भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार (14 फरवरी) को महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए तीन उम्मीदवारों की घोषणा की। इसमें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी और अजीत गोपचड़े का नाम शामिल हैं।
चव्हाण का नामांकन पहले से तय था। लेकिन पार्टी ने कुलकर्णी और गोपचड़े को मैदान में उतारकर राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया है। अजीत गोपचड़े का नाम विशेष रूप से आश्चर्यचकित करता है। उन्हें बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की घटना में शामिल बताया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं:
कौन हैं अजीत गोपचड़े?
अजीत गोपचड़े नांदेड़ जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की है। नेता बनने से पहले डॉक्टर भी रहे हैं और अब भी प्रैक्टिस करते हैं। उनका आरएसएस/भाजपा के साथ लंबे समय से जुड़ाव रहा है। भाजपा के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि गोपचड़े कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे। उन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
गोपचड़े उन लोगों में से थे जो बाबरी मस्जिद विध्वंस के दिन घटनास्थल पर मौजूद थे। गोपचड़े, उन युवाओं के समूह में शामिल थे जिन्होंने मस्जिद पर चढ़कर तस्वीरें खिंचवाई थीं।
बाबरी विध्वंस पर आडवाणी के इंटरव्यू में मराठी बोलने वालों का जिक्र
साल 2000 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पत्रकार प्रणय रॉय को एक इंटरव्यू दिया था। इंटरव्यू में आडवाणी ने बाबरी विध्वंस वाले दिन का एक किस्सा बताया था, जिसमें मराठी बोलने वालों का जिक्र आता है। आडवाणी से रॉय का सवाला था कि उन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कुछ किया क्यों नहीं?
इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेता ने जवाब दिया कि उन्होंने भीड़ को बाबरी से नीचे उतारने के लिए उमा भारती को भेजा था। उमा गई भी थीं, लेकिन असफल होकर लौटीं। उन्होंने आडवाणी को बताया था कि जो लोग सबसे ऊपर चढ़े हुए हैं, वो मराठी बोल रहे हैं। वो मेरी बात नहीं सुन रहे हैं। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)
राज्य विधान परिषद के लिए कर दिया था नामांकन, लेकिन
अजीत गोपचड़े महाराष्ट्र भाजपा डॉक्टर सेल के प्रमुख हैं। उन्हें जी-20 शिखर सम्मेलन कार्यक्रमों के लिए पार्टी समिति में भी नामित किया गया था। गोपचड़े को जन कल्याण चिकित्सा शिविरों और सामाजिक सेवा गतिविधियों के आयोजन में सक्रिय भूमिका के लिए जाना जाता है। भाजपा ने मई 2020 में राज्य विधान परिषद चुनावों के लिए गोपचड़े की सिफारिश की थी। गोपचड़े ने नामांकन पत्र भी दाखिल किया था, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने अपना निर्णय बदल दिया और उनकी उम्मीदवारी को दिवंगत गोपीनाथ मुंडे और उनकी बेटी पंकजा मुंडे के करीबी विश्वासपात्र रमेश कराड से बदल दिया गया।
फिर भी डटे रहे गोपचड़े
उम्मीदवारी खत्म किए जाने के बावजूद, गोपचड़े ने पार्टी के भीतर अपनी गतिविधियां जारी रखीं। उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित करके, भाजपा ने उनके के योगदान को स्वीकार किया है और लिंगायत समुदाय को एक सकारात्मक संदेश दिया है। गोपचड़े लिंगायत समुदाय से आते हैं। उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत कर भाजपा महाराष्ट्र में लिंगायत समुदाय तक पहुंच बनाने की कोशिश करती नजर आ रही है।

चौथे नाम की भी हो सकती है घोषणा!
भाजपा द्वारा जारी आधिकारिक सूची में केवल तीन नाम लिखे हैं। लेकिन द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पार्टी चौथे उम्मीदवार के नाम की योजना बना रही है। राज्यसभा सूची से यह भी संकेत मिलता है कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों में बीड से पंकजा मुंडे और सिंधुदुर्ग-रत्नागिरी से केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मैदान में उतार सकती है, जिसके कारण 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा चुनावों के लिए उनके नामों पर विचार नहीं किया गया है।