रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस के खिलाफ अमेरिका और अल्बानिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसौदा प्रस्ताव पेश किया, जिसमें रूस के अवैध जनमत संग्रह और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई। इस प्रस्ताव में यह मांग की गई थी कि रूस, यूक्रेन से अपने सुरक्षा बलों को तत्काल वापस बुलाए। वहीं रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर भारत मतदान से दूर रहा। हालांकि यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका क्योंकि रूस ने इसपर वीटो लगा दिया।

बता दें कि यूएन की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 देश शामिल हैं। 10 देशों ने अमेरिका द्वारा लाए गए प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया, जबकि 4 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वहीं रूस ने वीटो लगाया, जिसके कारण यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में चीन, भारत, ब्राजील और गैबॉन ने हिस्सा नहीं लिया।

प्रस्ताव (रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण) को लेकर वोटिंग पर बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, “हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं। मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र जवाब है। बयानबाजी या तनाव का बढ़ना किसी के हित में नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि वार्ता की मेज पर वापसी के लिए रास्ते खुले। बदलती स्थिति की समग्रता को ध्यान में रखते हुए भारत ने इस प्रस्ताव से दूर रहने का फैसला किया है।”

रुचिरा कंबोज ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी चर्चाओं में स्पष्ट रूप से इसे व्यक्त किया है। इसी तरह हमारे विदेश मंत्री ने उच्च स्तरीय बातचीत के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने हालिया कार्यक्रमों में भी ऐसा ही कहा है।”

रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से बहुत परेशान है और नई दिल्ली ने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं आ सकता है। उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन को पीएम मोदी की टिप्पणी (आज का युग युद्ध का युग नहीं है) का उल्लेख करते हुए कि कंबोज ने कहा कि नई दिल्ली को तत्काल युद्धविराम और समाधान लाने के लिए शांति वार्ता की जल्द बहाली की उम्मीद है।