जम्मू और कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की बौखलाहट बरकरार है। सोमवार (26 अगस्त, 2019) को यह पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के मुल्क के नाम संबोधन में भी दिखी। कश्मीर पर फिर से गीदड़भभकी भरते हुए उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कश्मीर पर लिए गए हालिया फैसले को बहुत बड़ी गलती (ब्लंडर) करार दिया।

उन्होंने कहा, “जम्मू और कश्मीर के मसले पर मुस्लिम देश हमारे साथ हैं। दुनिया साथ आए या न आए, पर घाटी के लिए हम हर हद तक जाएंगे।” परमाणु हमले तक की चेतावनी देते हुए वह बोले- परमाणु युद्ध हुआ, तो कोई नहीं बचेगा, जबकि मोदी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं।

संबोधन की शुरुआत में उन्होंने दावा किया, “सत्ता में आते ही शांति व्यवस्था बनाना मेरी प्राथमिकता थी। हमने भारत से कई समस्याएं साझा कीं। हम दोस्ती चाहते थे। बातचीत से हल चाहते थे, पर वे (भारत) हम पर ही आरोप लगाने लगा। हमने आम चुनाव का इंतजार किया। फिर पुलवामा हुआ, जिसमें कश्मीरी युवक ने खुद को बम से उड़ा लिया था।”

बकौल इमरान, “जांच के बजाय भारत ने हमारे ऊपर ही अंगुली उठाई (पुलवामा को लेकर)। पांच अगस्त को उन्होंने कश्मीर में सुरक्षाबल के अतिरिक्त बेड़े भेज दिए और कहा कि वह भारत का हिस्सा है। यह उनके संस्थापकों और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के खिलाफ था।”

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खान के मुताबिक, “यह समझना जरूरी है कि आरएसएस की विचारधारा क्या है…। बीजेपी उसी का हिस्सा है और नरेंद्र मोदी उसी पार्टी के नेता हैं। वे (संघ) मानते हैं कि हिंदू ही सर्वश्रेष्ठ हैं और बाकी द्वितीय श्रेणी के नागरिक हैं। वे फासीवादी विचारधारा के लोग हैं, जिन्हें भारत की पिछली सरकारें आतंकी बताते हुए किनारे कर चुकी हैं।”

पाक पीएम ने आगे दावा किया- पीएम मोदी ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर और उसकी स्वायत्ता खत्म कर ऐतिहासिक ब्लंडर किया है। हमें इसके अलावा जानकारी मिली है कि वे (भारत) हमारे खिलाफ बालाकोट सरीखे फर्जी ऑपरेशन की योजना भी बना रहे हैं, ताकि वे अधिकृत कश्मीर से ध्यान भटका सकें।

कश्मीर के मुद्दे पर जोर देते हुए वह बोले, “मैं यह मुद्दा यूएन में भी उठाऊंगा। जो थोड़े-बहुत देश आर्थिक हितों के मद्देनजर ये मुद्दा नहीं उठा रहे हैं, वे भी जल्द इस पर बोलेंगे। उन्हें समय के साथ आना पड़ेगा। कश्मीरियों को मैं बताना चाहता हूं कि कोई उनके साथ खड़ा हो या न हो, हम उनके साथ हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “परमाणु युद्ध में जीत किसी की नहीं होगी। यह न सिर्फ उक्त क्षेत्रों में तबाही मचाएगा, बल्कि पूरी दुनिया को उसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे। ऐसे में यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर है कि वह क्या फैसला लेगा।”