अमेरिका ने अफगानिस्तान के विकास के लिए उसे एक अरब डॉलर की सहायता देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने गुरुवार (15 सितंबर) को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत (अफगानिस्तान के) भविष्य में निवेश करने का इच्छुक है, हम इस तथ्य को एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखते हैं और भारत के प्रयास की प्रशंसा करते हैं।’ टोनर ने कहा, ‘हम भारत की उदारता और उसके द्वारा अफगानिस्तान पर ध्यान केंद्रित किए जाने का समर्थन करते हैं। इसके साथ ही हम अफगानिस्तान को ऐसा मजबूत, स्वतंत्र देश बनाने में मदद करने की भारत की इच्छा का निस्संदेह समर्थन करते हैं जो मजबूत आर्थिक विकास कर सके, जहां निश्चितता हो और जिसमें स्वयं की रक्षा करने एवं अपने लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की क्षमता हो।’

उनसे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की यात्रा के दौरान मोदी द्वारा की गई घोषणा के बारे में प्रश्न पूछा गया था। मोदी ने युद्ध ग्रस्त देश को एक अरब डॉलर की और मदद करने की घोषणा की थी। भारत अफगानिस्तान को सर्वाधिक असैन्य सहायता देने वाले देशों में टोनर ने कहा कि अमेरिका दक्षिण एवं मध्य एशिया में सभी देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंधों का समर्थन करता है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की ओर से अफगानिस्तान पाकिस्तान पारगमन एवं व्यापार समझौते (एपीटीटीए) पर दिए गए बयानों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में टोनर ने कहा, ‘हम क्षेत्र के सभी देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंधों को प्रोत्साहित करेंगे।’

एपीटीटीए पर वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किए गए थे। टोनर ने कहा, ‘मैं अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता पर बात नहीं करूंगा। अफगानिस्तान एक संप्रभु देश है और उसके अपने अधिकार हैं- उसके पास इस बारे में अपने निर्णय लेने का अधिकार है कि वह किसके साथ व्यापारिक संबंधों को अनुमति देता है। लेकिन वृहद स्तर पर बात करें, तो यह क्षेत्र के हित में है। हमारी रणनीति का हमेशा सतत लक्ष्य रहा है कि सभी देशों के बीच मजबूत संबंधों को प्रोत्साहित किया जाए।’

उन्होंने कहा, ‘हम क्षेत्र में मजबूत व्यापारिक संबंधों को समर्थन देंगे। हम बहुत पहले से यह कह रहे हैं कि यह कम से कम अमेरिका की प्राथमिकता है और यह इलाके के सभी देशों की प्राथमिकता होनी चाहिए कि वे मिलकर अधिक सहयोगात्मक एवं रचनात्मक तरीके से काम करें और एक व्यापार समझौता उसी का हिस्सा होगा।’