अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को टैरिफ के पहले सेट की घोषणा की। हालांकि उनके बयान में भारत का जिक्र नहीं था। डोनाल्ड ट्रंप ने ‘हाई ट्रेड डेफिसिट’ के आधार पर मैक्सिको और कनाडा पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जो 1 फरवरी से प्रभावी है। चीन, मैक्सिको और कनाडा अमेरिकी व्यापार घाटे के सबसे अधिक कारण है। Research and Information System (RIS) के अनुसार चीन का योगदान सबसे अधिक 30.2 प्रतिशत, मेक्सिको का 19 प्रतिशत और कनाडा का 14 प्रतिशत है।

जानें भारत की क्या स्तिथि

विशेष रूप से भारत अमेरिका के कुल व्यापार घाटे में केवल 3.2 प्रतिशत का योगदान देता है और अमेरिकी व्यापार घाटे में 9वें नंबर पर है। डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “उन तीनों (मेक्सिको, चीन और कनाडा) के साथ हमारा बड़ा घाटा है। एक मामले में वे भारी मात्रा में फेंटेनाइल भेज रहे हैं, जिससे प्रति वर्ष सैकड़ों हजारों लोग फेंटेनाइल से मर रहे हैं। कनाडा के साथ हमारा लगभग 200 अरब डॉलर का घाटा है। मेक्सिको के साथ 250 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है।”

सर्वे में कहा गया, “संवेदनशील क्षेत्रों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने और महत्वपूर्ण कच्चे माल और वस्तुओं तक पहुंच की अनुमति देने जैसे विचारों के साथ, टैरिफ क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं। भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि टैरिफ नीतियां डब्ल्यूटीओ के नियमों और विनियमों का अनुपालन करें। समय के साथ टैरिफ को और अधिक तर्कसंगत बनाने और उल्टे शुल्क संरचनाओं को संबोधित करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।”

एक्शन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, कनाडा-मेक्सिको पर 25%, चीन पर लगाया 10% टैरिफ; जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

चीन पर क्या होगा असर?

पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स ने 17 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर अमेरिका ने चीन पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया और चीन ने उसी तरह जवाब दिया, तो दूसरे ट्रंप प्रशासन के चार वर्षों में अमेरिकी जीडीपी 55 अरब डॉलर कम होगी। वहीं चीन में 128 बिलियन डॉलर कम होगी।

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने दिसंबर में सुझाव दिया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव डोनाल्ड ट्रंप के तहत व्यापार नीतियों के परिणामस्वरूप भारत के लिए संभावित आर्थिक उछाल आ सकता है। 2017 और 2023 के बीच चीन से अमेरिकी आयात में 81.56 बिलियन डॉलर की गिरावट आई, जबकि मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से टैरिफ को दरकिनार करते हुए आयात गैर-चीनी स्रोतों में ट्रांसफर होने के कारण कुल अमेरिकी व्यापार घाटा बढ़ गया। इस बीच चीन ने लचीलापन दिखाया और अपने वैश्विक निर्यात में 1.1 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि की।