राष्ट्रपति की सेल्फी और बंगाली अंदाज : क्वागं चाओ में  कैंटोन टावर के पास पर्ल नदी में नौकायन के दौरान प्रणब मुखर्जी प्रोटोकॉल से बाहर निकल कर  ‘सेल्फी मूड’ में पहुंच गए। वहां मौजूद लोगों ने हिचकते हुए अपने-अपने कैमरे आॅन किए तो उन्होंने बेहिचक लोगों के साथ तस्वीरें खिंचवाई। यात्रा के दौरान प्रणब के अंग्रेजी उच्चारण में बंगाली अंदाज की मिठास पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुझे बंगाली अंदाज पर गर्व है और मैंने इसे कभी बदलना नहीं चाहिए। 

अपना चार दिवसीय चीन दौरा खत्म करने से पहले शुक्रवार को राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ सीमा विवाद पर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि इस मसले पर एक उचित और आपस में स्वीकार्य समझौता जल्द होना चाहिए। चीन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ सहयोग की इच्छा जताई है। उन्होंने अपनी इस यात्रा को लाभकारी बताया। राष्ट्रपति एअर इंडिया के विशेष विमान एआइ-1 में अपने साथ यात्रा कर रहे पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘मैं चीनी नेतृत्व की इस बात से सहमत था कि हमें सीमा विवाद का जल्द से जल्द हल ढूंढ़ना चाहिए, लेकिन तब तक सीमा प्रबंधन को मजबूत करते हुए सीमा पर शांति व सुरक्षा को बनाए रखना होगा’। ध्यान रहे, चीन के साथ भारत का क्षेत्रीय विवाद बहुत पुराना है और इसी वजह से सीमा पर लगातार तनाव बना रहता है। इतना ही नहीं भारत और चीन के बीच सीमारेखा व सीमावर्ती इलाकों के आधिपत्य को लेकर भी विवाद है। सूत्रों के मुताबिक,राष्ट्रपति ने चीन के शीर्ष नेताओं के साथ अपनी मुलाकात के दौरान सीमा और आतंकवाद से जुड़े विवादों को जोरदार तरीके से उठाया।

उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद वह महत्त्वपूर्ण मुद्दा था जिस पर मैंने चीन के नेतृत्व से बात की। मैंने चीन के नेताओं से कहा कि आतंकवाद पर पूरे विश्व में एकसमान चिंता है। भारत पिछले तीन दशक से आतंकवाद का शिकार है। आतंकवाद का न तो कोई सिद्धांत होता है और न ही यह किसी भौगोलिक सीमा को मानता है। यह जरूरी है कि इस अभिशाप से सार्वभौमिक स्तर पर लड़ाई लड़ी जाए’। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चीन का रुख सकारात्मक था।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी बैठक में जैश ए मुहम्मद के सरगना मौलाना मसूद का मुद्दा भी उठा उन्होंने कहा, ‘इस स्तर की बातचीत में ऐसे मुद्दे अलग-अलग तरीके से नहीं उठाए जाते। पर हां, चीनी नेतृत्व ने इस बात पर अपनी इच्छा और सहमति जताई कि वे आतंकवाद और
संयुक्त राष्ट में सहयोग को आगे बढ़ाएंगे’। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन भारत के रुख की मुखालफत कर चुका है। उन्होंने कहा कि भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत की सदस्यता के लिए चीन का आभार जताया। चीनी नेताओं ने कहा कि इससे एससीओ मजबूत होगा और क्षेत्रीय संतुलन बढ़ेगा।

प्रणब ने कहा कि इस यात्रा के दौरान अपनी बैठकों के बाद वे यह कह सकते हैं कि वे कामयाब रहीं और जल्द ही फलीभूत भी होंगी। उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि चीन को हमारा खुला नजरिया पसंद आया और उन्होंने इस बातचीत को जल्द ही अगले स्तर पर ले जाने की सहमति दी। इसका असर अक्तूबर में गोवा में होनेवाले ब्रिक्स सम्मेलन और सितंबर में चीन के हांगझोउ में होने वाले जी-20 सम्मेलन में दिखाई देगा। इन बैठकों में दोनों देशों को द्विपक्षीय संवाद जारी रखने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए चीन भी उत्साही है। उन्हें भरोसा है कि दोनों देश 21वीं सदी की इस साझेदारी को नई गति देंगे। मुखर्जी ने इस दिशा में प्रयासों को और आगे बढ़ाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत निमंत्रित किया है जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

परमाणु मुद्दे पर मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने चीनी नेताओं को इस बात से अवगत कराया था कि भारत में बिजली की काफी कमी है और वह देश में ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है। राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी यात्रा और चीनी नेताओं के साथ उनकी वार्ता फलदायी और लाभकारी रही। चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के जियांग जेंगवेई समेत सभी शीर्ष चीनी नेताओं ने भारत की उनकी हालिया यात्राओं को याद किया और द्विपक्षीय संबंध मजबूत होने की उम्मीद जताई। राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमने यह माना कि हमारे संबंध द्विपक्षीय आयामों को बढ़ाते हैं और इनकी क्षेत्रीय और वैश्विक खासियत है। भारत और चीन को न केवल हमारे देशों की जनता के हित में बल्कि पूरी दुनिया की भलाई के लिए भी साथ आना चाहिए’।