भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दशक बाद अब एक अमेरिकी कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टरों का निर्माण और डिजाइन करने की अनुमति मिल जाएगी। अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DoE) से इसे मंजूरी मिल गई है। ऊर्जा विभाग ने भारत में परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और डिजाइन के लिए होल्टेक इंटरनेशनल को अप्रूवल दिया है।

ऊर्जा विभाग की ओर से 26 मार्च को दी गई मंजूरी ने कुछ प्रतिबंधों के साथ इसके लिए होल्टेक इंटरनेशनल के आवेदन को मंजूरी दे दी है, जिसे “10CFR810” (अमेरिकी परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1954 के संघीय विनियमन संहिता के शीर्षक 10 का भाग 810) के रूप में रेफर किया गया है।

ये कंपनियां बनाएंगी भारत में परमाणु रिएक्टर

यह रेगुलेशन होलटेक को कुछ शर्तों के साथ भारत में तीन फर्मों को अनक्लासिफाइड स्माल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने की अनुमति देता है। इसके साथ ही इसकी क्षेत्रीय सहायक कंपनी होलटेक एशिया, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड को भी यह अनुमति दी गयी है। होलटेक इंटरनेशनल का प्रचार भारतीय-अमेरिकी क्रिस पी सिंह द्वारा किया जाता है और इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी होलटेक एशिया 2010 से पुणे में एक इंजीनियरिंग यूनिट का संचालन कर रही है। वहीं, गुजरात के दाहेज में इसकी एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है।

होलटेक के मूल अनुरोध में तीन अतिरिक्त प्रस्तावित भारतीय अंतिम उपयोगकर्ता शामिल थे: भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल), थर्मल यूटिलिटी एनटीपीसी लिमिटेड, और परमाणु ऊर्जा समीक्षा बोर्ड (एईआरबी)। लेकिन, भारत सरकार ने इन तीन सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं के लिए आश्वासन प्रदान नहीं किया।

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5 वर्ष के अंतराल पर होगी समझौते की समीक्षा

अप्रूवल के अनुसार, होलटेक समय आने पर एनपीसीआईएल, एनटीपीसी और एईआरबी को अधिकृत अंतिम उपयोगकर्ताओं के रूप में जोड़ने के लिए इस ऑथराइजेशन में संशोधन करने का अनुरोध कर सकता है। लेटेस्ट ऑथराइजेशन जारी होने की तिथि से 10 वर्षों के लिए दिया गया है, जिसकी 5 वर्ष के अंतराल पर समीक्षा की जाएगी।

शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों के लिए होगा परमाणु उपकरणों का इस्तेमाल

यह ऑथराइजेशन भारत सरकार द्वारा 3 मार्च, 2025 को दिए जाने वाले इस आश्वासन के भी अधीन है कि तीन चयनित निजी संस्थाएं – एलएंडटी, टीसीई और होलटेक एशिया – होलटेक से ट्रांसफर टेक्नोलॉजी और सूचना का उपयोग केवल अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सुरक्षा उपायों के तहत शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों के लिए करेंगी न कि परमाणु हथियारों या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों या किसी सैन्य उद्देश्य के लिए।

अब तक, रेगुलेशन ने होलटेक जैसी अमेरिकी कंपनियों को भारत जैसे देशों को सख्त सुरक्षा उपायों के तहत उपकरण निर्यात करने की क्षमता प्रदान की है, लेकिन उन्हें भारत में किसी भी परमाणु उपकरण के निर्माण या किसी भी परमाणु डिजाइन कार्य को करने से स्पष्ट रूप से रोक दिया है।

26 मार्च के ऑथराइजेशन में प्रमुख शर्तें हैं कि टेक्नोलॉजी और सूचना या इससे प्राप्त वस्तुओं को संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की पूर्व लिखित सहमति के बिना भारत में या संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों में किसी अन्य संस्था या अंतिम उपयोगकर्ता को दोबारा ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। साथ ही भारतीय अंतिम उपयोगकर्ता भारत सरकार द्वारा विषय भाग 810-नियंत्रित परमाणु प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स