प्रजनन दर कम करने के लिए महिलाओं की शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार (7 नवंबर) को विधानसभा में जो कहा, वह अब विवाद का रूप ले चुका है। सीएम को अपने वक्तव्य के लिए न सिर्फ माफी मांगनी पड़ी है, बल्कि खुद की ही निंदा भी करनी पड़ी है। हालांकि ऐसा करने बाद भी विवाद थम नहीं रहा है।
महिला शिक्षा और प्रजनन दर का कनेक्शन
बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। बीते मंगलवार को बिहार सरकार ने सभी जातियों की आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की। दरअसल, जातियों की गिनती के दौरान, सरकार ने सभी जातियों की आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का भी सर्वे कराया था। जातियों का आंकड़ा पहले ही सार्वजनिक किया जा चुका है।
सात नवंबर को विधानसभा में रिपोर्ट पर सभी दल के नेताओं ने बात रखी। अंत में नीतीश कुमार बोले। वह बोलते-बोलते महिलाओं की शिक्षा और प्रजनन दर पर पहुंचे। ये दोनों मुद्दे बिहार सरकार के लिए ज्वलंत रहे हैं। साल 2005 में सत्ता संभालने के बाद से नीतीश कुमार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाएं लड़कियों की शिक्षा के इर्द-गिर्द रही है।
13 करोड़ की जनसंख्या वाला बिहार हाई पॉपुलेशन डेंसिटी (कम जमीन पर अधिक आबादी) के मामले में भारत के शीर्ष राज्यों में है। इस तरह राज्य के लिए आबादी भी एक प्रमुख मुद्दा रहा है। प्रजनन दर कम कर जनसंख्या नियंत्रण किया जा सकता है। बिहार सरकार प्रजनन दर कम करने के लिए महिलाओं की शिक्षा पर जोर देती है। इस तरह ये दोनों मुद्दे एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। बल्कि, 2020 में नीतीश कुमार ने कहा था कि प्रजनन दर और महिलाओं की शिक्षा से जुड़े आंकड़ों ने उनकी आखें खोल दी थी और तभी उन्हें प्रेरणा मिली थी कि बिहार की सभी लड़कियों को शिक्षित करना है।
नीतीश ने 2020 में प्रजनन दर और महिलाओं की शिक्षा पर कही थी ये बात
7 नवंबर, 2023 को नीतीश कुमार ने जो कहा वह 2020 में कही गई अपनी ही बात को सही साबित करने के लिए कह रहे थे। साल 2020 में सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं की शिक्षा और प्रजनन दर का डेटा पढ़ते हुए बताया था कि कैसे यह उनके लिए ‘यूरेका का क्षण’ साबित हुआ। इसी से उनकी सरकार को यह संकल्प लेने की प्रेरणा मिली कि बिहार की सभी लड़कियों को शिक्षित करना है। तब उन्होंने कहा था, ‘मैट्रिक पास महिलाओं के प्रजनन दर का राष्ट्रीय औसत 2 है। बिहार में भी इस वर्ग की महिलाओं का औसत यही है। 12वीं तक पढ़ी महिलाओं के बीच का आंकड़ा ज्यादा उत्साहजनक है। इनके बीच राष्ट्रीय औसत 1.7 है, जबकि बिहार में यह 1.6 के साथ इससे बेहतर है।’
इस आंकड़े को ‘यूरेका मोमेंट’ बताते हुए तब सीएम ने कहा था, “अगर सभी लड़कियों को कम से कम इंटरमीडिएट तक शिक्षित किया जाता है, तो इससे न केवल बिहार की प्रजनन दर में कमी आएगी, बल्कि लड़कियों का मनोबल भी बढ़ेगा और वे आत्मनिर्भर बनेंगी।” तब नीतीश कुमार ने याद किया था कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला था, तब बिहार की प्रजनन दर (नवंबर 2005) 4.3 थी।
सीएम ने क्या कहा?
सीएम नीतीश कुमार ने डेटा पढ़ते हुए बताया कि महिलाओं की साक्षरता दर 51.5 प्रतिशत से बढ़कर 73.91 प्रतिशत हो गई है। मैट्रिक पास करने वाली लड़कियों की संख्या 24,81,000 से बढ़कर 55,90,000 हो गई है। इंटरमीडिएट पास करने वाली लड़कियों की संख्या 12,55,000 से बढ़कर 42,11,000 हो गई है। वहीं स्नातक या उससे आगे की डिग्री लेने वाली लड़कियों की संख्या 4,35,000 से बढ़कर 34,61,000 हो गई है।
प्रजनन दर को नियंत्रित करने में शिक्षा किस तरह महिलाओं के लिए मददगार साबित हो रहा है, इस पर रोशनी डालते हुए सीएम ने बताया कि पहले दर 4.9 प्रतिशत थी। अब घटकर 2.9 प्रतिशत हो गई है। लड़कियां पढ़ रही हैं इसलिए प्रजनन दर कम हो रही है। हम प्रजनन दर को 2.9 से 2 करना चाहते है।
नीतीश कुमार ने इन बातों को आंचलिकता में लिपटी अपनी भाषा के माध्यम से कही। उन्होंने प्रजनन की प्रक्रिया में पुल आउट मेथड को संकेतक लेकिन आम बोलचाल के लहजे में बताया। इस तरीके में पेनिट्रेशन के बाद इजैक्यूलेशन से पहले पुरुष अपने लिंग को योनि से बाहर निकाल लेते हैं, ताकि वीर्य गर्भाशय में न पहुंचे, जिससे गर्भ ठहरने की संभावना रहती है।
नीतीश कुमार ने बताया कि शिक्षित महिलाएं यौन संबंध के दौरान पुरुषों के वीर्य को अपनी मर्जी के बिना योनि में नहीं जाने दे रही हैं, और इसके लिए वह पुल आउट मेथड का इस्तेमाल कर रही हैं।