बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को नरेंद्र मोदी कैबिनेट 3.0 में शामिल किए जाने के बाद अब पार्टी में नए अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है क्योंकि बीजेपी में ‘एक व्यक्ति-एक पद’ का नियम लागू है।

जेपी नड्डा का अध्यक्ष पद पर कार्यकाल इस साल जून में समाप्त हो गया था। बीजेपी में इन दिनों इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी को जल्द ही एक कार्यकारी अध्यक्ष मिल सकता है।

बीजेपी के अगले अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी। यह प्रक्रिया तब शुरू होगी जब पार्टी इस महीने अपने सदस्यता अभियान को शुरू करेगी। हमेशा की तरह सबसे पहले पार्टी की स्थानीय कमेटी के चुनाव होंगे, इसके बाद मंडल कमेटियों, जिला कमेटियों, क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय कमेटियों के चुनाव होंगे।

इन सभी कमेटियों में अध्यक्ष का चुनाव होगा और जो भी व्यक्ति अध्यक्ष चुना जाएगा वह अपनी टीम के पदाधिकारियों को नियुक्त करेगा। एक बार जब आधे राज्यों के चुनाव हो जाएंगे तो फिर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसके बाद बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी टीम और इसके पदाधिकारियों का ऐलान करेंगे।

रतन शारदा ने कहा कि बीजेपी ने इस चुनाव में 25% दल-बदलुओं को टिकट दिया।

कभी नहीं हुआ अध्यक्ष पद पर चुनाव

1980 में बीजेपी का गठन हुआ था और इसके बाद इसमें कभी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं हुआ। पार्टी का संविधान कहता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक निर्वाचन मंडल का प्रावधान भी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन करने वाला हमेशा एक ही शख्स होता है और बाद में उसे निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया जाता है।

2009 की हार के बाद गडकरी बने थे अध्यक्ष

जब बीजेपी कमजोर होती है, तब आरएसएस इसके अध्यक्ष के चुनाव में अहम भूमिका अदा करता है, जैसा 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था। 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद नितिन गडकरी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में महाराष्ट्र से दिल्ली लाया गया था क्योंकि आरएसएस यह चाहता था कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद वह पार्टी की जिम्मेदारी संभालें। तब लोकसभा में बीजेपी के सांसदों की संख्या गिरकर 116 पर पहुंच गई थी।

जब बीजेपी मजबूत होती है और केंद्र में सरकार चला रही होती है, जैसा पिछले 10 सालों से हो रहा है तो प्रधानमंत्री और उनके कुछ विश्वस्त लोग ही पार्टी अध्यक्ष के उम्मीदवार के चयन में अहम रोल अदा करते हैं। चुना गया नेता नामांकन दाखिल करता है और उसका निर्विरोध निर्वाचन हो जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो बीजेपी में कभी भी अध्यक्ष पद के लिए वैसा चुनाव नहीं हुआ जैसा कांग्रेस में 2022 में देखने को मिला था। तब कांग्रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर अध्यक्ष पद के चुनाव में आमने-सामने थे और कांग्रेस में भी ऐसा चुनाव पहले कभी-कभार ही हुआ था।

बीजेपी को यूपी में हुआ 29 सीटों का नुकसान। (Source-PTI)

साल 2022 से पहले 2000 में कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने की लड़ाई हुई थी, जब सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद अध्यक्ष पद के चुनाव में मैदान में उतरे थे। 2013 में बीजेपी में एक वक्त ऐसा मौका आया था, जब अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की स्थिति बन गई थी और तब पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा ने नामांकन पत्र खरीद लिया था।

एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर होगा चुनाव

बीजेपी के संविधान के मुताबिक, अगर नामांकन वापस लेने की तारीख के बाद एक से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में होते हैं तो सभी राज्यों की राजधानी में चुनाव अधिकारियों के द्वारा चुनाव कराया जाएगा। इसके बाद सील किए हुए वैलिड बॉक्स को दिल्ली लाया जाएगा और मतों की गिनती की जाएगी। जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, उसे जीता हुआ घोषित कर दिया जाएगा हालांकि पार्टी में ऐसा कभी भी नहीं हुआ।

