US Presidential Election 2020: नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में नेवादा प्रान्त ने कोरोना वायरस के मद्देनज़र मतदाताओ को लंबी लंबी कतारों से बचाने के लिए डाक मतपत्र की सुविधा देने का फैसला किया है। इसके लिए इसी महीने की शुरुआती सप्ताह में एक विधेयक लाया गया। इस पर नेवादा प्रान्त के गवर्नर ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।

नेवादा राज्य के इस फैसले से असंतुष्ट होकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प न्यायालय चले गए हैं। ट्रम्प और उनकी पार्टी शुरू से ही डाक मतपत्र या मेल इन वोटिंग की सुविधा के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि इससे धोखाधड़ी और अवैध मतदान भी होगा, जिससे चुनावी फैसले भी प्रभावित हो सकते हैं। रिपब्लिकन यह भी मानते हैं कि इससे मतपत्र में काफी छेड़छाड़ भी होगी।

असल में नेवादा राज्य के फैसले में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी अन्य मतदाता का डाक मतपत्र उसकी अनुमति से चुनावी बूथ पर जाकर जमा कर सकता है और इस नियम को अमेरिका में बैलेट कलेक्शन भी कहा जाता है। इसी प्रथा को रिपब्लिकन पार्टी के नेता संदेह की नजरों से देखते हैं और इसको चुनाव में धोखाधड़ी का प्रमुख स्त्रोत भी मानते हैं, पर राष्ट्रपति ट्रंप के विरोधी उनकी इस बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखते हैं।

ट्रम्प के इस रुख का विरोध करते हुए प्रमुख विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी कहती है कि यह कोई नया प्रावधान नहीं है और बैलेट कलेक्शन की सुविधा से हमारे आदिवासी और समुदाय को काफी मदद मिलती है। साथ ही डेमोक्रेट्स यह भी कहते हैं कि इस बार बैलेट कलेक्शन की सुविधा उन भी लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी जिनपर कोरोना वायरस का खतरा सबसे ज्यादा है।

2018 के मध्यावधि चुनाव में नार्थ कैरोलिना प्रान्त में राष्ट्रपति ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन को हार मिली थी। इसके लिए ट्रंप ने बैलेट कलेक्शन को कसूरवार ठहराया था और कहा था कि इसकी वजह से चुनाव में काफी धोखाधड़ी हई है। इसलिए ट्रंप लंबे समय से राष्‍ट्रपति चुनाव में डाक मतपत्र या मेल इन वोटिंग की मुखालफत करते रहे हैं। वह लगातार कहते आए हैं कि यह अतिसंवेदशील है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि मतदाताओं की मदद करने वाले व्यक्ति को अपना नाम , हस्ताक्षर और लिखित बयान शामिल करना होता है इसलिए ऐसा होने की आशंका बहुत ही कम है।