Iran-Israel War: इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों पर बी-2 बॉम्बर्स के जरिए बारूद बरसाकर उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया है। इन हवाई हमलों ने दुनिया में नई उथल-पुथळ मचा दी है। कई वैश्विक नेताओं ने संयम बरतने का आह्वान किया है और व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की संभावना के प्रति चेतावनी दी है। इतना ही नहीं, बातचीत को मसले से हल करने की बात कही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन को शानदार सफ़लता बताया है। दूसरी ओर ईरान ने कहा कि फ़ोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान में उसके परमाणु प्रतिष्ठानों को कोई बड़ी क्षति नहीं हुई है।

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ईरान ने क्या कहा?

ईरान ने अमेरिकी हवाई हमलों की कड़ी निंदा की, विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को घृणित बताया और दूरगामी नतीजों की चेतावनी दी। अराघची ने एक्स पर पोस्ट किया कि आज सुबह की घटनाएं अपमानजनक हैं और इसके अनंत परिणाम होंगे। उन्होंने अमेरिकी हमलों को कानूनविहीन और आपराधिक कार्रवाई बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत जवाब देने का अधिकार है।

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चीन ने की हमले की निंदा

चीन ने सरकारी मीडिया के जरिए अमेरिकी हवाई हमलों की निंदा की और चेतावनी दी कि वाशिंगटन पिछली रणनीतिक गलतियों को दोहरा सकता है। चीन के सरकारी प्रसारक की विदेशी भाषा शाखा CGTN की एक फ्लैश कमेंट्री में अमेरिकी कार्रवाई को एक ख़तरनाक मोड़ बताया गया। 2003 के इराक युद्ध का हवाला देते हुए चीन ने कहा कि इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि मध्य पूर्व में सैन्य हस्तक्षेप अक्सर अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न करते हैं, जिनमें लंबे समय तक संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता शामिल है।

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UN चीफ ने क्या कहा?

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बल प्रयोग से गंभीर रूप से चिंतित हैं और उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्थिति और बिगड़ती है तो विनाशकारी परिणाम होंगे। गुटेरेस ने एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि इस बात का खतरा बढ़ रहा है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है – जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए भयावह परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि कोई सैन्य समाधान नहीं है। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता कूटनीति है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से तनाव कम करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया।

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ब्रिटेन ने किया अमेरिका का समर्थन

यूनाइटेड किंगडम यानी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने एक्स को आगे बढ़ाया और ईरान से बातचीत की मेज पर वापस आने का आग्रह किया। पोस्ट में लिखा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। ईरान को कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अमेरिका ने उस खतरे को कम करने के लिए कार्रवाई की है। स्टार्मर ने लिखा कि मध्य पूर्व में स्थिति अस्थिर बनी हुई है और इस क्षेत्र में स्थिरता प्राथमिकता है। हम ईरान से बातचीत की मेज पर लौटने और इस संकट को समाप्त करने के लिए एक कूटनीतिक समाधान पर पहुंचने का आह्वान करते हैं।

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पाकिस्तान ने भी की अमेरिकी हमले की निंदा

पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हवाई हमलों की निंदा की और पश्चिम एशिया में व्यापक स्तर पर तनाव बढ़ने के खतरे की चेतावनी दी। यह बयान इस्लामाबाद द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार के रूप में सार्वजनिक रूप से समर्थन दिए जाने के ठीक एक दिन बाद आया है।

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एक आधिकारिक बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश क्षेत्र में तनाव बढ़ने की संभावना को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है। मंत्रालय ने आगे कहा कि अमेरिकी हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हैं और इस बात पर जोर दिया कि ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपनी रक्षा करने का अधिकार है।

सऊदी अरब ने जताई चिंता

वहीं इस्लामिक देश ‘एक्स’ पर सऊदी अरब के आधिकारिक एकाउंट में लिखा गया कि सऊदी अरब साम्राज्य ईरान के सहयोगी इस्लामी गणराज्य में हो रहे घटनाक्रम पर बड़ी चिंता के साथ नजर रख रहा है, जिसका उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाना है।

ऑस्ट्रेलिया ने भी ईरान पर उठाए सवाल

ऑस्ट्रेलिया ने दो दिन पहले तेहरान में अपने कर्मचारियों को निकालने और अपना दूतावास बंद करने के बाद कूटनीतिक समाधान के लिए अपने आह्वान की पुनः पुष्टि की। एक ऑस्ट्रेलियाई सरकारी अधिकारी ने लिखित बयान में कहा कि हम स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।

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