भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह इसी हफ्ते चीन की यात्रा करेंगे। एक दशक में भारत के किसी गृह मंत्री की पहली चीन यात्रा होगी और इस दौरान दोनों देश सीमा पार के आतंकवाद से मुकाबला और पूर्वोत्तर के आतंकवादियों को चीनी हथियारों की तस्करी जैसे प्रमुख मुद्दों सहित सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे। सिंह की पांच दिवसीय यात्रा 19 नवंबर से शुरू होगी।

इसके पहले 2005 में तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने चीन की यात्रा की थी। सिंह की यह यात्रा जटिल सीमा विवाद को हल करने के लिए तंत्र को व्यवस्थित करते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों में लगातार सुधार की पृष्ठभूमि में हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे शीर्ष भारतीय नेता अपनी यात्रा के दौरान तीन दिन बेजिंग में रहेंगे और उसके बाद दो दिन शंघाई में रहेंगे। प्रधानमंत्री ने इसी साल मई में चीन की यात्रा की थी।

चीन की राजनीतिक व्यवस्था में अपने समकक्ष के साथ बातचीत करने के अलावा सिंह के शीर्ष चीनी नेताओं से भी मिलने की संभावना है। सिंह की यात्रा चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारी की भारत यात्रा के ठीक बाद हो रही है। चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष जनरल फान चांगलोंग ने पिछले दिनों भारत और चीन का दौरा किया था। दोनों देशों की उनकी यह यात्रा चीन के किसी शीर्ष सैन्य अधिकारी की पिछले एक दशक में पहली यात्रा थी।

चीन और भारत दोनों के अधिकारी सिंह की इस यात्रा को राजनीतिक विश्वास तैयार करने के लिए दोनों पक्षों के प्रयासों को मजबूत करने के अवसर के रूप में देख रहे हैं। राजनीतिक विश्वास बनाने करने की पहल चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पिछले साल भारत यात्रा और उसके बाद मोदी की यहां की यात्रा के दौरान शुरू हुई थी।

सीमा पर दोनों देशों के सुरक्षाकर्मियों द्वारा गतिरोध से जुड़े मुद्दों पर ‘परामर्श एवं समन्वय संबंधी कार्यकारी तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) द्वारा विचार किया जा रहा है। सिंह की यात्रा से विभिन्न मोर्चो पर सुरक्षा सहयोग में वृद्धि होने की संभावना है।

चीन ने अपनी ओर से शिनजियांग में अलकायदा से जुड़े ईस्ट तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट के आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है। इन आतंकवादियों के अड्डे पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों में हैं। भारत भी लगातार सीमा पार से आतंकवाद के खतरे का सामना करता है जिसकी जड़ें नियंत्रण रेखा के उस पार पाकिस्तान में हैं।

भारतीय अधिकारियों का जोर इस बात पर है कि विंडबना है कि दोनों देश पाकिस्तान में स्थित एक ‘संयुक्त स्रोत’ से सीमा पार आतंकवादियों के खतरे का सामना करते हैं। आतंकवाद से जुड़े मुद्दों के अलावा सिंह दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर विचार कर सकते हैं। अन्य मुद्दों में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी समूहों को हथियारों की आपूर्ति सीमित करने के लिए चीन द्वारा और अधिक प्रभावी कार्रवाई शामिल है।

आतंकवाद से मुकाबला करने का अनुभव सालाना भारत-चीन संयुक्त सैन्य अभ्यास के पांच दौर का अभिन्न हिस्सा बन गया है। मालूम हो कि सिंह की यात्रा के पहले चीन, जो पाकिस्तान के साथ अपने पुराने संबंधों को 46 अरब डालर के साथ दोनों देशों के बीच आर्थिक कारिडोर के जरिए प्रगाढ़ बना रहा है, ने आतंकवाद रोधी मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान दोनों के संपर्क में रहने की ‘इच्छा’ व्यक्त की है। इससे ऐसी उम्मीदें बनी हैं कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को लेकर नयी दिल्ली की चिंताएं इस्लामाबाद के समक्ष उठा सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने पिछले दिनों कहा था कि चीनी पक्ष आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत, पाकिस्तान सहित अन्य देशों के संपर्क में रहने का इच्छुक है।

प्रवक्ता ने यह टिप्पणी इसी महीने नई दिल्ली में हुई चीन-भारत आतंकवाद विरोधी बातचीत के पहले की थी। बातचीत के पहले भारतीय अधिकारियों ने कहा कि इस बार पाकिस्तान को अपने आतंकवादियों पर लगाम लगाने के लिए राजी करने की खातिर चीन से मदद मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ संबंधों में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में हुवेई जैसी कंपनियों के निवेश पर लगी सभी सुरक्षा रोक हटाना और चीनी पर्यटकों के लिए ई-वीजा सुविधा शामिल हैं।