पाकिस्तान जूडिशरी और वहां की सरकारों के बीच चल रही तनातनी ने आज उस समय नई शक्ल ले ली, जब POK (पाक अधिकृत कश्मीर) के प्रधानमंत्री को वहां के हाईकोर्ट ने अवमानना के केस में दोषी मानकर सजा सुना दी। प्रधानमंत्री हाथ जोड़कर कोर्ट से रहम की अपील करते रहे। लेकिन हाईकोर्ट ने तरस नहीं खाया। उनकी सांसदी को रद कर दिया गया। फैसले के बाद अब सरदार तनवीर प्रधानमंत्री नहीं हैं। उनके पास केवल एक ही विकल्प है कि वो सुप्रीम कोर्ट जाए। हालांकि उन्होंने अपने इस अधिकार का तुरंत इस्तेमाल किया। वो POK के सुप्रीम कोर्ट गए भी। लेकिन लगता नहीं है कि उन्हें वहां से भी कोई राहत मिलेगी। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर दो सप्ताह बाद की तारीख दी है।
दरअसल, इस्लामाबाद की एक सभा में सरदार तनवीर ने सरकारी कामकाज में दखल का आरोप जड़ दिया था। उनका कहना था कि अदालतें स्टे आर्डर के जरिये सरकार को काम करने से रोक रही हैं। तनवीर ने उस सभा के दौरान सऊदी अरब की सहायता से चलाए जाने वाले एजुकेशन प्रोजेक्ट का जिक्र कर कहा कि अदालत ने स्टे देकर सरकार को अच्छा काम करने से रोक दिया। तंबाकू के कारखानों को बंद करने के मामले में भी तनवीर ने अदालत पर आरोप जड़े। उनका कहना था कि इससे सरकार को मिलने वाला अरबों रुपये का राजस्व खत्म हो गया है।
सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो का संज्ञान लेकर लिया हाईकोर्ट ने एक्शन
हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो का संज्ञान लेकर सरदार तनवीर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। उन्हें सोमवार को नोटिस भेजा गया था कि वो मंगलवार को हाईकोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट में हाजिर रहें। जस्टिस खालिद रशीद ने उनसे पूछा कि क्या वो अपने मामले में कोई दलील देना चाहते हैं।
माफी भी मांगी पर नहीं पिघला POK का हाईकोर्ट
तनवीर का कहना था कि नहीं। वो अदालत की दया पर खुद को छोड़ रहे हैं। उन्होंने हाईकोर्ट से बिना शर्त माफी भी मांग ली। लेकिन हाईकोर्ट का कहना था कि क्या गारंटी है कि वो फिर से इस तरह की हरकत नहीं करेंगे। अपने फैसले में जस्टिस रशीद ने सरदार तनवीर को संसद से अयोग्य घोषित कर दिया।
शाहबाज शरीफ सरकार भी ले रही जूडिशरी से पंगा
ध्यान रहे कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के साथ शाहबाज शरीफ सरकार की तनातनी भी चल रही है। शरीफ सरकार ने संसद के दोनों सदनों में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पर कतरने वाला विधेयक पारित करा लिया है। अभी तक राष्ट्रपति ने उस पर दस्तखत नहीं किए हैं। इस विधेयक के मुताबिक चीफ जस्टिस स्वतः संज्ञान लेने के मामले में सीमित हो जाएंगे। ये अधिकार तीन जजों की समिति के पास चला जाएगा। इसमें चीफ जस्टिस भी होंगे। उधर इमरान खान की पार्टी के नेता फवाद चौधरी ने POK हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि शरीफ को भी सचेत हो जाना चाहिए। जूडिशरी से भिड़ना उन्हें भारी पड़ सकता है।