यदि किसी को बचपन में उच्च रक्तचाप की समस्या रही है, तो उसे 50 वर्ष की आयु के बाद हृदय रोग से मौत की आशंका बढ़ सकती है। सात वर्ष की आयु में उच्च रक्तचाप की समस्या होने से 50 वर्ष की आयु के बाद हृदय रोग के कारण मौत का खतरा बढ़ सकता है। एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह बात कही है। उन्होंने नियमित तौर पर बच्चों के रक्तचाप की जांच कराने और हृदय को स्वस्थ बनाए रखने पर जोर दिया है। भारत में करीब सात फीसदी बच्चों में उच्च रक्तचाप की समस्या है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मुताबिक, शहरी बच्चों की अस्वास्थ्यकर खानपान की आदत के कारण उनमें उच्च रक्तचाप की समस्या देखी जा रही है। अभिभावकों को अपने बच्चों को शीतल पेय, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों, ‘जंक फूड्स’ आदि से बचाना चाहिए। बच्चों में खेलकूद, व्यायाम आदि जैसे शारीरिक अभ्यास की आदत डालनी चाहिए।
अगले पांच दशकों में बढ़ सकता है मृत्यु का जोखिम 40 से 50 फीसद
शोध की प्रमुख लेखक और अमेरिका में स्थित ‘नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय’ के ‘स्कूल आफ मेडिसिन’ में सहायक प्रोफेसर एलेक्सा फ्रीडमैन ने कहा, ‘बचपन में उच्च रक्तचाप की समस्या होने से अगले पांच दशकों में मृत्यु का जोखिम 40 से 50 फीसद तक बढ़ सकता है।’ शोधकर्ताओं ने ‘अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के हाइपरटेंशन साइंटिफिक सेशन 2025’ में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए। यह शोध ‘द जर्नल आफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ (जेएएमए) में भी प्रकाशित हुआ है।
यूएस कालेबोरेटिव पेरिनेटल प्रोजेक्ट (सीपीपी) में 1959 और 1966 के बीच नामांकित महिलाओं से जन्मे लगभग 38,000 बच्चों पर छह दशक तक शोध किया गया। इस शोध के दौरान 2016 में कुल 2,837 प्रतिभागियों की मृत्यु हुई, जिनमें से 504 की मृत्यु हृदय रोग के कारण हुई। लेखकों ने लिखा, ‘1959 और 1966 के बीच पैदा हुए अमेरिकी बच्चों में सात वर्ष की आयु में उच्च रक्तचाप की समस्या थी, जिसकी वजह से समय से पहले (हृदय संबंधी रोग के कारण) मृत्यु का जोखिम पाया गया।’ फ्रीडमैन ने कहा, ‘हमारे निष्कर्षों के हिसाब से बचपन में रक्तचाप की जांच कराते रहने और हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का महत्त्व उजागर हुआ है।’