Uyghur Muslims : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चीन में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर मंथन के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था। अमेरिका और कई दूसरे पश्चिमी देश ये प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन यूएन में चीन के खिलाफ लाया गया ये प्रस्ताव गिर गया। 19 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की।
भारत ने भी वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। ऐसे में इस प्रस्ताव के पक्ष में जरूरी वोट इकट्ठा नहीं हो पाए और चीन को इसका सीधा फायदा पहुंचा। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में उइगर मुस्लिमों की स्थिति पर चीन को घेरने की अमेरिका और पश्चिमी देशों की कोशिशों को करारा झटका लगा। 47 सदस्यीय परिषद में भारत और यूक्रेन समेत 11 देशों ने मतदान के समय अनुपस्थित रहकर चीन की परोक्ष तौर पर मदद कर दी।
भारत ने वोटिंग से बनायी दूरी: चीन के खिलाफ प्रस्ताव लाने वाले देशों में कनाडा, डेनमार्क,कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड आइसलैंड, स्वीडन, यूके और अमेरिका शामिल थे। इस प्रस्ताव को तुर्की जैसे देशों ने भी अपना समर्थन दिया था। वहीं, चीन, पाकिस्तान नेपाल जैसे कई दूसरे देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला। भारत, ब्राजील, मेक्सिको, यूक्रेन और आठ अन्य देशों ने वोटिंग से दूरी बना ली। कतर, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान ने चीन को अलग-थलग करने के जोखिम का हवाला देते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
परिषद के 16 साल के इतिहास में केवल दूसरी बार ऐसा हुआ है कि एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। इसे जवाबदेही प्रयासों, मानवाधिकारों पर पश्चिम के नैतिक अधिकार और स्वयं संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर हमले के रूप में देखा जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता नाराज: इस प्रस्ताव के खारिज होने से कई सामाजिक कार्यकर्ता नाराज हैं, जो लोग लंबे समय से चीन में हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे। विश्व उइघर कांग्रेस के अध्यक्ष डोलकुन ईसा ने कहा कि यह वास्तव में निराशाजनक है। डोलकुन ईसा की मां एक शिविर में मर गई और उनके दो भाई लापता हैं। उन्होंने कहा, “हम कभी हार नहीं मानेंगे लेकिन मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया से हम वास्तव में निराश हैं।”
इंटरनेशनल सर्विस फॉर ह्यूमन राइट्स के निदेशक फिल लिंच ने ट्विटर पर वोटिंग रिकॉर्ड को शर्मनाक बताया। एमनेस्टी इंटरनेशनल के जनरल सचिव Agnes Callamard ने कहा कि इस वोटिंग ने उन लोगों को सुरक्षित करने का काम किया है जो लंबे समय से मानवधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।