Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री (Former Pak PM) इमरान खान (Imran Khan) ने सोमवार (20 दिसंबर, 2022) को कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारना चाहते थे, लेकिन कश्मीर (Kashmir) का विशेष दर्जा रद्द करना एक बाधा बन गया। उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (General Qamar Bajwa) भी भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते थे, और उनका झुकाव इस ओर और भी ज्यादा था।
मैं प्रधानमंत्री रहते हुए भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता था: इमरान खान
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष ने कहा, “मैं अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता था, लेकिन आरएसएस की विचारधारा और (जम्मू-कश्मीर) विशेष दर्जे को रद्द करना बाधा बन गया।” लाहौर में अपने जमान पार्क आवास पर विदेशी पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने ये बातें कही हैं।
कहा, कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद उन्होंने इस पर जोर नहीं दिया
खान ने कहा कि भारत द्वारा 2019 में कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद उनकी सरकार ने बातचीत पर जोर नहीं दिया। उन्होंने कहा, “हम चाहते थे कि भारत पहले अपने फैसले को पलटे और शांति वार्ता करे।” प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की तरफ से सवाल किया गया कि उनके कार्यकाल में भारत के लिए विदेश नीति कौन चला रहा था। इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैं बॉस था … मैं विदेश नीति चला रहा था। हालांकि, मैं आपको बता दूं कि जनरल बाजवा का झुकाव भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए और भी अधिक था।” खान ने हाल ही में कहा था कि उनके कार्यकाल के दौरान उनके पास शक्ति नहीं थी क्योंकि जनरल बाजवा वह व्यक्ति थे जो निर्णय ले रहे थे।
यह याद दिलाने पर कि उन्होंने भारत में चुनावों से पहले इच्छा व्यक्त की थी कि नरेंद्र मोदी जीतें और कश्मीर मुद्दे का हल निकालें। इस पर इमरान खान ने कहा, “मुझे अभी भी विश्वास है कि राइट विंग पार्टी का नेता इसका हल निकाल सकता है। मोदी राइट विंग पार्टी से थे, इसलिए मैं चाहता था कि वह सत्ता में वापस आएं और कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालें।”
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अक्सर कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से निकलने वाली सीमा पार आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं। भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने और 5 अगस्त, 2019 को राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और तनावपूर्ण हो गए हैं।