दुनिया के कई देशों ने कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। लेकिन भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना वैक्सीन की प्रक्रिया काफी धीरे चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना टीके को लेकर पाकिस्तान की हालत इतनी ख़राब है कि वहां के 10 में से 8 लोगों को टीका नहीं लग पाएगा। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र की मदद के बिना पाकिस्तान अपने यहाँ की 20 प्रतिशत आबादी को भी कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा पाएगा।

एक और जहाँ दुनिया के ढेरों देश अपने अपने यहाँ वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। वहीँ पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की 45 मिलियन फ्री कोवैक्स का इंतजार कर रहा है जिससे यहाँ की 20 प्रतिशत जनसंख्या को कोरोना टीका लगवाया जा सके। दरअसल पाकिस्तान भी उन 189 देशों के समूह का हिस्सा है जिसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्री कोरोना वैक्सीन देने का ऐलान किया है। वैक्सीन के पहले चरण में फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा।

पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार सरकार चीन की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के रिजल्ट आने का इंतजार कर रही है। जिसके बाद वैक्सीन की खरीद बड़े पैमाने पर की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान की सरकार ने वैक्सीन की खरीद के लिए करीब 150 बिलियन डॉलर का बजट रखा हैं। हालाँकि पाकिस्तानी सरकार के प्रवक्ता के अनुसार सिनोफार्म नाम की वैक्सीन इस महीने के अंत तक या अगले महीने तक पहुँच जाएगी। उसके बाद इस वैक्सीन को लोगों को लगाया जाएगा। पिछले दिनों प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में टीके की खरीद के लिए सार्वजनिक खरीद नियामक प्राधिकरण (पीपीआरए) के नियमों में ढील देने का फैसला किया गया है।

वैसे सितंबर में ही पाकिस्तान में चीन के द्वारा बनाये गए कोरोना वैक्सीन के ट्रायल शुरू कर दिए गए थे। इस टीके को कैनसीनो बायोलोजिक्स और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी के द्वारा मिल कर तैयार किया गया था। हालाँकि पहले चरण के ट्रायल के दौरान पाकिस्तान में करीब 8 हजार वोलेंटियर को टीका लगाया गया है।