Bangladesh Jamaat-e-Islami: बांग्लादेश में भारी उथल-पुथल के बीच अंतरिम सरकार ने बुधवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर से बैन हटा दिया है। इतना ही नहीं उसकी छात्र शाखा और सभी संबंधित संगठनों पर से भी प्रतिबंध हटा दिया गया है। सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया कि जमात और उसके सहयोगियों के आतंकी गतिवधियों में शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। जमात-ए-इस्लामी ने आरोपों से भी इनकार कर दिया कि जमात ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़काई। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को उग्रवादी और आतंकी संगठन बताते हुए बैन किया था।
जमात-ए-इस्लामी के लाखों समर्थक हैं। उसे 2013 से चुनावों में भाग लेने से भी रोक दिया गया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इसका चार्टर 170 मिलियन लोगों वाले मुस्लिम बहुल राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन करता है। इसके बाद इसे 2014, 2018 और इस साल जनवरी में लगातार चुनावों से बाहर रखा गया था। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने हसीना सरकार पर आरोप लगाया था कि वह सिक्योरिटी फोर्स की कार्रवाई से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।
जमात-ए-इस्लामी की कब हुई स्थापना
जमात-ए-इस्लामी के वकील शिशिर मोनिर ने कहा कि पार्टी अगले हफ्ते की शुरुआत में बांग्लादेश में चुनाव आयोग के साथ अपने रजिस्ट्रेशन की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करेगी। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी का गठन 1941 में ब्रिटिश शासन के दौरान ही हुआ था। साल 2013 से अब तक जमात के ज्यादातर लोगों को 1971 में किए गए रेप, हत्याओं और किडनैपिंग के लिए दोषी ठहराते हुए फांसी दी जा चुकी है या जेल में डाल दिया गया है। बांग्लादेश को पड़ोसी देश भारत की मदद से 16 दिसंबर 1971 को आजादी मिली।
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भारत-बांग्लादेश संबंधों पर जमात प्रमुख ने क्या कहा?
जमात-ए-इस्लामी के मुखिया शफीकुर रहमान ने कहा है कि उनकी पार्टी भारत के साथ अच्छे संबंध चाहती है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि नई दिल्ली को पड़ोस में अपनी विदेश नीति पर दोबारा से सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों का मतलब एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों पर हस्तक्षेप करना नहीं है। पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में रहमान ने कहा कि उनकी पार्टी स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन और पाकिस्तान के साथ में अच्छे संबंधों का भी समर्थन करती है।
रहमान ने तर्क दिया कि जमात-ए-इस्लामी को भारत विरोधी मानने की नई दिल्ली की धारणा गलत है। उन्होंने कहा कि जमात-ए-इस्लामी किसी देश के खिलाफ नहीं है। हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और केवल बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने की ही इच्छा है। रहमान ने यह भी कहा कि इस धारणा को बदलने की सख्त जरूरत है। बता दें कि बांग्लादेश ने हाल ही में अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा किया है।