पाकिस्तान ने गुरुवार (23 जून) को कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता के उसके आवेदन पर भारत के आवेदन के साथ ही ‘समान और गैर भेदभावपूर्ण’ मापदंडों के आधार पर विचार किया जाना चाहिए। साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, ‘दक्षिण एशिया में सामरिक स्थिरता बनाए रखने के लक्ष्य से पाकिस्तान और भारत के आवेदनों पर अलग-अलग विचार नहीं किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समूह की सदस्यता के लिए एनएसजी सदस्यों का समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमारा रुख हमेशा से यही रहा है कि गैर-एनपीटी देशों के लिए एनएसजी सदस्यता के लिए एक, समान, बिना भेदभाव वाले और निष्पक्ष मापदंड होने चाहिएं। इसलिए एनएसजी के लिए यह बिलकुल आवश्यक है कि वह भारत-पाकिस्तान के आवेदनों पर एक साथ और एक समान तरीके से विचार करे।’
जकारिया ने दावा किया कि 48 सदस्यीय समूह में पाकिस्तान की सदस्यता परमाणु व्यापार करने वाले देशों के हित में होगी। परमाणु आपूर्ति की क्षमता रखने वाले और एनएसजी के दिशा-निर्देंशों का पालन करने वाले पाकिस्तान जैसे देश को शामिल करने से एनएसजी के परमाणु-अप्रसार संबंधी उद्देश्यों को बढ़ावा मिलेगा। हथियार नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की विदेश उपमंत्री रोज गोटेमोलर के नेतृत्व वाले अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से इस संबंध में हुई बातचीत को रेखांकित करते हुए जकारिया ने कहा, ‘मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए कि पाकिस्तान में एनएसजी का सदस्य बनने की सभी खूबियां हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान द्वारा एनएसजी के अनुसार अपने सामरिक व्यापार को ढालने की कोशिशों को भली भांति जानता है।’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा कि जहां तक पड़ोसियों के साथ संबंधों की बात है, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का सिद्धांत भारत सहित सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों का है। उन्होंने कहा, ‘हम कश्मीर विवाद सहित, भारत के साथ सभी विवादों को वार्ता के माध्यम से सुलझाना चाहते हैं, और यही सबसे अच्छा तरीका है।’ जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान का रुख बिलकुल स्पष्ट है कि सभी समस्याओं को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका वार्ता है, और जब बातचीत शुरू होगी तब सभी मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा, ‘हमने इसमें कोई पूर्व-शर्त नहीं रखी है और आशा करते हैं कि भारत भी इसमें कोई पूर्व-शर्त नहीं जोड़ेगा। मुझे याद है कि ‘हार्ट ऑफ एशिया’ बैठक के इतर दोनों पक्षों में सहमति बनी थी कि किसी भी घटना का वार्ता पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए और मुझे लगता है कि वह बयान अभी भी वैध है।’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर अनवरत और फलदायी वार्ता के महत्व पर जोर दिया है। जकारिया ने कहा कि भारत के विदेश सचिव जनवरी के मध्य में पाकिस्तान आने वाले थे, लेकिन पठानकोट घटना के कारण ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने कहा, ‘यात्रा काफी समय से लंबित है। हमें अभी भी भारतीय पक्ष से नई तारीख नहीं मिली है। फठानकोट हादसे के बाद, पाकिस्तान ने गंभीरता से सहयोग किया। जेआईटी दौरे पर भारतीय पक्ष ने जो भी खुफिया जानकारी और सूचनाएं साझा कीं, उनकी जांच की जा रही है।’