भाजपा ने बुधवार को पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर ‘पाकिस्तानी पत्रकार’ नुसरत मिर्ज़ा के दावों के हवाले से निशाना साधा। नुसरत मिर्ज़ा ने दावा किया है कि उसे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने साल 2005-2011 के बीच पांच बार दिल्ली बुलाया और बातचीत के दौरान खुफिया और संवेदनशील जानकारियां साझा कीं। मिर्ज़ा का कहना है कि उसने उन जानकारियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ शेयर किया।

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भाजपा ने अंसारी और कांग्रेस दोनों से इस बाबत जवाब मांगते हुए कहा कि उन्हें इन यात्राओं का विवरण साझा करना चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब भाजपा की तरह से अंसारी को निशाना बनाया गया है या कथित  पाकिस्तानी संबंधों को उठाया गया है। उप राष्ट्रपति रहने के दौरान भी भाजपा द्वारा अंसारी पर इस तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं।

भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए अंसारी ने कहा है, ”ऐसे मामलों में मैं राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता से जुड़ा हूं और उन पर टिप्पणी करने से बचता हूं। भारत सरकार के पास इस बारे में सभी जानकारी है और वो ही सच बताने वाली एकमात्र अथॉरिटी है।

हामिद अंसारी प्रतिष्ठित राजनयिक रहे हैं। उन्हें यूपीए द्वारा उप-राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था। सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद अंसारी ही वह शख्सियत हैं, जिन्होंने लगातार दो बार भारत का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद संभाला और दोनों ही कार्यकाल को सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके दूसरे कार्यकाल का तीन साल, जो 2017 में समाप्त हुए, मोदी सरकार के दौरान रहा।

इस साल की शुरुआत में इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने एक परिचर्चा सत्र का आयोजित किया था। परिचर्चा में पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी के अलावा अमेरिका के चार सांसद भी शामिल हुए थे। अंसारी ने कहा था, ”हाल के वर्षो में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती है और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नई और काल्पनिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है। यह धार्मिक बहुमत की आड़ में चुनावी बहुमत पेश करना चाहता है… यह नागरिकों को उनके धार्मिक विश्वास के आधार पर बांटना चाहता है।”

तब विदेश मंत्रालय ने अंसारी के बयान और परिचर्चा के आयोजन पर सवाल उठाते हुए प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं के गत इतिहास और इसके प्रतिभागियों के पूर्वाग्रहों और राजनीतिक सरोकारों से सभी अच्छी तरह परिचित हैं। यह दावा कि दूसरों को हमारे संविधान की रक्षा करने की आवश्यकता है, एक बेतुका बयान है।

पूर्व उप-राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद हामिद अंसारी की आत्मकथा ‘बाय मैनी अ हैप्पी एक्सीडेंट’ प्रकाशित हुई थी। इसमें अंसारी ने दावा किया कि पीएम मोदी उनपर हंगामे के बीच राज्यसभा में बिलों को पारित कराने का दबाव डालते थे। अंसारी के मुताबिक, पीएम ने उनसे कहा, आपसे उच्च जिम्मेदारियों की उम्मीदें हैं लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं।

2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और मणिशंकर अय्यर पर आरोप लगाया था कि वे गुजरात चुनाव को प्रभावित करने के इरादे से दिल्ली में पाकिस्तानी राजनयिकों से मिले। संसद में हंगामे के बाद, सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट किया था, “मैं स्पष्ट रूप से बता दूं कि प्रधानमंत्री का इरादा डॉ मनमोहन सिंह या हामिद अंसारी की इस राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना था।”

कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले हामिद अंसारी ने नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के 25वें सालाना दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए,  धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों को दोहराना और पुनर्जीवित करने को आज की चुनौती बताया था। साथ ही दलितों, मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों के लिए चिंता जताते हुए बढ़ रही असुरक्षा की ओर इशारा किया था। अपने विदाई भाषण में भी अंसारी ने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की बात दोहराई थी।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हामिद अंसारी के कार्यकाल की तारीफ करते हुए ही, उनके द्वारा उठाए सवालों पर प्रतिक्रिया भी दे दी थी। पीएम ने कहा था, ”पिछले दस वर्षों में ये संविधान संबंधित काम आपके जिम्मे आया और आपने उसे बखूबी निभाया। हो सकता है शायद कोई छटपटाहट रही होगी भीतर आपके अंदर भी, लेकिन आज के बाद शायद वो संकट आपको नहीं रहेगा। मुक्ति का आनंद भी रहेगा और अपनी मूलभूत प्रवृत्ति के अनुसार कार्य करने का, सोचने का और बात बताने का अवसर भी मिलेगा।”