अफगानिस्तान में शुक्रवार (16 जुलाई, 2021) को भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की वहां के स्थानीय बलों और तालिबानी सेना के बीच झड़प में जान चली गई। वह इस दौरान समाचार एजेंसी Reuters के लिए घटना की कवरेज कर रहे थे। यह जानकारी अफगान कमांडर के हवाले से रॉयटर्स ने दी।
अफसरों ने एजेंसी को आगे बताया कि अफगान स्पेशल फोर्सेज स्पिन बोल्डक बाजार को वापस अपने कब्जे में लेने के लिए लड़ रहे थे। इसी दौरान तालिबान की ओर से क्रॉस फायरिंग की गई, जिसमें सिद्दीकी और वरिष्ठ अफगान अफसर की मौत हो गई। कंधार के दक्षिणी प्रांत में पिछले हफ्ते की शुरुआत से वह अफगान स्पेशल फोर्सेस के साथ रहकर अपना काम कर रहे थे। वह इस दौरान अफगान कमांडो और तालिबानी फौजियों के बीच जंग की जमीनी कवरेज को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे। खबर लिखे जाने के पहले आए रॉयटर्स प्रेसिडेंट माइकल फ्रेडिनबर्ग और एडिटर इन चीफ एलेसेंड्रा गैलोनी की ओर से एक बयान में कहा गया, “हम इस बारे में और जानकारी जुटा रहे हैं और स्थानीय अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं।”
सिद्दिकी रॉयटर्स (भारत) में चीफ फोटोग्राफर थे। मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले दानिश ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई की थी। उन्हें अपने काम के लिए पत्रकारिता जगत में दिए जाने वाले प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। साल 2018 में उन्हें रोहिंग्या रिफ्यूजियों के संकट को बेबाक तरीके से दर्शाने के लिए फीचर फोटोग्राफी में Pulitzer Prize से सम्मानित किया गया था।
The Humvee in which I was travelling with other special forces was also targeted by at least 3 RPG rounds and other weapons. I was lucky to be safe and capture the visual of one of the rockets hitting the armour plate overhead. pic.twitter.com/wipJmmtupp
— Danish Siddiqui (@dansiddiqui) July 13, 2021
वैसे, दानिश की जान तीन दिल पहले तालिबान के एक हमले में बाल-बाल बची थी, जिससे जुड़ा वीडियो उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया था। अफगानिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों में सिलसिलेवार आतंकी हमले हुए हैं। दानिश अफगानिस्तान से जुड़े पूरे घटनाक्रम और वहां के जमीनी हालत के कवरेज में जुटे थे।
Terrible Terrible news. Our dearest Danish Siddiqui, Reuters Chief photojournalist, was killed in clashes in Spin Boldak district in Kandahar, Afghanistan. He was embedded with Afghan forces which came under attack by Taliban. Remember reporting with him on many assignments. RIP pic.twitter.com/htFvIT8MiG
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 16, 2021
बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में तेजी से विस्तार होने के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने कहा था कि आतंकी संगठनों की गतिविधियां देश में अस्थिरता की एक मुख्य वजह है। इसके साथ ही संगठन ने सभी संबद्ध पक्षों से अप्रत्याशित परिणाम देने वाले कार्यों से दूर रहने की अपील की। एससीओ ने अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वय भूमिका के तहत वैश्विक संगठनों और सभी हितधारक देशों से सहयोग बढ़ाने की भी अपील की।
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में बुधवार को एक बैठक में भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस और आठ सदस्यीय समूह (एससीओ) के अन्य देशों के विदेश मंत्रियों ने अमेरिकी सैनिकों की अगस्त अंत तक पूर्ण वापसी की संभावना के बीच अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति पर विस्तृत चर्चा की। एससीओ ने अपने इस रुख को भी दोहराया कि अफगानिस्तान में टकराव को सुलझाने के लिए राजनीतिक वार्ता के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। साथ ही, उसने अफगान नीत शांति प्रक्रिया का समर्थन किया जो भारत के रुख के समान है।
उधर, अमेरिका के राजनयिकों ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद किसी भी बाहरी आतंकवादी के फिर से सिर उठाने पर प्रतिक्रिया देने के लिए पास के किसी स्थान को सुरक्षित रखने पर काम करने की दिशा में इस हफ्ते मध्य एशियाई नेताओं का समर्थन जुटाने के लिए अभियान को तेज कर दिया है। भले ही उच्च स्तरीय अमेरिकी राजनयिक क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं लेकिन उन्हें अफगानिस्तान के पड़ोसियों से ज्यादा संदेह का सामना करना पड़ रहा है जो अमेरिका के साथ किसी भी सुरक्षा भागीदारी को लेकर सतर्क हैं। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)

