परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह :एनएसजी: की सदस्यता के भारत के प्रयासों को अमेरिका के बाद आज फ्रांस का भी पुरजोर समर्थन मिला, जिसका दो दिवसीय पूर्ण सत्र कल सोल में शुरू होगा। विदेश सचिव एस जयशंकर भारत की सदस्यता के मुद्दे पर बंटे 48 देशों के समूह में समर्थन जुटाने के लिए सोल पहुंच गये हैं। भारत का विरोध चीन यह कहकर कर रहा है कि नयी दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि :एनपीटी: पर दस्तखत नहीं किए हैं। हालांकि वह कह रहा है कि यदि एनएसजी से भारत को छूट मिलती है तो पाकिस्तान को भी समूह की सदस्यता दी जानी चाहिए।
भारत और पाकिस्तान की सदस्यता के मुद्दे पर चीन ने कहा कि यह विषय पूर्ण सत्र के एजेंडा में नहीं है। यहां भी बीजिंग ने दोनों पड़ोसी देशों के मामलों को एकसाथ करके देखा जबकि उनके परमाणु अप्रसार ट्रैक रिकार्ड में अंतर है। नयी दिल्ली में अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि एनएसजी की प्रक्रिया नाजुक और जटिल है और भारत की संभावनाओं पर अटकलें नहीं लगाई जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग कल ताशकंद में मुलाकात कर सकते हैं जहां वे एससीओ के सम्मेलन में भाग लेंगे। मोदी एनएसजी के विषय पर चिनफिंग से बात कर सकते हैं लेकिन गौरतलब होगा कि क्या चीन अपने रच्च्ख में बदलाव लाएगा। एनएसजी के लिए भारत के पक्ष का करीब 20 देश समर्थन कर रहे हैं लेकिन एनएसजी में आम-सहमति से फैसले होने के मद्देनजर भारत के सामने कठिन कार्य है। लेकिन भारत को उम्मीद है जो दक्षिण कोरिया की राजधानी में जयशंकर की मौजूदगी से स्पष्ट है।