आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हरियाणवी कार्ड चल दिया है। हरियाणा के जगाधरी में रोड शो के दौरान केजरीवाल ने खुलकर कहा कि उनकी रगों में हरियाणा का खून दौड़ रहा है। केजरीवाल ने गर्व के साथ खुद को हरियाणवी बताया। लेकिन सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल का हरियाणवी कार्ड कितना काम करेगा?
अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी घोटाले में जमानत मिलने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि केजरीवाल हरियाणा की सियासी जमीन को नापेंगे और अब ऐसा होता दिख भी रहा है। तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बन चुके केजरीवाल हरियाणा की कई विधानसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर अरविंद केजरीवाल के हरियाणा में चुनाव प्रचार को लेकर भी अच्छा-खासा माहौल तैयार कर दिया है।
खबर में आगे बढ़ने से पहले जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा?
…मेरी दवाई भी बंद कर दी
केजरीवाल ने रोड शो के दौरान कहा, ‘आप लोगों ने देखा होगा मुझे जेल में डाल दिया था झूठे फर्जी केस करके। मैं 5 महीने तक जेल में रहा। सीधा जेल से आप लोगों के बीच में आ रहा हूं। इन लोगों ने मुझे तोड़ने की बहुत कोशिश की, जेल में मुझे बहुत यातनाएं दी गई। सामान्य मुजरिमों को जो सुविधाएं मिलती हैं वह भी मुझे नहीं दी गई। मेरी दवाई भी बंद कर दी गई।’
निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल ने यह सब कहकर हरियाणा की जनता से अपना भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करने की कोशिश की है। यहां बताना जरूरी होगा कि अरविंद केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा के हिसार जिले के सिवानी के रहने वाले हैं। अरविंद केजरीवाल ने खुद को हरियाणवी बताते हुए आगे कहा, ‘यह लोग मुझे तोड़ना चाहते थे लेकिन इन लोगों को यह नहीं पता कि मैं हरियाणा का हूं।’
केजरीवाल के बयान पर रोड शो में मौजूद कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने जोरदार तालियां बजाई और अरविंद केजरीवाल जिंदाबाद के नारे लगाए। केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं में जोश भरते और हरियाणवी गौरव को आगे रखते हुए कहा कि तुम किसी को भी तोड़ सकते हो, हरियाणा वाले को नहीं तोड़ सकते।
केजरीवाल ने राजनीतिक कौशल और समझदारी के साथ हरियाणवी कार्ड को भुनाने की कोशिश करते हुए कहा कि उनके साथ जो भी कुछ केंद्र सरकार और बीजेपी ने किया है हरियाणा का बच्चा-बच्चा उसका बदला लेगा। उन्होंने लोगों से पूछा कि यहां के लोग इसका बदला लेंगे या नहीं, इस पर उनके समर्थकों ने फिर से केजरीवाल जिंदाबाद के किनारे लगाए और तालियां बजाई।
हरियाणा पर है केजरीवाल का फोकस
यहां याद दिलाना होगा कि दिल्ली में 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही अरविंद केजरीवाल का पहला फोकस हरियाणा में चुनाव लड़ने का था। केजरीवाल लगातार पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए हरियाणा जाते थे और राज्य इकाई के संयोजक सुशील गुप्ता को उन्होंने राज्यसभा भी भेजा था।
केजरीवाल जब जेल में थे तब भी हरियाणा में चुनाव प्रचार का काम जारी था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने मोर्चा संभाला हुआ था। इससे पता चलता है कि पार्टी का फोकस हरियाणा पर ज्यादा है।
अरविंद केजरीवाल की गैर हाजिरी में ही आम आदमी पार्टी हरियाणा में पांच गारंटियों को लांच कर चुकी थी।
अकेले चुनाव लड़ रही आप
लोकसभा चुनाव 2024 में आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था लेकिन विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों की मांग को लेकर कांग्रेस से गठबंधन नहीं हो पाया। इसके बाद पार्टी ने राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया।
अब बात करते हैं कि हरियाणवी कार्ड का कितना असर हो सकता है?
