राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया की निर्मम हत्या के बाद देश में हर तरफ आक्रोश है। घटना को लेकर तनाव का माहौल बना हुआ है। हालांकि पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ है। पूरे शहर में जगह-जगह पुलिस तैनात है। सात थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। पूरे राजस्थान में 24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इस बीच नीदरलैंड जिसका पुराना नाम हालैंड (Dutch) है, के सांसद गीर्ट वाइल्डर्स ने सलाह दी है कि भारत असहिष्णु लोगों पर सहिष्णु होना बंद करे।
गीर्ट वाइल्डर्स वही सांसद हैं, जिन्होंने नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया था। वाइल्डर्स ने ट्वीट करके कहा है कि “कृपया भारत एक मित्र के रूप में मैं आपसे कहता हूं: असहिष्णु के प्रति सहिष्णु होना बंद करो। चरमपंथियों, आतंकवादियों और जिहादियों के खिलाफ हिंदू धर्म की रक्षा करें। इस्लाम को खुश मत करो, क्योंकि यह तुम्हें महंगा पड़ेगा। हिंदू ऐसे नेताओं के लायक हैं जो उनकी पूरी 100% रक्षा करें!”
नीदरलैंड्स के सांसद गीर्ट विल्डर्स ने ट्वीट कर नूपुर शर्मा का समर्थन करते हुए कहा था कि भारत पूरे मुद्दे पर माफ़ी क्यों मांगे? उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “यह हास्यास्पद है कि अरब और इस्लामी देश भारत से माफ़ी मांगने को कह रहे हैं। भारत माफ़ी क्यों मांगे?” डच सांसद ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा, “तुष्टिकरण कभी काम नहीं आता। यह केवल चीजों को और खराब करेगा। इसलिए भारत के मेरे प्यारे दोस्तों, इस्लामिक देशों से डरो मत।”
इस बीच गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को हत्याकांड की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि इस हत्याकांड में किसी भी संगठन की संलिप्तता और अंतरराष्ट्रीय लिंक की गहन जांच की जाएगी।
दूसरी तरफ सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पूरी घटना के लिए राजस्थान की गहलौत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने पिछले साढ़े तीन साल में जिस प्रकार की कार्रवाई की है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस आतंकी हमले के लिए पूरी तरह राज्य सरकार ही जिम्मेदार है। राजस्थान सरकार के फैसले साफ तौर से तुष्टिकरण को दिखाते हैं। राजस्थान में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। ऐसे आतंकी संगठन राजस्थान में पनप रहे हैं। राजस्थान की वर्तमान सरकार ने इन्हें प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। राजस्थान सरकार के फैसले साफ तौर से तुष्टिकरण को दिखाते हैं।