं सभी राष्ट्रीय पार्टियों से दो गुना ज्यादा है।
चुनावी बॉन्ड का 57 प्रतिशत पैसा (5,271.97 करोड़) भाजपा के हिस्से
राजनीतिक दलों ने साल 2017 से इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के जरिए चंदा लेना शुरू किया था। तब से 2022 तक इस स्कीम के तहत जितना चंदा दिया गया है कि उसका 57 प्रतिशत भाजपा को मिला है और सिर्फ 10 प्रतिशत कांग्रेस के हिस्से गया है। 2017 से 2022 के बीच कुल 9,208.23 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके, जिसमें से 5,271.97 करोड़ रुपये के बॉन्ड भाजपा और 952.29 करोड़ के बॉन्ड कांग्रेस को मिले।
क्या है कांग्रेस का प्लान?
कांग्रेस पार्टी ने 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों से न्यूनतम 138 रुपये या 1380 रुपये या 13,800 रुपये… इसी तरह के गुणकों में दान मांगा है। पार्टी ने अपने सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को कम से कम 1380 रुपए का योगदान देने को कहा। पार्टी का दावा है कि यह भारत में किसी भी पार्टी द्वारा किया गया ‘सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग’ अभियान होगा। यह ऑनलाइन अभियान पार्टी के 138वें स्थापना दिवस (28 दिसंबर) तक जारी रहेगा।
अभियान का ऑनलाइन चरण पूरा होने के बाद, पार्टी हर बूथ के कम से कम 10 घरों से दान मांगने के लिए जमीनी स्तर पर अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। पार्टी ने स्थापना दिवस (28 दिसंबर) के मौके पर नागपुर में एक ‘विशाल रैली’ की भी घोषणा की है। रैली में देश भर से कांग्रेस पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं के शामिल होने की उम्मीद है। 2018 में भी कांग्रेस ने पिछले आम चुनावों से पहले एक “आउटरीच-कम-क्राउडफंडिंग” अभियान चलाया था, लेकिन उस अभियान को ज्यादा सफलता नहीं मिली थी।
वर्तमान में कांग्रेस की वित्तीय स्थिति क्या है?
चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार, कोई भी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय पार्टी पैसों के मामले में भाजपा के आस-पास भी नहीं है। भाजपा जब सत्ता में आई थी (2013-14) तो उसकी संपत्ति 781 करोड़ रुपये की थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 6047 रुपये तक पहुंच गई।
अब कांग्रेस की बात करें तो उसकी फंडिंग भाजपा की तुलना में कछुए की चाल से बढ़ रही है। 2013-14 में देश की सबसे पुरानी पार्टी की संपत्ति 767 करोड़ रुपये थी, जो 2019-20 में 929 करोड़ रुपये हुई और 2021-22 में लुढ़क कर 806 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
2021-22 में पब्लिक डोनेशन और चुनावी बॉन्ड से कांग्रेस के खाते में 541 करोड़ रुपये आए, वहीं भाजपा 1917 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रही।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में कांग्रेस का रिजर्व फंड 763.73 करोड़ रुपये था। यह पिछले वित्त वर्ष (2020-21) से 124.87 करोड़ रुपये अधिक है। 2021-22 में भाजपा का रिजर्व फंड 6,041.64 करोड़ रुपये था। यह पिछले वित्त वर्ष (2020-21) से 1082.64 करोड़ रुपये अधिक है। स्पष्ट है यह कांग्रेस की बढ़ोतरी से लगभग 10 गुना ज्यादा है।
गांधी के प्रयास को आगे बढ़ा रही है कांग्रेस!
कांग्रेस ने कहा है कि उसका अभियान महात्मा गांधी के ऐतिहासिक ‘तिलक स्वराज कोष’ से प्रेरित है। अब सवाल उठता है कि यह तिलक स्वराज कोष क्या था?
कांग्रेस ने दिसंबर 1920 में नागपुर में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की याद में ‘तिलक स्वराज फंड’ लॉन्च किया था। तिलक की 1920 में ही अगस्त माह में मौत हुई थी। वह गांधी से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे।
‘तिलक स्वराज फंड’ का उद्देश्य “स्वराज” लाने में सहयोग करने वाले असहयोग आंदोलन के लिए धन जुटाना था। बंबई से शुरू किया गया यह अभियान एक करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य के साथ अप्रैल से जून 1921 तक चला। तय किया गया था कि फंड में बंबई से 60 लाख रुपये और देश के बाकी हिस्सों से 40 लाख रुपये जुटाए जाएंगे। जून के अंत तक, फंड एक करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर सफल साबित हुआ।