पूर्वी लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन के बीच तनातनी पूरी तरह थमी नहीं है। हालांकि, भारतीय सैनिक अब नए विश्वास-निर्माण उपायों और अत्याधुनिक निगरानी तंत्र पर भरोसा कर जमीनी तनाव घटाने की कोशिश कर रहे हैं। 2020 से चले आ रहे गतिरोध के बीच तकनीकी निगरानी ढाँचे ने न केवल गश्ती दबाव कम किया है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में टकराव की आशंका घटाने में भी मदद की है।
सूत्रों के अनुसार, 2020 में जब पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था, तभी से भारत ने LAC और आसपास के क्षेत्रों पर चौबीसों घंटे नज़र रखने के लिए एक व्यापक निगरानी नेटवर्क स्थापित किया है। इसे अतिरिक्त गश्त को कम करने के दीर्घकालिक उद्देश्य से लगातार उन्नत और मजबूत किया जा रहा है। वर्तमान में, भारतीय गश्ती दल नियमित अंतराल पर LAC पर नियंत्रण बनाए रखने और किसी भी असामान्य गतिविधि पर नज़र रखने के लिए गश्त करते हैं।
लगातार उन्नत और मजबूत किया जा रहा निगरानी ढांचा
पिछले वर्ष अक्टूबर में हुए समझौते के बाद, दोनों पक्ष ज़मीनी स्तर पर सैनिकों के बीच टकराव से बचने के लिए समन्वित गश्त कर रहे हैं। एक सूत्र ने कहा, “लद्दाख की बर्फीली सर्दियां सैनिकों के लिए बड़ी संख्या में पैदल गश्त करना चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। लगातार उन्नत और मजबूत किया जा रहा निगरानी ढांचा इस कठिनाई को कम करेगा और ठंड के कारण होने वाली हताहतों की संख्या घटाएगा।”
सूत्र ने यह भी बताया कि मज़बूत आईएसआर ढाँचा उन क्षेत्रों की निगरानी के लिए वर्तमान में भेजे जाने वाले गश्ती दलों के अलावा अतिरिक्त गश्त की आवश्यकता को भी घटाएगा, जिससे सैनिकों पर दबाव कम होगा। गश्ती के लिए विस्तृत समन्वय आवश्यक होता है और लद्दाख क्षेत्र में, खासकर सर्दियों के दौरान, कठिन मौसम अक्सर सैनिकों की वापसी में देरी कर देता है। इससे कई बार टकराव की आशंका बढ़ जाती है। पिछले महीने भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता हुई। इसके परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय (WMCC) के तहत एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया, ताकि “भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शीघ्र सीमा परिसीमन” की संभावनाएं तलाश की जा सकें।
राजनयिक और सैन्य स्तरों पर मौजूदा सीमा क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के लिए चर्चा जारी है, जहाँ सबसे पहले समाधान की दिशा में काम किया जा सकता है। एक अन्य सूत्र ने कहा, “बड़े मुद्दों पर आगे बढ़ने से पहले, छोटे मुद्दों को सुलझाया जा सकता है, जिससे विश्वास मज़बूत होगा।” पूर्वी लद्दाख में LAC पर सैनिकों की वापसी के बावजूद तनाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। अनुमान है कि सीमांत क्षेत्रों में अब भी दोनों ओर 50,000–60,000 सैनिक तैनात हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच अगस्त में हुई बैठक में इस पर भी चर्चा हुई कि राजनयिक और सैन्य स्तरों पर सीमा प्रबंधन तंत्र का उपयोग करके तनाव कम करने और सीमा प्रबंधन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। इसकी शुरुआत सिद्धांतों और तौर-तरीकों के निर्धारण से होगी।
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दोनों पक्षों ने यह माना कि 23वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बाद से भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बना हुआ है। इसी के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी शांति बनाए रखने के लिए WMCC के अंतर्गत एक कार्य समूह स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की गई। पिछले वर्ष अक्टूबर में भारतीय और चीनी वार्ताकार LAC पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक समझौते पर पहुंचे थे। इसके परिणामस्वरूप “2020 में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान और सैनिकों की वापसी” संभव हुई। भारत ने इसकी घोषणा की थी और इसके तुरंत बाद रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बैठक भी हुई।
इस वर्ष अप्रैल में द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि भारत स्थापित गश्ती बिंदुओं, प्रमुख विशेषताओं और स्थलों की जियोटैगिंग की प्रक्रिया में है, ताकि LAC को स्पष्ट रूप से चिह्नित किया जा सके। इससे भविष्य की वार्ताओं में विवादित क्षेत्रों की पहचान आसान होगी, साथ ही झड़पों को रोकते हुए भारतीय सैनिकों की गश्त सुचारू रूप से हो सकेगी। अब तक सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच 21 दौर की सैन्य कमांडर वार्ता, 34 दौर की WMCC वार्ता और 24 दौर की विशेष प्रतिनिधि वार्ता हो चुकी है।