अगर बीजेपी वास्तव में किसी कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति करती है तो इस बारे में पार्टी का संसदीय बोर्ड फैसला करेगा। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि संसदीय बोर्ड इस संबंध में बैठक कर सकता है लेकिन यह भी संभव है कि पार्टी के शीर्ष नेता बोर्ड के सभी सदस्यों से फोन पर बात कर लें और इस बात का फैसला कर लें कि पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष कौन होगा। ऐसी स्थिति में बोर्ड की बैठक नहीं होगी।

बीजेपी के नेता ने कहा कि अगर ऐसा तत्काल किया जाना जरूरी होगा तो संसदीय बोर्ड खुद भी एक पूर्णकालिक अध्यक्ष का नाम दे सकता है और पार्टी की राष्ट्रीय परिषद 6 महीने के भीतर इसका समर्थन कर सकती है।

लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी हेडक्वार्टर में पीएम मोदी (Source- PTI)

अध्यक्ष के कार्यकाल को लेकर संशोधन

बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के लगातार तीन-तीन साल के दो कार्यकाल हो सकते हैं। यह संशोधन 2012 में किया गया था जब आरएसएस चाहता था कि नितिन गडकरी लगातार दूसरी बार पार्टी के अध्यक्ष बनें लेकिन तब अंतिम चरण में राजनाथ सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया था और वह 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद तक इस पद पर बने रहे थे। उनके बाद अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष बने थे।

कौन हैं बीजेपी के सक्रिय सदस्य?

बीजेपी के संविधान के मुताबिक, बीजेपी के सक्रिय सदस्य वे हैं जो 3 साल तक पार्टी के प्राथमिक सदस्य रहे हैं और उन्होंने पार्टी की सदस्यता लेने के लिए 100 रुपये की धनराशि जमा की है। भारत का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 साल या इससे ज्यादा हो, इस धनराशि को देकर 6 साल के लिए बीजेपी का प्राथमिक सदस्य बन सकता है।

पार्टी के सक्रिय सदस्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पार्टी के द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लें। उनसे यह भी अपेक्षा होती है कि वे राज्य या केंद्रीय स्तर पर पार्टी की पत्रिका को सब्सक्राइब करें। पार्टी के सक्रिय सदस्य ही मंडल या इससे ऊपर की कमेटियों के चुनाव लड़ सकते हैं।

बीजेपी की स्थानीय कमेटी में कम से कम 25 सदस्य होते हैं। पार्टी के संविधान के अनुसार 5,000 से ज्यादा की आबादी में स्थानीय कमेटी का गठन नहीं होगा। मंडल कमेटी स्थानीय कमेटी से और जिला कमेटी मंडल कमेटी से ऊपर होती है।

बीजेपी का संविधान कहता है कि कोई भी ऐसा शहर जिसकी आबादी 5 लाख से ज्यादा हो उसे एक जिला समझा जाएगा। बीजेपी की राज्य इकाई किसी ऐसे शहर को जिसकी आबादी 20 लाख से ज्यादा हो, उसे एक से ज्यादा जिलों में बांट सकती है।

बीजेपी का संविधान कहता है कि कोई भी शख्स जो पार्टी की प्राथमिक सदस्यता का फॉर्म भरता है, उसे दीन दयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद’, राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय एकता, लोकतंत्र, सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर गांधीवादी दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा करनी होगी। बीजेपी का सदस्य बनने की इच्छा रखने वालों को यह भी घोषित करना होगा कि वे एक धर्मनिरपेक्ष देश के विचार पर भरोसा रखते हैं और धर्म पर आधारित देश के खिलाफ हैं, वे जाति, लिंग या धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते हैं।