Hilsa Fish: बंगाल की पसंदीदा और प्रसिद्ध हिलसा ना सिर्फ परंपरा का खास हिस्सा मानी जाती है बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में भी बहुत महत्व रहा है। हिलसा मछली मानसून के रीति-रिवाजों से गहराई से जुड़ी हुई है। मानसून इलिश का सीजन है। हिलसा मछली बंगालियों के लिए उतनी ही पवित्र है, जितना पंजाबियों के लिए राजमा होता है। इसी मछली ने शेख हसीना की शरण को लेकर बांग्लादेश के साथ भारत के राजनयिक संबंधों से भी ज्यादा क्षेत्रों के बीच दरार को गहरा कर दिया।

दुर्गा पूजा के नजदीक आते ही कई लोगों को हैरानी हुई कि हिलसा के बिना दुर्गा पूजा का त्योहार कैसे मनाया जाएगा। बांग्लादेश भारत को सालाना 3,000-5,000 टन मछली निर्यात करता है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना भारत में मौजूद हैं। कूटनीति का हवाला देते हुए बांग्लादेश ने हिलसा मछली के निर्यात पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। हिलसा कूटनीति ने लंबे समय से सीमा पार बंगाल की राजनीति में अहम भूमिका निभाई।

बांग्लादेश ने हिलसा मछली का उत्पादन दोगुना किया

बांग्लादेश और भारत का बार्डर दुनिया के सबसे लंबे बार्डर में से एक है। यह करीब 4,096 किलोमीटर से ज्यादा है। भारत और बांग्लादेश का व्यापार भी काफी रहा है। बांग्लादेश ने हाल के सालों में अपने हिलसा उत्पादन को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। जैसे-जैसे दुर्गा पूजा पास में आती है तो हिल्सा की मांग बढ़ जाती है और उसकी कीमत भी उसी के हिसाब से तय होती है।

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हिलसा मछली पर कूटनीति

पिछले रविवार को बांग्लादेश सरकार ने पश्चिम बंगाल और भारत भर के बंगालियों को दुर्गा पूजा का सबसे बढ़िया तोहफा दिया है। उन्होंने ऐलान किया कि 3,000 टन हिलसा भारत को निर्यात की जाएगी। इस दुर्गा पूजा में हिलसा मछली बंगालियों की थाली में होगी। हिल्सा पर कूटनीति कभी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पंसदीदा रणनीति थी।

उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को हिलसा भेजी और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 30 किलो हिलसा गिफ्ट करके भारत के साथ जल विवाद को सुलझाने की कोशिश भी की। लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने इस साल इस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया। बांग्लादेश के मत्स्य मंत्रालय की सलाहकार फरीदा अख्तर ने घोषणा की थी कि बांग्लादेश से बैन होने के बाद भी भारत में कई सारी मछलियां जा रही है। इस बार हम हिलसा मछली को बार्डर पार नहीं जाने देंगे।