Iran Supreme Court: ईरान की सुप्रीम कोर्ट में घुसकर दो जजों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई है। शनिवार को हुए इस हमले में एक गार्ड भी घायल हुआ है। इस हमले ने पूरे ईरान को हिलाकर रख दिया है। हमलावर ने भी मौके पर ही खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। इस हमले में मारे गए जजों की पहचान जस्टिस मौलवी मोहम्मद मोगीसेह और जस्टिस अली रजिनी के तौर पर हुई है। इन दोनों जजों को बेहद सख्तका माना जाता था। इनकी पहचान मौत की सजा सुनाने के लिए जानी जाती थी। सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने दावा किया है कि जजों को उनके कमरों में घुसकर मारा गया है।
दोनों जज नेशनल सिक्योरिटी, आतंकवाद, जासूसी के मामलों की सुनवाई कर रहे थे। दोनों पर गोली चलाने के बाद हमलावार ने सुसाइड कर लिया। पूरी घटना में एक और जज भी घायल हुआ है। इसके अलावा एक बॉडीगार्ड भी घायल हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला स्थानीय समयानुसार सुबह 10:45 बजे हुआ। सुप्रीम कोर्ट के जिन जजों को निशाना बनाया गया, उनकी पहचान अली रजिनी और मोगीसेह के तौर पर हुई है। ये ईरानी न्यायपालिका के वरिष्ठ जजों में शामिल थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादा फांसी की सजा सुनाए जाने के चलते दोनों जजों को हैंगमैन कहा जाता था।
हमले के मकसद का पता नहीं, पुलिस ने शुरू की जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावर जस्टिस डिपार्टमेंट का ही कर्मचारी था। ईरान इंटरनेशनल के मुताबिक, तेहरान के कोर्ट हाउस से कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने कहा है कि हमले के पीछे के मकसद का पता लगाने के लिए जांच शुरू हो गई है।
रजिनी की 1988 में भी हत्या की कोशिश की गई थी। उस दौरान उनकी बाइक में मैग्नेटिक बम लगाया गया था। वहीं, अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक दूसरे जज मोघिसेह पर अमेरिका ने 2019 में बैन लगा दिया था।
ईरान दुनियाभर में सबसे ज्यादा फांसी देने वाला देश
दुनिया में सबसे ज्यादा फांसी की सजा देने वाले देशों में ईरान शामिल है। ईरान में 2024 में 901 लोगों को मौत की सजा दी गई। इनमें 31 महिलाएं भी शामिल हैं। पिछले साल दिसंबर महीने के एक हफ्ते में 40 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। यूएन ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, पिछले साल जिन लोगों को फांसी दी गई, उनमें सबसे ज्यादा नशीली दवाओं और 2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद देशभर में हुए प्रदर्शन से जुड़े थे।
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