दिल्ली के आबकारी घोटाले में अरेस्ट किए गए अरविंद केजरीवाल के उप मुख्य मंत्री मनीष सिसौदिया ने आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने दलील दी कि शीर्ष अदालत उनके मामले में सुनवाई कर ठोस फैसला ले। सिसौदिया की पैरवी कर रहे अभ‍िषेक मनु स‍िंघवी ने मनीष स‍िसोद‍िया को राहत दिलाने के ल‍िए अरनब गोस्वामी और विनोद दुआ के मामलों का हवाला भी दिया। लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सिंघवी से दो टूक कहा कि ये सारी चीजें दिल्ली हाईकोर्ट को क्यों नहीं बताते। उनकी अर्जी पर विचार करने से मना कर दिया गया। सिसौदिया 4 मार्च तक सीबीआई की कस्टडी में हैं। उन्होंने भारतीय संविधान के आर्टिकल 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट से अपने मामले में दखल देने की अपील की थी।

सीजेआई बोले- 482 सीआरपीसी के तहत जा सकते हैं हाईकोर्ट

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि आप अरेस्ट को चैलेंज कर रहे हैं। आपको सीबीआई की कस्टडी से भी दिक्कत है। आप आर्टिकल 32 का हवाला देकर जमानत मांग रहे हैं। लेकिन आपको ये सारी सुविधा हाईकोर्ट में मिल सकती है। आप 482 सीआरपीसी के तहत दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी अपील डाल सकते हैं। वो सही गलत देखकर फैसला ले लेंगे।

सिंघवी ने सीजेआई की बेंच से कहा कि अरनब गोस्वामी और विनोद दुआ को सुप्रीम कोर्ट ने सीधे राहत दी थी। बेंच ने कहा कि अरनब गोस्वामी का केस पहले हाईकोर्ट गया था। उसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट में आया था। जबकि विनोद दुआ का मामला कुछ आलोचनात्मक खबरों को लेकर था। सिंघवी का कहना था कि मनीष सिसौदिया ने सीबीआई के सारे समन का जवाब दिया। वो जांच में शामिल भी हुए। लिहाजा उनको रिमांड पर लेना गलत है। सिंघवी का कहना था कि एजेंसी की दलील है कि सिसौदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। लेकिन ये आरोप सरासर गलत है।

आठ घंटे की पूछताछ के बाद अरेस्ट हुए थे सिसौदिया

गौरतलब है कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया को बीते दिन सीबीआई ने 8 घंटे की पूछताछ के बाद अरेस्ट किया था। दिल्ली की एक अदालत से उन्हें 4 मार्च तक रिमांड पर भेज दिया गया था। स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एमके नागपाल ने उनको रिमांड पर भेजने का फैसला दिया था।