संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने को खारिज करते हुए भारत ने कहा कि ‘‘यह पूरी तरह संदर्भों से अलग है और उसके अंदरूनी मामलों में ‘‘साफ तौर पर हस्तक्षेप’’ है। भारत ने यह भी कहा कि कश्मीर भारत का हमेशा से अभिन्न हिस्सा रहा है और रहेगा।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजनयिक द्वारा की गई टिप्पणियों पर भारत ने ‘‘जवाब देने के अधिकार’’ का उपयोग करते हुए विश्व संस्थान में भारतीय मिशन के प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को ‘‘जवाब देने के अधिकार’’ का उपयोग करने से बचना चाहिए और इसके बजाय ‘‘आत्मावलोकन’’ के अधिकार का उपयोग कर यह देखना चाहिए कि वह देश किस दिशा में जा रहा है।
विश्व निकाय में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने संस्थान के कामकाज के बारे में महासचिव की रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्ण सत्र के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कश्मीरी कश्मीर विवाद का अभिन्न हिस्सा हैं और इस विवाद का शांतिपूर्ण हल निकालने के लिए कश्मीरियों के साथ परामर्श आवश्यक है।
भारत का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा ‘‘बातचीत की पूर्व शर्त के तौर पर इन विचारविमशो’ को रद्द करने का आह्वान अस्वीकार्य है और इसके कोई परिणाम भी नहीं निकलेंगे।
‘‘जवाब देने के अधिकार’’ का उपयोग करते हुए सिंह ने कहा कि कश्मीर हमेशा से ही भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और रहेगा। सिंह ने कहा ‘‘यह अधिक विडंबना है कि ये टिप्पणियां उस देश की ओर से आई हैं जो भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर के हिस्से पर अपना अवैध कब्जा जमाए हुए है।’’
कश्मीर पर लोधी की टिप्पणियों को सिरे से खारिज करते हुए सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ने जो कहा वह पूरी तरह संदर्भ से परे है और इससे भारत के अंदरूनी मामलों में सीधा हस्तक्षेप होता है। इस बात पर सिंह ने ‘‘गहरा अफसोस’’ भी जाहिर किया कि पाकिस्तान ने बीते कई सप्ताहों में अनेक बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया जिससे भारतीय हिस्से में कई नागरिकों की जान गई। उन्होंने कहा ‘‘भारतीय सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों ने ‘‘इन उकसावों’’ का जवाब दिया है।’’
लोधी के भाषण के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत अशोक मुखर्जी ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि ‘‘यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है’’ कि पाकिस्तान की दूत ने आज हो रही बहस से अलग मुद्दों को संदर्भ के लिए चुना।
उन्होंने कहा ‘‘हमारे पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंध हैं और ऐसे मुद्दों को कहीं भी उठाने के बजाय इन संबंधों के दायरे में सुलझाया जाना चाहिए।’’
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने संबोधन में चार सूत्रीय शांति पहल का ऐलान किया था जिसका जिक्र करते हुए लोधी ने कहा कि प्रस्ताव पर भारत से सकारात्मक प्रक्रिया आनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ‘‘इसके बावजूद पाकिस्तान सभी प्रमुख मुद्दों पर बातचीत करने के लिए तैयार है।’’
सिंह ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में पिछले माह दिए गए संबोधन का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को चार सूत्रों की जरूरत नहीं है बल्कि उसे केवल एक सूत्र चाहिए और वह यह है कि आतंकवाद छोड़ें और हम बैठ कर बातचीत करें।
लोधी ने कहा कि आज इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर और वर्किंग बाउंड्री पर तनाव बढ़ रहा है जिसे कम करने के लिए पाकिस्तान और भारत को हरसंभव कदम उठाने की जरूरत है।
सिंह की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने के लिए पाकिस्तान ने भी ‘‘जवाब के अधिकार’’ का उपयोग किया।
