Coronavirus in India: संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के प्रतिनिधि ने सरकार से किसी संप्रदाय विशेष के ‘लोगों को कंलक कहे जाने के खिलाफ’ लड़ने का आग्रह किया है। इससे एक दिन पहले ही भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से किसी समुदाय या क्षेत्र को कोविड-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराने की अपील की थी।

मंगलवार को निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों, रेनाटा लोक-डेसालियन (भारत में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर) के साथ समन्वय करने वाले सशक्त समूह की सातवीं बैठक में कहा गया कि प्रवासी मजदूरों के मुद्दों और कुछ संप्रदायों के लोगों को ‘कलंक’ कहे जाने के खिलाफ जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है। ये जानकारी एक सूत्र ने दी है जो नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का हिस्सा था।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में तबलीगी जमात की मार्च में धार्मिक सभा के बाद देश भर में कोरोना वायरस के मामलों में उछाल के बाद मुसलमानों पर उंगली उठाने के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक सलाह जारी की। इसमें कहा गया कि लोगों और समुदायों के खिलाफ पूर्वाग्रहों, सामाजिक अलगाव और कलंक के कारण भय और चिंता की स्थिति पैदा हो सकती है। बयान में कहा गया कि ऐसे व्यवहार से शत्रुता, अराजकता और अनावश्यक सामाजिक व्यवधानों का कारण बन सकता है।

Coronavirus in India LIVE Updates

इससे पहले 2 अप्रैल को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी पार्टी के नेताओं से आग्रह किया था कि वे कोविड-19 के प्रकोप पर कोई भी ‘सांप्रदायिक रंग’ देने से बचें और कोई मतभेद पैदा ना करें। उन्होंने उनसे कहा कि राज्य सरकारों की परवाह किए बिना कि कौन सी पार्टी सत्ता में है, वो प्रधानमंत्री के प्रयासों का समर्थन करें।

बैठक में मौजूद एक नेता ने कहा, ‘तबलीगी मुद्दा सामने आने पर यह बात दोहराई गई। एक निर्देश है कि किसी को भी इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के नेता ही उस पर टिप्पणी कर सकते हैं। हमें वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना होगा।’