पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने JNU हिंसा को लेकर कहा है कि भारत में बढ़ती ‘असहिष्णुता का एक और उदाहरण’ है। सोमवार को उन्होंने आरोप लगाते गुए ट्वीट किया, ‘‘जेएनयू में कल (5 जनवरी, 2020) छात्रों और शिक्षकों पर हुआ हमला भारत में बढ़ती असहिष्णुता का एक और उदाहरण है। भारत में परिसरों को अब RSS के अनियंत्रित कोप का सामना करना पड़ रहा है और पुलिस की उनके उन्माद में मिलीभगत रहती है। जब आप फासीवादी विचारधारा को मजबूत करते हो तो ऐसा ही होता है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा चाहता है और उसकी स्थिति स्पष्ट है। कुरैशी के मुताबिक, ‘‘हम क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं। मैंने अपनी हालिया वार्ताओं में सभी पक्षों के साथ यह प्रतिबद्धता दोहराई है। तनाव को कम करने के लिए सक्रिय कूटनीति समय की आवश्यकता है। हिंसा को हर हाल में टाला जाना चाहिए। हम प्रयास जारी रखेंगे।’’

हालांकि, इस ट्वीट पर इमरान खान के मंत्री बुरी तरह सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए। लोगों ने कहा कि सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि ये बातें कह कौन रहा है, जबकि कुछ लोगों ने हिदायत देते हुए कहा कि बेहतर यह होगा कि पाकिस्तान दूसरों के पचड़े में पड़ने से अच्छा है कि अपनी समस्याओं और चुनौतियों पर ध्यान दें। देखें, लोगों की प्रतिक्रियाएंः 

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने सोमवार को भारत सरकार से ‘‘भगवा आतंक’’ से अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करने को भी कहा। विदेश कार्यालय की टिप्पणी पेशावर में एक सिख व्यक्ति की हत्या कर दिए जाने के बाद भारत द्वारा रविवार को व्यक्त की गई तीखी प्रतिक्रिया के एक दिन बाद आई। सिख व्यक्ति की हत्या ऐसे समय हुई जब पाकिस्तान में गुरद्वारा ननकाना साहिब पर हमले की घटना हुई।

विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न की घटनाओं का इस्तेमाल कश्मीर की स्थिति और भारत में अल्पसंख्यकों से होने वाले भेदभाव से ध्यान हटाने के लिए कर रही है। बयान में कहा गया, ‘‘आरएसएस से प्रेरित भाजपा सरकार की साख इतनी भी नहीं बची है कि वह यह बहाना तक कर सके कि वह अल्पसंख्यकों की रक्षक है।’’

इससे पहले, पाकिस्तान स्थित सिखों के पवित्र धर्मस्थल गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर पत्थरबाजी हुई थी। और, उस दौरान श्रद्धालु गुरुद्वारे में कुछ देर तक वहां फंस गए थे। यही नहीं, उस दौरान एक स्थानीय शख्स ने गुरुद्वारा कब्जाने की धमकी देते हुए उसका नाम गुलाम अली मुस्तफा रखने की चेतवानी भी दे डाली थी। इस मसले पर पाकिस्तानी की बोलती बंद ही रही थी। बता दें कि बीते साल 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है। (भाषा इनपुट्स के साथ)