पाकिस्तान मिशन में काउंसेलर सायमा सईद ने भारत पर दोनों देशों के बीच निर्धारित वार्ताओं को रद्द कर बातचीत प्रक्रिया बाधित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा ‘‘मैं यह याद दिलाना चाहती हूं कि पाकिस्तान ने वार्ता प्रक्रिया बाधित नहीं की। यह भारत था जिसने पिछले साल पाकिस्तान के साथ पूर्व निधारित विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द की थी।’’
सायमा ने दावा किया कि अपनी धरती पर पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित है ‘‘जिसमें से कुछ तो हमारे पड़ोसियों की ओर से आ रहा है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि केवल एक सूत्र पर बातचीत को सीमित रखने का भारत का आग्रह यह साबित करता है कि वह वास्तव में बातचीत को लेकर न तो रुचि रखता है और न ही गंभीर है। ‘‘आतंकवाद की थीम का उपयोग करते हुए भारत ने न केवल द्विपक्षीय वार्ता बाधित कर दी बल्कि दोनों देशों के बीच माहौल भी खराब कर दिया।’’
बाद में लोधी ने ‘डी.कॉलोनाइजेशन’ (उपनिवेशवाद की समाप्ति) विषय पर महासभा की चौथी कमेटी की बैठक में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के बिना संयुक्त राष्ट्र का ‘डी.कॉलोनाइजेशन’ का एजेंडा अधूरा और अपूर्ण रहेगा, कश्मीर विवाद अनसुलझा रहेगा तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प कार्यान्वित किए बिना ही रहेंगे।
लोधी ने कहा ‘‘निश्चित रूप से यह संयुक्त राष्ट्र की सर्वाधिक दृढ़ असफलता है।’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में विश्व निकाय की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। तब सिंह ने एक बार फिर ‘‘जवाब के अधिकार’’ का उपयोग किया और कहा कि यह ‘‘अफसोसनाक’’ है कि पाकिस्तान ने फिर से जम्मू कश्मीर का संदर्भ दिया।
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान द्वारा की गई असमर्थनीय टिप्पणियों को सिरे से खारिज करते हैं जिनमें जम्मू कश्मीर का संदर्भ इस समिति के कामकाज के मद्देनजर पूरी तरह अप्रासंगिक है।
सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के मुताबिक शांतिपूर्ण तरीके से अपना भाग्य चुना और चुनते रहे हैं।
उन्होंने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र ने राज्य के लोगों को अपनी इच्छाएं खुल कर जाहिर करने और अपने प्रतिनिधियों का चयन करने का अधिकार दिया है। ये चुनाव अंतरराष्ट्रीय मीडिया की निगरानी में कराए जाते हैं और आम राय में चुनाव प्रक्रिया में खामी नहीं बताई गई है।’’
सिंह ने दोहराया कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और आगे भी रहेगा। भारत द्वारा कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा बताए जाने पर पाकिस्तान ने अपने जवाब में दावा किया कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है।
सायमा सईद ने कहा ‘‘भारतीय प्राधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में ऐसी कोई चुनाव प्रक्रिया संचालित नहीं की जाती जो एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जनमत संग्रह का विकल्प हो सके।’’
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कश्मीर पर संकल्पों को भारत और पाकिस्तान द्वारा स्वीकार किया गया है और दोनों ही इसका पालन करने के लिए बाध्य हैं।
उनकी टिप्पणियों के जवाब में सिंह ने कहा ‘‘हम पाकिस्तान को जवाब के अधिकार (राइट ऑफ रिप्लाई) का उपयोग करने से बचने और इसकी जगह आत्मनिरीक्षण करने की सलाह देना चाहेंगे ताकि वह यह सोच सके कि उनका देश किस दिशा में जा रहा है।’’
पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कहा कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि भारत ने पाकिस्तान में स्थिति के बारे में आत्मनिरीक्षण के लिए कह कर अनुचित बात कह डाली। उन्होंने कहा कि उकसावे के बावजूद हम भारत में हो रहे अन्य व्रिदोहों को लेकर उनके आत्मनिरीक्षण के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि खाली हो..हल्ले से जम्मू कश्मीर के प्रमुख मुद्दे को दरकिनार नहीं करना चाहिए और ‘‘यह भारत तथा पाकिस्तान के बीच किसी भी एजेंडा में हमेशा ही शीर्ष पर रहा है तथा आगे भी रहेगा।’’