पाकिस्तान के पेशावर शहर के एक आर्मी स्कूल में साल भर पहले तालिबान आतंकवादियों की हैवानियत का शिकार बने मासूमों के परिवार वाले अपने इन बच्चों की तस्वीरों के साथ एक परेड में शामिल हुए और नम आंखों से उन्हें याद किया। इस मौके पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

तालिबान के दहशतगर्दों ने बीते साल आज ही के दिन (16 दिसंबर को) यहां के आर्मी स्कूल पर हमला कर छोटे-छोटे बच्चों को मौत की नींद सुला दिया था। इस मंजर से न सिर्फ पाकिस्तान में मातम पसरा था, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों की आंखें भर आई थीं। दुनिया भर को हिला देनेवाली घटना के एक साल पूरे होने पर हुए गए कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ और कई दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की।

सुरक्षाकर्मियों की वर्दी में स्कूल के भीतर पहुंचे आतंकवादियों ने 16 दिसंबर, 2014 को कम से कम 150 लोगों की हत्या कर दी थी जिनमें 136 स्कूली बच्चे शामिल थे। इस कत्लेआम की पहली बरसी पर पूरे पाकिस्तान में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। शिक्षण संस्थाओं को बंद किया गया था और प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। लोग अपने अपने उन बच्चों की तस्वीरों के साथ परेड में शामिल हुए जो तालिबान आतंकवादियों की हैवानियत का निशाना बने थे। इन बच्चों की याद में पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों में भी रैलियां निकाली गईं और प्रदर्शन किए गए।

आर्मी स्कूल के छात्रों और अभिभावकों के जेहन में आज भी उस मनहूस दिन की यादें ताजा हैं और कई तो अभी उस सदमे से उबर भी नहीं सके हैं। इस स्कूल के 14 वर्षीय छात्र महरान खान का कहना है, ‘स्कूल के भीतर हर कोई सदमे में है। हमें इसका डर सता रहा है कि फिर से हमला हो जाएगा।’ व्यापारी काजिम हुसैन के बेटे को इस हमले में दो गोलियां लगी थीं, हालांकि वह बच गया। हुसैन अब भी उस मंजर को याद करके सिहर उठते हैं।

उन्होंने कहा, ‘मैं दुआ करता हूं कि किसी को भी कभी इस मंजर का सामना नहीं करना पड़े।’ तालिबान आतंकवादियों ने वहीद अंजुम (18) को तीन गोलियां मारी थीं। एक-एक गोली उनकी दोनों बाहों में और एक गोली सीने में लगी थी। अंजुम कहते हैं, ‘मैं बाहें सही ढंग से मोड़ नहीं सकता और वजन भी नहीं उठा सकता।’ हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को सैन्य नेतृत्व द्वारा पदक दिया जाएगा। साथ ही हमले में जीवित बचे लोगों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया जाएगा। पेशावर में इस महीने की शुरूआत में पेशावर हमले से जुड़े चार लोगों को फांसी दी गई।