कोरोना वायरस के सामने आने के करीब 9 माह बाद रूस दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने कोविड19 की वैक्सीन को लोगों पर इस्तेमाल के लिए रेगुलेटरी अप्रूवल दिया है। इस वैक्सीन का नाम Sputnik V दिया गया है, जो कि दुनिया की पहली सैटेलाइट के नाम पर रखा गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को कहा है कि ‘यह दुनिया के लिए एक अहम कदम है।’ पुतिन ने कहा कि यह वैक्सीन काफी प्रभावी है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन की बेटी को भी यह वैक्सीन लगायी गई है।
रूस की यह वैक्सीन मास्को स्थित गामेलया इंस्टीट्यूट द्वारा रक्षा मंत्रालय के सहयोग से तैयार की गई है। इस वैक्सीन की सेफ्टी और प्रभाव अभी शक के घेरे में है। बता दें कि इस वैक्सीन के अभी क्लीनिकल ट्रायल पूरे नहीं हुए हैं लेकिन इसे नागरिकों पर इस्तेमाल के लिए अप्रूव कर दिया गया है।
बीते हफ्ते वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी रूस को चेताया था और कहा था कि वह वैक्सीन बनाने में इतनी जल्दी ना करे। वहीं अमेरिका के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट एंथनी फोसी भी रूस और चाइना के टीके पर सवाल खड़े कर चुके हैं।
कैसे काम करती है रूस की यह वैक्सीनः रूस की यह वैक्सीन SARS-CoV-2 टाइप के एडिनोवायरस जो कि एक कॉमन कोल्ड वायरस होता है, उसके डीएनए पर बेस्ड है। वैक्सीन वायरल को कमजोर कर उसे छोटे छोटे हिस्सों में बांट देती है और साथ ही इम्यूनिटी भी बढा देती है। गामेलया नेशनल रिसर्च सेंटर के निदेशक एलेक्जेंडर गिंटसबर्ग का कहना है कि वैक्सीन में मौजूद कोरोना वायरस पार्टिकल मानव शरीर में नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और ना ही इनकी संख्या बढ़ती है।
वैक्सीन ट्रायल के नतीजें क्या रहे हैं?: रूस ने अभी तक फेज 1 के ही क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे सार्वजनिक किए हैं। रूस का दावा है कि ट्रायल का पहला चरण सफल रहा है। जुलाई के मध्य में रूस की TASS न्यूज एजेंसी ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि ट्रायल के बाद किसी भी वालंटियर को किसी तरह के कोई साइड इफेक्ट नहीं पाए गए हैं।
क्यों उठ रहे सवाल?: रूस ने जिस तेजी से के साथ वैक्सीन विकसित की है, उसे लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं। पहले ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका, मॉडर्ना और फाइजर जैसी फार्मा कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने के मामले में आगे चल रहीं थी। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन को जल्द लॉन्च करने के चक्कर में रूस की सरकार तय मानकों का पालन नहीं कर रही है और इससे नागरिकों की जिंदगी के लिए खतरा पैदा कर रही है।
बता दें कि वैक्सीन के मानव शरीर पर ट्रायल आम समय में कई वर्षों का समय लग जाता है लेकिन रूस की यह वैक्सीन 2 माह से भी कम समय में तैयार हो गई है।
रूस सितंबर में इस वैक्सीन का बड़े स्तर पर प्रोडक्शन शुरू कर देगा और अक्टूबर तक इसके बाजार में आने की उम्मीद है। रूस में यह वैक्सीन पहले डॉक्टर्स और अध्यापकों को दी जाएगी। रूस ने अभी तक वैक्सीन की कीमत का खुलासा नहीं किया है।