Devendra Fadnavis Maharashtra CM Race 2024: महाराष्ट्र में जितनी धमाकेदार और बड़ी जीत महायुति को मिली है, उससे महा विकास अघाड़ी (MVA) में शामिल दल तो पूरी तरह पस्त हो गए हैं लेकिन एक बड़ी चुनौती महायुति गठबंधन का नेतृत्व कर रही बीजेपी के सामने खड़ी हो गई है। चुनौती इस बात की है कि महायुति की ओर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा? महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और इस लिहाज से सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए लेकिन बीजेपी ने इस चुनाव में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए अकेले दम पर ही 133 सीटें जीत ली हैं।
इसके बाद एकनाथ शिंदे की शिव सेना ने 57 और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है। इन आंकड़ों से यह साफ है कि महायुति के पास स्पष्ट बहुमत है और उसे बहुमत के मामले में परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।
लेकिन सवाल यह है कि इतने शानदार प्रदर्शन के बाद बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी एकनाथ शिंदे के पास कैसे जाने देगी?

ज्यादा विधायक होने के बाद भी शिंदे को बनाया था सीएम
यहां याद दिलाना होगा कि जून, 2022 में जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) की सरकार एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद गिर गई थी तो बीजेपी ने शिंदे के पास कम विधायकों का समर्थन होने के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। 5 साल मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थे और बाद में एनसीपी से बगावत करने वाले शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी सरकार में शामिल हुए और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
पिछली सरकार में शामिल इन तीनों दलों ने लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव भी मिलकर लड़ा। लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों के बाद इन दलों ने विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है। इसमें भी बीजेपी का स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर रहा है।
स्ट्राइक रेट के मामले में कहीं आगे है बीजेपी
बीजेपी ने 149 सीटों पर चुनाव लड़कर 133 सीटें जीती हैं और उसका स्ट्राइक रेट 89% रहा है जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद 57 सीटों पर जीत हासिल की है और उसका स्ट्राइक रेट 68% और अजित पवार की एनसीपी ने 59 सीटों पर चुनाव लड़ा और 41 सीटें अपनी झोली में डाली। इस पार्टी का स्ट्राइक रेट 69% रहा। तुलना करें तो बीजेपी अपने सहयोगी दलों से स्ट्राइक रेट के मामले में कहीं आगे है और इतने शानदार प्रदर्शन के बाद ऐसा नहीं लगता कि वह मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर किसी तरह का समझौता करेगी।
…बाज की असली उड़ान बाकी है
चुनाव नतीजे आने के बाद भले ही बीजेपी ने कहा है कि महायुति में शामिल दल मिलकर मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बात का फैसला करेंगे। लेकिन बीजेपी के कई नेताओं ने स्पष्ट संकेत दिया है कि इस बार मुख्यमंत्री पद पर समझौता नहीं होगा। देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा है कि बाज की असली उड़ान बाकी है। उन्होंने चुनाव नतीजों के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह आधुनिक अभिमन्यु हैं और चक्रव्यूह को भेदना जानते हैं। फडणवीस के बयानों से साफ है कि इस बार वह फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
लेकिन अगर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं तो ऐसी स्थिति में एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद पर समझौता करना पड़ सकता है। अजित पवार को बीजेपी मना सकती है लेकिन क्या शिंदे इसके लिए तैयार होंगे?
शिंदे को सीएम देखना चाहती है शिव सेना
शिवसेना के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “चुनाव नतीजों से साफ है कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के समर्थन की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है लेकिन हमें उम्मीद है कि वह गठबंधन धर्म का पालन करेगी और किसी को भी नजरअंदाज नहीं करेगी।” शिवसेना के नेता ने अपनी पसंद बताते हुए कहा कि वह एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना पसंद करेंगे।
लगभग कुछ ऐसा ही जवाब एनसीपी के एक नेता ने भी दिया और कहा कि क्योंकि हम सभी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा है और बड़ी जीत दर्ज की है इसलिए हम नई सरकार में भी एक साथ ही रहेंगे। चुनाव नतीजों के बाद एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि हम लोग साथ रहेंगे और सहमति के बाद ही सीएम के चेहरे पर फैसला करेंगे।
शिवसेना को बिहार जैसे बर्ताव की उम्मीद
शिवसेना के एक नेता ने कहा कि बिहार में बीजेपी बड़ा दल है लेकिन फिर भी उसने कम सीटें जीतने वाली जदयू के नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया है। शिवसेना के नेताओं को ऐसी उम्मीद है कि ऐसा ही बीजेपी महाराष्ट्र में भी करेगी और एकनाथ शिंदे सीएम की कुर्सी पर बने रहेंगे। दूसरी ओर, एनसीपी अजित गुट के नेताओं को भी उम्मीद है कि अब उनके नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा।
सहयोगी दलों के समर्थन की है जरूरत
एक अहम बात यह है कि बीजेपी के पास केंद्र की सरकार में अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं है। ऐसे में उसे सहयोगी दलों के समर्थन की सख्त जरूरत है। शिवसेना शिंदे गुट के पास 7 और अजित गुट के पास एक सांसद है। ऐसे में उसे केंद्र की सरकार चलाने के लिए इन दलों का समर्थन भी चाहिए। इस तरह की भी चर्चा है कि बीजेपी और एकनाथ शिंदे ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री के फ़ॉर्मूले पर आगे बढ़ सकते हैं।

2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने और उसके बाद उस साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए थे तो बीजेपी ने अकेले दम पर चुनाव लड़कर 122 सीटें जीती थी लेकिन इस बार उसने इस आंकड़े को भी पीछे छोड़ दिया है और वह भी तब जब लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद चुनावी मुकाबला बेहद कठिन था।
अंत में बड़ी और अंतिम बात यही है कि अगर बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अड़ गई तो वह एकनाथ शिंदे को कैसे मनाएगी क्योंकि ढाई साल तक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहने के बाद एकनाथ शिंदे भी इस कुर्सी पर अपना दावा नहीं छोड़ेंगे। ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में इन दलों के भीतर मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर लड़ाई देखने को मिल सकती है।