किसी भी राज्य से कोई भी शख्स आगे निकलकर जब राजनीति में या किसी और क्षेत्र में मुकाम हासिल करता है तो निश्चित रूप से उसका अपने राज्य के लोगों से और उस राज्य के लोगों का उस शख्स से एक भावनात्मक रिश्ता जुड़ जाता है। राजनीति में तो भावनात्मक रिश्ते बहुत काम करते हैं। जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली आने के बाद भी जब गुजरात जाते हैं तो कहते हैं कि उन्हें गुजरात से मिलने वाली ऊर्जा काम करने की ताकत देती है। वह बार-बार खुद को गुजरात का बेटा बताते हैं।
सुनीता ने बताया खुद को हरियाणा की बहू
केजरीवाल ने खुद को हरियाणवी और गर्व से हरियाणवी बताकर ऐसा ही भावनात्मक संबंध हरियाणा के लोगों से जोड़ने की कोशिश की है। जब केजरीवाल जेल में थे तब उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी चुनाव प्रचार के दौरान होने वाली जनसभाओं में केजरीवाल को हरियाणा का लाल बताती थीं। वह खुद को हरियाणा की बहू बताते हुए लोगों से कहती थीं कि उनके पति को बिना कोई जुर्म किए हुए ही बीजेपी के लोगों ने जेल में डाला हुआ है। वह भी लोगों से सवाल पूछती थीं कि क्या आप केजरीवाल के साथ हुए अन्याय का बदला लेंगे?
आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान जो गाना लॉन्च किया गया है उसमें अरविंद केजरीवाल को हरियाणा का लाल बताया गया है।
भावनात्मक रिश्ते के बाद बात करते हैं राजनीतिक असर की। हरियाणा की सीमाएं पंजाब और दिल्ली से लगती हैं। दिल्ली और पंजाब में बड़े बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार है। दिल्ली में नरेला से लेकर बवाना और नजफगढ़ तक के इलाके हरियाणा की सीमा को छूते हैं और फरीदाबाद से लेकर गुड़गांव में भी दिल्ली की सीमा लगती है।
हरियाणा में जब आप आगे बढ़ेंगे तो सिरसा, पंचकूला, अंबाला के इलाके पंजाब को छूते हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की पत्नी मूल रूप से हरियाणा के पेहोवा की रहने वाली हैं। इसलिए दिल्ली और पंजाब से लगने वाले हरियाणा के इलाकों में आम आदमी पार्टी का खास फोकस है।
आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में आप सरकार के द्वारा किए गए कामों को हरियाणा के लोगों को बता रही है। अगर केजरीवाल का भावनात्मक हरियाणवी कार्ड और दिल्ली और पंजाब के साथ ही हरियाणा का आम आदमी पार्टी का संगठन चुनाव में पूरी ताकत झोंक दे तो निश्चित रूप से केजरीवाल और आम आदमी पार्टी कुछ सीटों पर बड़ा उलटफेर कर सकते हैं और कुछ सीटों पर चुनाव भी जीत सकते हैं।
हालांकि हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था लेकिन यह भी सच है कि तब पार्टी ने इतने दमखम और ताकत के साथ चुनाव नहीं लड़ा था। हरियाणा के राजनीतिक विशेषकों के मुताबिक अगर आम आदमी पार्टी 10 से 15 सीटों पर मजबूत ढंग से चुनाव लड़ी तो निश्चित रूप से कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है।
किंगमेकर बन पाएगी आप?
केजरीवाल ने जिस तरह हरियाणवी कार्ड चला है और जेल में उनके साथ हुई घटनाओं को भावनात्मक मुद्दा बनाने की कोशिश की है, उससे कुछ हद तक उन्हें सहानुभूति मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा हुआ तो पिछले चुनाव की तरह निश्चित रूप से हरियाणा में आम आदमी पार्टी भी किंग मेकर बन सकती है जिस तरह पिछले चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी जेजेपी ने 10 सीटें जीत ली थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी अपने दम पर बहुमत लाने में सफल नहीं हो सके थे और इसी वजह से बीजेपी को जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी थी।
केजरीवाल हरियाणवी कार्ड चलने के साथ ही दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकारों के द्वारा किए गए कामों को भी लोगों के बीच बता रहे हैं। ऐसे में भावनात्मक रिश्ता जोड़ने के साथ ही वह विकास को भी चुनाव में मुद्दा बना रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा की जनता उन्हें कितना समर्थन देगी।