पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर आतंकी हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र की ओर से जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित कराने की भारत की कोशिश में चीन के टांग अड़ाने का मुद्दा भारत उसके सामने उठा सकता है। सूत्रों ने बताया कि भारत संयुक्त राष्ट्र में चीन के कदम से निराश है और वह ऐन मौके पर राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा उठा सकता है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आरआइसी (रूस-भारत-चीन) की मंत्रिस्तरीय बैठक में शिरकत करने के लिए इस हफ्ते बाद में मास्को जा रही हैं। इस मौके पर स्वराज और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच द्विपक्षीय भेंट होने की संभावना है, उसी दौरान संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्मद के प्रमुख और मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता को आतंकी घोषित करने में चीन के बाधा डालने का मुद्दा उठ सकता है।
पिछले हफ्ते चीन ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति को अजहर को आतंकी घोषित करने से रोक दिया था और कहा था कि यह मामला सुरक्षा परिषद की जरूरतों को पूरा नहीं करता। हालांकि इसके पहले भी चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और नेताओं को संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित कराने की भारत की कोशिश में बाधा पहुंचाई है।
संयुक्त राष्ट्र ने 2001 में जैश ए मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन 2008 के मुंबई हमले के बाद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश फलीभूत नहीं हो पाई क्योंकि वीटो के अधिकार वाले चीन ने फिर पाक की शह पर ऐसा नहीं होने दिया।
पिछले जुलाई में चीन ने मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता जकीउर रहमान लखवी को रिहा करने पर पाक के खिलाफ कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत की ओर से उठाए गए कदम को रोक दिया था और कहा था कि उसका रूख तथ्यों, वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता की भावना पर आधारित है। तब फिर चीन ने दावा किया था कि वह भारत के संपर्क में है।
घटनाक्रम पर निराशा प्रकट करते हुए भारत ने कहा कि उसे समझ में नहीं आता कि पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद को उसकी आतंकवादी गतिविधियों और अलकायदा से संबंध को लेकर संयुक्त राष्ट्र समिति ने सूचीबद्ध कर रखी है लेकिन इस संगठन के मुख्य नेता, वित्तपोषक और उत्प्रेरक को आतंकवादी घोषित करने को तकनीकी आधार पर स्थगित कर दिया गया।