अमेरिका में तीन नवंबर, 2020 को राष्ट्रपति चुनाव हैं। चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे मौजूदा राष्ट्रपति और एक बार फिर से रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अपने प्रचार अभियान को तेज करने में जुटे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने फिर से अप्रवासी विरोधी एजेंडे को हवा देना शुरू कर दिया है। हालांकि, अमेरिकी मतदाता ट्रंप प्रशासन के कोरोना वायरस और उससे होने वाले आर्थिक नुकसान से निपटने के तरीके से खासा खफा माने जा रहे हैं।

2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी ट्रंप को अप्रवासी विरोधी कार्ड खेलने का काफी फायदा मिला था। वह एक बार फिर से इसी तरीके को अपनाना चाहते हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी ट्रंप ने अप्रवासियों को लेकर नए कानून लागू लिए और वर्क वीजा, एच-1बी वीजा जैसे प्रावधानों पर अस्थायी तौर से रोक लगा दी। साथ ही ऑनलाइन क्लास लेने वाले छात्रों को भी देश छोड़ने का फरमान सुना दिया गया था।

ट्रंप प्रशासन ने इसके अलावा नवंबर में होने वाले चुनाव से पहले आव्रजन से संबंधित कुछ और प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी कर रहा है। प्रशासन ने इस कार्य को करने का ज़िम्मा स्टीफन मिलर को सौंपा है। हाल ही मिलर ने एक समाचार एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में दावा किया था कि अप्रवासी मामलों में ट्रंप के सख्त रुख से उनकी पार्टी को आने वाले चुनावों में काफी फायदा मिलेगा।

इस नीति के प्रचार प्रसार के लिए ट्रंप ने फेसबुक को चुना है, क्योंकि करीब 16 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी मतदाता इसका उपयोग करते हैं। बुली पल्पिट इंटरेक्टिव नाम की संस्था के अनुसार अप्रैल से लेकर जून माह तक ट्रंप ने फेसबुक पर अन्य विज्ञापनों की तुलना में आव्रजन थीम वाले विज्ञापन लगाने के लिए सबसे ज्यादा खर्च किये हैं।

इन विज्ञापनों में दावा किया जा रहा है कि अगर आने वाले चुनाव में ट्रंप के विरोधी और डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बाइडेन को जीत मिलती है तो अमेरिका में रहने वाले अवैध अप्रवासियों को स्थायी बना दिया जाएगा और आम अमेरिकियों की नौकरी इन लोगों को दे दी जाएगी। अमेरिकी वोटर्स इन विज्ञापनों से काफी प्रभावित हो रहे हैं और यह मान कर चल रहे हैं कि अगर ट्रंप दोबारा चुनाव नहीं जीतते हैं तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

कोरोना वायरस से हुए आर्थिक नुकसान की वजह से अमेरिकी वोटरों में नौकरी सुरक्षित रखने की चिंता काफी बढ़ गयी है। वहीं, ट्रंप के अप्रवासी विरोधी विज्ञापनों से उनकी अपनी ही पार्टी के कुछ नेता नाखुश हैं। इन नाखुश नेताओं का कहना है कि ट्रंप ने यह अप्रवासी विरोधी नीति अपने मूल समर्थकों को साधने के लिए बनाया है।

वे यह भी कहते हैं कि कोरोना वायरस से निपटने के ट्रम्प के शिथिल रवैये की वजह से लाखों अमेरिकी नागरिकों को अपनी जान गँवानी पड़ी है और अर्थव्यवस्था में काफी गिरावट आई है। इसके बावजूद ट्रंप अपने अड़ियल रवैये को बनाये हुए हैं।

आव्रजन (इमीग्रेशन) एक ऐसा क्षेत्र है जहां राष्ट्रपति ट्रंप को किसी भी तरह की करवाई करने की शक्ति है, इसलिए बाकी क्षेत्रों की तुलना में यहां सबसे पहले आदेश पारित किये जाते हैं। चाहे भले ही बाद में उस आदेश को अदालत में चुनौती दी जाए। ट्रंप के लिए बीमार अर्थव्यवस्था को पुनःजीवित करना अधिक जटिल है, क्योंकि उन्हें इसके लिए कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता होगी, जिसके एक सदन में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी बहुमत में है। ऐसे में ट्रंप का जोर अप्रवासी नीतियों पर ज्यादा है।