दो दिन पहले अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों और दो नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इन पर आरोप है कि इन्होंने यूक्रेन में युद्ध के दौरान रूस की मदद की। इन कंपनियों ने मॉस्को को मिलिटरी एप्लीकेशंस में इस्तेमाल की जा सकने वाली सामग्री और तकनीक की आपूर्ति की है। इनमें से ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सप्लायर हैं, जबकि कुछ विमान के पुर्जे और मशीन टूल्स और उसके हिस्सों के अलावा अन्य वस्तुओं की सप्लाई करती हैं। अमेरिका ने रूस को लेकर भारत की कुछ कंपनियों पर पहले भी प्रतिबंध लगाया था, लेकिन ताजी कार्रवाई में जितनी कंपनियों को टारगेट किया गया है, वह असामान्य रूप से अधिक है।

इस कार्रवाई से प्रतिबंधित संस्थाओं और लोगों के मालिकाना वाली अमेरिकी संपत्ति और कंपनियों को ब्लॉक कर दिया गया है, और अमेरिकी संस्थाओं को उनके साथ लेन-देन करने पर रोक लगा दी गई है। अमेरिका के बाहर भी इनके साथ किसी भी तरह के लेन-देन करने वाले लोगों और फर्मों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। भारत सरकार ने अभी तक इस घटनाक्रम पर कोई रुख नहीं जाहिर किया है। इस बारे में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को भेजे गए सवालों का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।

भारतीय कंपनियों की वस्तुओं में से कई रूस के लिए बहुत अहम

कई प्रतिबंध दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के रूस को निर्यात से संबंधित हैं। इनका उपयोग सिविल और मिलिटरी दोनों के लिए किया जा सकता है। ऐसी कई वस्तुएं अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और यूनाइटेड किंगडम द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई कॉमन हाई प्रायोरिटी लिस्ट (CHPL) का हिस्सा हैं। इसमें कई ऐसी वस्तुओं की सूची है जिन्हें रूस “अपने हथियार कार्यक्रमों के लिए खरीदना चाहता है।”

अगस्त में इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट की थी कि अमेरिकी सरकार के अधिकारी भारतीय कंपनियों और निर्यातकों को रूस को दोहरे उपयोग वाले सामान की सप्लाई करने से रोकने के लिए सचेत कर रहे हैं, क्योंकि इससे पश्चिम के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। यह चेतावनी तब जारी की गई थी, जब रूस को दोहरे उपयोग वाली तकनीक की सप्लाई करने में अपनी कथित भूमिका के लिए बेंगलुरु स्थित एक कंपनी पर प्रतिबंध लगाया गया था।

अमेरिकी ट्रेजरी की चेतावनी, भारतीय बैंकों को जोखिमों से किया गया आगाह

इसके अलावा रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल की शुरुआत में एक अमेरिकी ट्रेजरी अधिकारी ने भारतीय बैंकों को आगाह किया था कि रूस के मिलिटरी-इंडस्ट्रियल बेस से जुड़े वित्तीय संस्थानों को अमेरिकी वित्तीय प्रणाली तक पहुंच खो देने का जोखिम है। अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को एक बयान में कहा, “चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, तुर्किये और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसी देशों में स्थित कंपनियां रूस को ऐसी वस्तुएं बेच रही हैं जो उसके सैन्य उद्योग के लिए जरूरी हैं। इनमें वो चीजें भी शामिल हैं, जिन पर रूस यूक्रेन के खिलाफ अपने युद्ध के लिए निर्भर है।”

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि वह भारत, चीन, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और तुर्किये समेत 17 जगहों पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। इन प्रतिबंधों में “रूस के सैन्य उद्योग के लिए जरूरी सामग्री” के रूसी आयातकों और उत्पादकों को भी टारगेट किया गया है। दिल्ली की एक विमान स्पेयर पार्ट्स कंपनी, एसेंड एविएशन, और उसके दो निदेशकों – विवेक कुमार मिश्रा और सुधीर कुमार – को अमेरिका ने रूस को कुछ वस्तुएं भेजने से रोक दिया है, जिसमें अमेरिकी मूल के विमान के पुर्जे भी शामिल हैं। एक और भारतीय कंपनी, मास्क ट्रांस, पहले से ही प्रतिबंधित है और उसे एक रूसी फर्म को विमान के पुर्जे सप्लाई करने से रोका गया है।

इसके अलावा, अमेरिका ने प्रतिबंधित रूसी कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे सप्लाई करने वाली दो भारतीय कंपनियों, टीएसएमडी ग्लोबल और फ्यूट्रेवो, पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसके अलावा मॉस्को को दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं सप्लाई करने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की नई प्रतिबंध सूची में 15 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इनमें अभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज, डेनवास सर्विसेज, एम्सिस्टेक, इनोवियो वेंचर्स, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, और आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज शामिल हैं। इन कंपनियों को विभिन्न घटकों और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स समेत इलेक्ट्रॉनिक्स की सप्लाई करने से रोका गया है।

गैलेक्सी बियरिंग्स और ऑर्बिट फिनट्रेड भी सूची में हैं। ये एक प्रतिबंधित रूसी कंपनी को रोलर बियरिंग्स और रोलर असेंबली की आपूर्ति करने के लिए टारगेट की गई हैं। मशीन टूल्स निर्यातक खुशबू होनिंग, लोकेश मशीन, और शार्पलाइन ऑटोमेशन भी प्रतिबंधित भारतीय संस्थाओं में शामिल हैं। इसके अलावा शौर्य एयरोनॉटिक्स, श्रीजी इम्पेक्स, और श्रेया लाइफ साइंसेज को रूसी कंपनियों को विभिन्न दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकी की सप्लाई करने से रोका गया है।

रूस को भारत से मशीनों, ऑटो पार्ट्स, स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों, आंतरिक दहन इंजन, पंप, और अन्य वस्तुओं का निर्यात बढ़ रहा है। “इंजीनियरिंग सामान” श्रेणी में निर्यात लगभग दोगुना होकर 2023 में 1 बिलियन डॉलर के पार चला गया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में रूस को भारत का कुल निर्यात 40 प्रतिशत बढ़कर 4 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो मुख्य रूप से इंजीनियरिंग सामानों की वजह से है, जो 2022 में 680 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 1.32 बिलियन डॉलर हो गया है।

निर्यात में यह वृद्धि रूस के बढ़ते रक्षा निवेश के साथ मेल खाती है। जुलाई में, विश्व बैंक ने बताया कि रूस में आर्थिक गतिविधि 2023 में सैन्य-संबंधी गतिविधियों में वृद्धि से प्रभावित रही। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2023 में रूस का सैन्य खर्च 24 प्रतिशत बढ़कर लगभग 109 बिलियन डॉलर हो गया।