महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सहयोगी एनसीपी के खिलाफ एक बार फिर बीजेपी के भीतर से आवाज उठी है। बीजेपी के दो नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी को एनसीपी के साथ गठबंधन नहीं रखना चाहिए। इन नेताओं में महाराष्ट्र बीजेपी के प्रवक्ता गणेश हाके और दिलीप देशमुख का नाम शामिल है। दिलीप देशमुख ने कहा है कि महाराष्ट्र की सरकार में शामिल तीन दलों में से बीजेपी और शिवसेना भाई जैसे हैं जबकि एनसीपी बीजेपी के सौतेले भाई की तरह है। उन्होंने कहा कि एनसीपी के कार्यकर्ताओं की वजह से बीजेपी के कार्यकर्ताओं को बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ा है।

देशमुख ने यह भी आरोप लगाया कि अजित पवार विकास के लिए आने वाले फंड को बांटने में भेदभाव करते हैं। देशमुख ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम एनसीपी को नहीं चाहते और उन्हें यह समझ नहीं आता कि एनसीपी को महायुति में क्यों शामिल किया गया है। हमने पहले भी उनका विरोध किया था और अब भी उनका विरोध करते हैं।

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अज‍ित पवार (ऊपर) और देवेंद्र फड़णवीस की फाइल फोटो (Source-PTI)

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से ही एनसीपी के खिलाफ लगातार आवाज महायुति में उठ रही है। लोकसभा चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन भी एनसीपी का ही रहा था।

लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ 1 सीट जीत सकी एनसीपी

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 923
कांग्रेस131
एनसीपी14
एनसीपी (शरद चंद्र पवार)8
शिवसेना (यूबीटी)9
शिवसेना 718

दिलीप देशमुख के बयान के बाद महाराष्ट्र की सरकार में उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार ने भी तीखे शब्दों में इसका जवाब दिया। उन्होंने नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमारी पार्टी के कार्यकर्ता इसका मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात की है। अगर बीजेपी के लोग इसी तरह बयानबाजी करते रहे तो हमारे कार्यकर्ता भी इसका जवाब दे सकते हैं।”

पवार ने कहा कि वह इस तरह की बातों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते और अपना काम कर रहे हैं।

महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े (कुल सीटें- 288)

राजनीतिक दलमिली सीटें
बीजेपी105
कांग्रेस44
एनसीपी (अविभाजित)54
शिवसेना (अविभाजित)56
निर्दलीय 13

बेमेल विवाह जैसा है गठबंधन: बीजेपी प्रवक्ता

इसके अलावा बीजेपी के प्रवक्ता गणेश हाके ने कहा है कि यह बात सच है कि ना तो एनसीपी इस गठबंधन को पसंद करती है और न ही बीजेपी। हमारे साथ उनका गठबंधन ऐसा ही है जैसा नाकाबिल लोगों के साथ। हाके ने कहा कि यह गठबंधन पूरी तरह से एक बेमेल विवाह जैसा है। हाके ने अपनी बात को और साफ करते हुए कहा कि अगर हम इस गठबंधन के साथ आगे बढ़ेंगे तो हमें विधानसभा चुनाव में इसका नुकसान होगा।

गणेश हाके ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान एनसीपी के नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस के खेमे में दिखाई दिए थे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या गठबंधन के धर्म का पालन करना सिर्फ बीजेपी की जिम्मेदारी है?

निश्चित रूप से इस तरह के बयान महाराष्ट्र में महायुति के भीतर एक नई लड़ाई छेड़ सकता है क्योंकि इससे पहले भी बीजेपी और संघ के नेताओं की ओर से एनसीपी के साथ गठबंधन ना बनाए रखने की बात सामने आ चुकी है।

ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि राज्य में सरकार चला रहा एनडीए गठबंधन क्या महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले दरक जाएगा?

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महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन की बढ़ेंगी मुश्किलें?। (Source- FB)

मंत्री ने कहा था- उल्टी हो जाती है

कुछ दिन पहले ही शिंदे सरकार के मंत्री और शिवसेना के नेता तानाजी सावंत ने कहा था कि वह एक कट्टर शिव सैनिक हैं और जब वह कैबिनेट में एनसीपी के नेताओं के बगल में बैठते हैं तो इसके बाद उन्हें उल्टी हो जाती है। उन्होंने कहा था कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनके बयान पर एनसीपी ने सख्त नाराजगी जताई थी और मांग की थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को तानाजी सावंत को अपनी सरकार से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए।

जिस तरह के हालात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र में महायुति के अंदर बन रहे हैं निश्चित रूप से उससे यह साफ है कि अगर इस गठबंधन ने चुनाव से पहले अपने सभी मतभेदों को दरकिनार नहीं किया तो उसके लिए विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में वापस आना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

इस तरह के बयानों से पता चलता है कि निश्चित रूप से महायुति के अंदर हालात बेहद खराब हैं।

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NCP प्रमुख अजित पवार (Source- PTI)

कब-कब उठी आवाज़?

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद आरएसएस से संबंधित एक साप्ताहिक मराठी पत्रिका में भी कहा गया था कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से गठबंधन किए जाने की वजह से ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है। आरएसएस के विचारक रतन शारदा ने ऑर्गेनाइजर में लिखे अपने लेख में कहा था कि महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ गठबंधन करना बीजेपी के लिए सही फैसला नहीं था।

महा विकास अघाड़ी उठा सकता है फायदा

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में हो सकते हैं। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले जब राज्य में सरकार चला रहे दलों के बीच आपसी लड़ाई चल रही है तो इससे विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी में शामिल दलों को निश्चित रूप से फायदा हो सकता है। लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के बाद महा विकास अघाड़ी में शामिल दलों के हौसले बुलंद हैं।

एनसीपी के खिलाफ लगातार उठ रही इस तरह की आवाजों की वजह से बीजेपी निश्चित रूप से परेशान है। क्या वह एनसीपी के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ने के फैसले पर विचार कर सकती है? उसे इस बात का अंदाजा है कि विधानसभा चुनाव में इसका नुकसान जरूर हो सकता है।