Bangladesh Violence: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी है। रविवार को पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ छात्र प्रदर्शनकारियों की झड़प में 91 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फेनी में कम से कम पांच लोग मारे गए, सिराजगंज में चार, मुंशीगंज में तीन, बोगुरा में तीन, मगुरा में तीन, भोला में तीन, रंगपुर में तीन, पबना में दो, सिलहट में दो, कोमिला में एक, जॉयपुरहाट में एक, ढाका में एक और बारिसल में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। गृह मंत्रालय ने रविवार शाम 6 बजे से देश में कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। एक सरकारी एजेंसी ने मेटा प्लेटफॉर्म फेसबुक, मैसेंजर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को बंद करने का आदेश दिया है। मोबाइल ऑपरेटरों को 4जी मोबाइल इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया है।
अब तक कई लोगों की हो चुकी मौत
बांग्लादेश में छात्र एक महीने से ज्यादा समय से सरकारी नौकरियों में कोटा को खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कई मौकों पर हिंसक हो चुके इस आंदोलन में अब तक देश भर में कम से कम 200 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदर्शनकारियों में छात्र और मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कुछ ग्रुप शामिल हैं। इन्होंने सहयोग ना करने का आग्रह किया है। इतना ही नहीं, इन्होंने लोगों से टैक्स और बिजली बिलों को ना भरने के लिए भी कहा है। साथ ही रविवार को काम पर ना आने का भी आह्वान किया है।
मेडिकल यूनिवर्सिटी को भी बनाया निशाना
- प्रदर्शनकारियों ने ढाका के शाहबाग इलाके में एक अस्पताल बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी पर भी हमला किया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ढाका के उत्तरा इलाके में कुछ देसी बम विस्फोट किए गए और गोलियों की आवाजें सुनी गईं। उन्होंने कुछ गाड़ियों को आग के हवाले भी कर दिया। ढाका के मुंशीगंज जिले में एक पुलिसकर्मी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूरा शहर युद्ध के मैदान में बदल गया है। प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से बांस की लाठियों से लैस होने को कहा है। जुलाई के महीने में हुए विरोध-प्रदर्शन में पुलिस ने इसको कुचल कर रख दिया था।
प्रदर्शनकारी नहीं बल्कि आतंकी- शेख हसीना
प्रधानमंत्री हसीना और उनकी पार्टी प्रदर्शनकारियों के दबाव को खारिज करती दिख रही हैं। सरकार ने विपक्षी दलों और अब बैन लगाए गए दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उसके छात्र संगठनों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। नेशनल सिक्योरिटी की मीटिंग के बाद में हसीना ने आरोप लगाया कि जो लोग अभी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वे छात्र नहीं हैं, बल्कि आतंकी हैं। उन्होंने देश के लोगों से कहा कि इन आतंकियों को सख्सी से कुचल दें।
अवामी लीग ने ऐलान किया है कि प्रधानमंत्री ने हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को रिहा करने के लिए कहा है। पार्टी ने कहा कि उन्होंने बड़े अधिकारियों और गृह मंत्री को निर्देश दिया है कि जो छात्र निर्दोष हैं और जिनके खिलाफ हत्या और बर्बरता जैसे गंभीर मामले का कोई भी आरोप नहीं है, उन्हें भी छोड़ दिया जाना चाहिए।